गाजा पर पूर्ण नियंत्रण की ओर बढ़ते नेतन्याहू, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इज़राइल की विश्वसनीयता संकट में

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 10-08-2025
As Netanyahu moves towards full control over Gaza, Israel's credibility at risk internationally
As Netanyahu moves towards full control over Gaza, Israel's credibility at risk internationally

 

अमीन सैकल

खुद को लोकतांत्रिक और अंतरराष्ट्रीय कानून व युद्ध के नियमों का पालन करने वाला देश बताने के बावजूद, इज़राइल की वैश्विक साख बुरी तरह गिर चुकी है.प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गाजा पर पूर्ण सैन्य कब्जे की नई योजना, गाजा में बढ़ते भुखमरी संकट और वेस्ट बैंक में दमनकारी कदमों ने देश की स्थिति को और उजागर कर दिया है.

अमेरिका के समर्थन के बावजूद, यहूदी राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता के गंभीर संकट से जूझ रहा है, जिससे उबरने में लंबा समय लग सकता है.एक हालिया प्यू सर्वेक्षण के अनुसार, 2025 की शुरुआत में नीदरलैंड (78%), जापान (79%), स्पेन (75%), ऑस्ट्रेलिया (74%), तुर्किये (93%) और स्वीडन (75%) जैसे देशों में अधिकांश लोग इज़राइल के प्रति नकारात्मक राय रखते हैं.

युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं. कई अंतरराष्ट्रीय कानून विशेषज्ञ, जनसंहार शोधकर्ता और मानवाधिकार संगठन इज़राइल पर गाजा में जनसंहार का आरोप लगा चुके हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओल्मर्ट, एहुद बराक, प्रसिद्ध लेखक डेविड ग्रॉसमैन और मसोरती यहूदी धर्म के रब्बी जोनाथन विटनबर्ग और रब्बी डेलफीन हॉरविलर जैसे इज़राइल के परंपरागत समर्थक भी सरकार की आलोचना कर रहे हैं.सैकड़ों सेवानिवृत्त सुरक्षा अधिकारियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से युद्ध खत्म कराने के लिए नेतन्याहू पर दबाव डालने की अपील की है.

वैश्विक सहयोगी दूरी बना रहे हैं

गाजा से आ रही भूख से पीड़ित बच्चों की तस्वीरों ने पश्चिमी देशों में भी इज़राइल के समर्थन को कमजोर कर दिया है.फ्रांस ने सितंबर में फ़िलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की है. ब्रिटेन और कनाडा ने भी ऐसा करने का वादा किया है, और जर्मनी ने मान्यता प्रक्रिया शुरू कर दी है. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ भी इसे समय की बात मानते हैं.

स्पेन और स्वीडन ने यूरोपीय संघ के साथ इज़राइल के व्यापार समझौते को निलंबित करने की मांग की है, जबकि नीदरलैंड ने इज़राइल को “सुरक्षा खतरा” घोषित किया है.इन सभी आरोपों और कदमों को इज़राइल और अमेरिका ने खारिज किया है, लेकिन अब इज़राइल के पास अमेरिका ही एकमात्र बड़ा वैश्विक समर्थक बचा है.

अमेरिकी हथियारों और आर्थिक सहायता के बिना, इज़राइल न तो गाजा में अपना विनाशकारी अभियान चला सकता था और न ही 1967 के युद्ध से वेस्ट बैंक व पूर्वी यरुशलम पर कब्जा बनाए रख सकता था.

हालांकि ट्रंप इज़राइल के कट्टर समर्थक हैं, लेकिन अमेरिकी जनता में नेतन्याहू के वॉशिंगटन पर प्रभाव और सहायता के मूल्य को लेकर असंतोष बढ़ रहा है. मार्च के गैलप सर्वे के अनुसार, आधे से भी कम अमेरिकी इज़राइल के प्रति सहानुभूति रखते हैं.यह नाराज़गी ट्रंप के कुछ प्रमुख समर्थकों जैसे स्टीव बैनन और सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन ने भी जाहिर की है. ट्रंप ने खुद नेतन्याहू के “गाजा में भूखमरी नहीं” वाले दावे पर सवाल उठाया था.

दो-राष्ट्र समाधान पर इज़राइलियों का रुख

कई इज़राइली नेतन्याहू और उनकी अति-दक्षिणपंथी सरकार से छुटकारा चाहते हैं, खासकर इस वजह से कि वे सभी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने में विफल रहे.इज़राइल के चैनल 12 के हालिया सर्वेक्षण में 74% लोगों ने युद्ध खत्म करने और बदले में बंधकों की रिहाई के समझौते का समर्थन किया.

फिर भी, अधिकतर इज़राइली एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य के विचार के खिलाफ हैं. एक अमेरिकी सर्वेक्षण में 82% यहूदी इज़राइलियों ने गाजा से फ़िलिस्तीनियों को निकालने का समर्थन किया. 2025 की शुरुआत में प्यू सर्वे में केवल 16% यहूदी इज़राइलियों ने माना कि फ़िलिस्तीन के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व संभव है—यह 2013 से अब तक का सबसे कम आंकड़ा है.

यह दर्शाता है कि न केवल सरकार बल्कि मतदाता भी फ़िलिस्तीन के स्वतंत्र राज्य के अधिकार को मान्यता देने में राजनीतिक रूप से अत्यधिक दाहिने झुक गए हैं.अंतरराष्ट्रीय दबाव में नेतन्याहू ने गाजा में मानवीय सहायता थोड़ी बढ़ाई है, लेकिन गाजा पर पूर्ण सैन्य नियंत्रण की योजना यह दर्शाती है कि अमेरिका का समर्थन रहते हुए वे युद्ध की दिशा बदलने को तैयार नहीं हैं.

उनकी सरकार का लक्ष्य हमास का उन्मूलन, गाजा की संभावित आबादी-निकासी और कब्जा—और संभवतः वेस्ट बैंक का अधिग्रहण—हो सकता है. यह कदम दो-राष्ट्र समाधान की संभावना को पूरी तरह खत्म कर देगा.

ऐसी स्थिति रोकने के लिए, वॉशिंगटन को वैश्विक समुदाय के साथ खड़ा होना होगा. अन्यथा, एक अलग-थलग और बेलगाम इज़राइल अमेरिका और उसके पारंपरिक सहयोगियों के बीच खाई और गहरी कर देगा.

(अमीन सैकल, द यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया)