Martyr soldier Murali Naik had taken training in Maharashtra, his aim was to wear the army uniform, his father expressed his pain
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष को दौरान जारी सीमा पार फायरिंग में जवान एम मुरली नायक शहीद हो गए. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने एक्स पर एक शोक संदेश में यह घोषणा की. वहीं, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल एस अब्दुल नजीर ने घटना पर दुख जताया.
उन्होंने कहा कि देश की रक्षा में श्री सत्य साईं जिले के पेनुकोंडा विधानसभा क्षेत्र के गोरंटला मंडल के मुरली नायक नामक सैनिक की मृत्यु की खबर सुनकर दुख हुआ. शहीद मुरली नायक को श्रद्धांजलि, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. मैं उनके परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं." वहीं, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल एस अब्दुल नजीर ने कहा, "मुझे यह जानकर बहुत दुख हुआ कि श्री सत्य साईं जिले के गोरंटला मंडल के गद्दामथंडा पंचायत के कल्ली थांडा गांव के सेना के जवान एम. मुरली नाइक जम्मू-कश्मीर में चल रहे ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हो गए."
बेटे की मौत की खबर से टूट गई मां
इस बीच ईटीवी भारत ने शहीद मुरली के पिता श्रीराम नायक से बात की. उन्होंने कहा, "हमें सुबह 9 बजे बुरी खबर मिली. सुबह 9 बजे सेना के अधिकारियों ने हमें फोन किया. मेरी पत्नी यानी मुरली की मां ने जब फोन पर अपने बेटे की मौत के बारे में सुनी तो वह टूट गई. उसके बाद, मैंने फोन उठाया. तब हमें पता चला कि हमने अपने बेटे मुरली को सुबह हुई गोलीबारी में खो दिया है."
सेवा के लिए सेना में शामिल होना था लक्ष्य
उन्होंने बताया की मुरली कश्मीर में तैनात थे. उसने हमसे यह बात छिपाई थी. उसने हमें बताया था कि वह पंजाब में तैनात है. उसने हमसे यह जानकारी छिपाई क्योंकि उसे लगा कि हम उसको लेकर चिंतित होंगे. मुरली हमारा इकलौता बेटा था. वह केवल 23 साल का था! हमारा दुख शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता. उसका लक्ष्य देश की सेवा के लिए सेना में शामिल होना था. वह मेरे विरोध के बावजूद सेना में शामिल हुआ. वह कम से कम एक साल तक सेना की वर्दी पहनना चाहता था.
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, 23 वर्षीय नाइक भारतीय सेना की उत्तरी कमान की 851 लाइट रेजिमेंट से जुड़े थे. नाइक ने आखिरी बार छह से 20 जनवरी, 2025 के बीच 15 दिनों की छुट्टी ली थी और शुक्रवार को युद्ध में उनकी मौत हो गई. प्रशिक्षण के बाद नाइक को असम में तैनात किया गया, जहां उन्होंने एक साल तक काम किया और बाद में छह महीने के लिए उसे जम्मू स्थानांतरित कर दिया गया. श्रीराम नाइक ने कहा कि जनवरी में 15 दिन की छुट्टी के बाद वह ड्यूटी पर वापस चला गया और अंततः लड़ाई में मारा गया. शहीद सैनिक की मां ने याद किया कि उनके बेटे ने सात मई को उन्हें फोन किया था और उनकी खैरियत पूछने के साथ यह भी पूछा था कि उन्होंने खाना खाया है या नहीं. इस बीच एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्य हथकरघा मंत्री एस सविता ने कल्ली थांडा गांव में शहीद सैनिक के परिवार से मुलाकात की और उन्हें पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता सौंपी.