रेजांग ला युद्ध स्मारक – 1962 के युद्ध में शहीद हुए 114 वीरों की अमर गाथा

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 15-08-2025
Rejang La War Memorial – The immortal story of 114 brave soldiers martyred in the 1962 war
Rejang La War Memorial – The immortal story of 114 brave soldiers martyred in the 1962 war

 

रेजांग ला (लद्दाख)

पूर्वी लद्दाख के चुशुल सेक्टर की ऊंची पहाड़ियों में स्थित रेजांग ला युद्ध स्मारक पर आने वाला हर आगंतुक सबसे पहले पास के एक पर्वत शिखर पर नज़र आने वाली तंबूनुमा संरचनाओं को देखता है।

ये संरचनाएं 1962 की कड़कड़ाती सर्दियों में, समुद्र तल से 16,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर, भारतीय सेना द्वारा चीनी सेना के खिलाफ लड़ी गई उस वीरतापूर्ण लड़ाई के मौन गवाह हैं, जिसमें 13 कुमाऊं रेजिमेंट के 114 अधिकारी और जवान मातृभूमि पर कुर्बान हो गए थे।

स्मारक की देखरेख कर रहे जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के एक अधिकारी बताते हैं,“यही वे ठिकाने हैं, जहां हमारे सैनिक तैनात थे और जहां से उन्होंने दुश्मन का सामना किया था। अगले बसंत में यहीं से उनके शव बरामद हुए थे।”

पुनर्निर्मित रेजांग ला युद्ध स्मारक नवंबर 2021 में जनता के लिए खोला गया। यह ‘भारत रणभूमि दर्शन’ का हिस्सा है – भारतीय सेना और पर्यटन मंत्रालय की एक संयुक्त पहल, जिसका उद्देश्य देश में युद्धक्षेत्र पर्यटन को बढ़ावा देना है।

स्मारक रेजांग ला दर्रे से कुछ दूरी पर स्थित है, जो आज भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का हिस्सा है। इसके केंद्र में स्थित ‘अहीर धाम’ विशेष रूप से उन शहीदों की स्मृति में बनाया गया है, जिन्होंने यहां सर्वोच्च बलिदान दिया।

हर दिन यहां सलामी गारद दी जाती है, जब लगभग 100 से 150 आगंतुक मौजूद होते हैं। यह स्थल अब लद्दाख का एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण बन चुका है।

अधिकारी बताते हैं कि 18 नवंबर 1962 को, मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में 114 वीर जवानों ने शून्य से नीचे तापमान में, संख्या और हथियारों में बहुत कमज़ोर होते हुए भी, करीब 5,000 चीनी सैनिकों के खिलाफ मोर्चा संभाला।

इस भीषण संघर्ष में सभी भारतीय सैनिक शहीद हो गए, लेकिन उनकी अदम्य वीरता और देशभक्ति इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गई – यह गाथा आज भी हर भारतीय के हृदय में गर्व और श्रद्धा का संचार करती है।