इस्लाम में कितने मुनाफे की इजाजत ?

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 03-05-2024
How much profit is allowed in Islam?
How much profit is allowed in Islam?

 

गुलाम कादिर

मुसलमान अक्सर मुनाफे की सीमा पर सवाल उठाते हैं. इस्लाम में मुनाफे की कोई सीमा नहीं है. हालाँकि, किसी को व्यापारिक लेन-देन में धोखा नहीं देना चाहिए.इस्लाम में लाभ की कोई सटीक सीमा नहीं है, मगर इस्लाम में अनुचित कीमत पर खरीदना पाप है.

इस्लाम वाणिज्य को कमाई का एक वैध तरीका मानता है. यह नैतिक सीमाओं के भीतर इसे बढ़ावा देता है. इन नियमों का उद्देश्य निष्पक्ष कारोबार सुनिश्चित करना और व्यापार में शोषण को रोकना है.
 
कितने लाभ की अनुमति है?

इस्लाम में मुनाफे की कोई सीमा नहीं है.इस्लाम में, किसी व्यापारी के लिए कोई सटीक लाभ सीमा नहीं है. फिर भी, धोखा देकर लाभ नहीं कमाना चाहिए. यह विशेष रूप से सच है यदि माल का मूल्य सर्वविदित है.पैगंबर मुहम्मद साहब की शिक्षाएं यहां हमारा मार्गदर्शन करती हैं.
 
आखिरी दिनों में वह खुद अच्छे व्यापारी थे. उन्होंने व्यापारियों से अनुचित रूप से कम कीमत पर खरीदारी के खिलाफ चेतावनी दी थी. ऐसे कृत्य को धोखेबाजी करार दिया है.साहिह मुस्लिम (1519) में एक हदीस से पता चलता है कि इस्लाम व्यापारियों को धोखा दिए जाने पर सौदे रद्द करने की अनुमति देता है. मुसलमानों को अपने साथियों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए.
 
व्यापारिक लेन-देन पर हदीस

इस्लामी व्यापार नैतिकता संतुलन और निष्पक्षता पर केंद्रित है. व्यापारियों को लेन-देन में निश्चिंतता रखनी चाहिए. उन्हें अत्यधिक मुनाफे के पीछे नहीं भागना चाहिए. पैगंबर मोहम्मद साहब ने हमें व्यापार में धैर्यवान और निष्पक्ष रहना सिखाया है. यह नैतिक व्यापार के लिए मानक निर्धारित करता है.
 
फतवा जारी करने वाली स्थायी समिति से पूछा गया, क्या इस्लाम में मुनाफा सीमित है, और यदि ऐसा है, तो उच्चतम सीमा क्या है? यदि कोई सीमा नहीं है, तो आप उसे कैसे समझाएंगे ?उन्होंने उत्तर दिया-“व्यापार में मुनाफे की कोई सीमा नहीं है, बल्कि मामला आपूर्ति और मांग के अधीन है.
 
लेकिन यह मुसलमान के लिए अच्छा है, चाहे वह व्यापारी हो या नहीं, खरीद और बिक्री में आसानी से काम करे, और खरीद और बिक्री में अपने समकक्ष की लापरवाही के अवसर का फायदा उठाकर उसे धोखा न दे. बल्कि उन्हें अपने मुस्लिम भाइयों के अधिकारों पर ध्यान देना चाहिए.” (फतवा अल-लजनाह अद-दैमाह, 13-91)
 
उनसे यह भी पूछा गया- क्या किसी व्यापारी के लिए अपने माल पर 10 प्रतिशत से अधिक कमाई करना जायज है?

उन्होंने उत्तर दिया-‘‘व्यापारी की कमाई शरीयत के अनुसार एक विशिष्ट राशि तक सीमित नहीं है, लेकिन किसी मुसलमान के लिए उससे खरीदने वालों को धोखा देना या ज्ञात बाजार मूल्य के अलावा किसी अन्य चीज पर बेचना जायज नहीं है.
 
मुसलमानों के लिए यह आदेश दिया गया है कि वह मुनाफा कमाने के लिए अति न करें, बल्कि खरीदते समय और बेचते समय सहज रहें, क्योंकि पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने सभी लेन-देन में संयम बरतने का आग्रह किया है. (फतावा अल-लजनाह अद-दैमाह, 13-92)