मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ जलगांव में जनसभा आयोजन

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 07-07-2025
All India Muslim Personal Law Board organised a public meeting in Jalgaon against the Waqf Amendment Act 2025
All India Muslim Personal Law Board organised a public meeting in Jalgaon against the Waqf Amendment Act 2025

 

जलगांव

केंद्र सरकार द्वारा वक्फ (संशोधन) कानून 2025 को लागू करने की कोशिश, देश के मुसलमानों में गहरा रोष और चिंता पैदा कर रही है। मुसलमानों की साझा प्रतिनिधि संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस विवादास्पद कानून के खिलाफ देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत विभिन्न राज्यों और शहरों में जनसभाएं, विरोध प्रदर्शन और मानव श्रृंखला जैसे आयोजनों के जरिए केंद्र सरकार से इस काले कानून को वापस लेने की मांग की जा रही है।

इसी क्रम में रविवार की रात जलगांव के ईदगाह मैदान में एक भव्य जनसभा का आयोजन हुआ, जिसमें भारी बारिश के बावजूद न केवल जलगांव के प्रमुख शहरों से, बल्कि जिले के दूरदराज़ के गांवों और कस्बों से भी बड़ी संख्या में मुस्लिम नागरिकों ने भाग लेकर अपनी एकता और जागरूकता का परिचय दिया।

इस सभा की अध्यक्षता ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना उमरीन महफूज रहमानी ने की। उन्होंने इस शांतिपूर्ण आंदोलन से जुड़े रहने की अपील करते हुए वक्फ संशोधन कानून 2025 के खतरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बोर्ड इस कानून के खिलाफ पूरे देश में जनजागरूकता अभियान चला रहा है और आशा व्यक्त की कि अल्लाह के फज़ल से इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। इंशा अल्लाह!

कार्यक्रम में खानदेश क्षेत्र की प्रसिद्ध शैक्षिक हस्ती जनाब अब्दुल करीम सालार साहब, जाने-माने आलिमे-दीन मुफ्ती हारून नदवी साहब, और जमाअत-ए-इस्लामी हिंद, जिला जलगांव के अमीर जनाब सुहैल अमीर साहब ने भावनात्मक और जोशीले भाषण दिए। इस सभा में जलगांव की दो प्रमुख गैर-मुस्लिम हस्तियां—विजय महाजन साहब और फादर विजय जी भी विशेष रूप से मौजूद रहीं।

सभी वक्ताओं ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार द्वारा वक्फ संपत्तियों में दखल देने के रवैये की तीखी आलोचना की और वक्फ संशोधन कानून 2025 को संविधान, अल्पसंख्यक अधिकारों और इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ बताया। उनका कहना था कि यह कानून देशभर में मुस्लिम समाज के धार्मिक, शैक्षणिक और समाजसेवी संस्थानों को पंगु बनाने की सोची-समझी साजिश है।

सभा का समापन मुफ्ती हारून नदवी साहब की दुआ के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने देश और समुदाय की सुरक्षा, एकता, और अन्याय के अंत के लिए प्रार्थना की।

यह ऐतिहासिक सभा इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि भारत का मुस्लिम समाज अपने धार्मिक पहचान, धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों की हिफाजत के लिए सजग, जागरूक और एकजुट है।