पहलगाम, जम्मू और कश्मीर
दक्षिण कश्मीर के लोगों ने बुधवार को अमरनाथ यात्रा के तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे का स्वागत किया। यह पहलगाम में हुए आतंकी हमले के कुछ सप्ताह बाद हुआ है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे। यह हमला धार्मिक भेदभाव के कारण हुआ था। 45 दिवसीय तीर्थयात्रा 3 जुलाई से शुरू होगी।
काजीगुंड में नवयुग सुरंग में तीर्थयात्रियों का गर्मजोशी और उत्साह के साथ स्वागत किया गया, क्योंकि वे पवित्र तीर्थस्थल की ओर बढ़ रहे थे। स्थानीय लोग सुबह-सुबह सुरंग के पास लाइन में लग गए। क्षेत्र के माहौल में आए सकारात्मक बदलाव के बारे में एएनआई से बात करते हुए दक्षिण कश्मीर के एक स्थानीय निवासी ने कहा, "हमें खुशी है कि पहलगाम हमले के बाद पहली बार श्रद्धालु कश्मीर आ रहे हैं। यहां के युवा खुश हैं। हमें खुशी है कि हमें उनका फिर से स्वागत करने का यह अवसर मिला।" डुडू के एक अन्य निवासी ने एएनआई को बताया, "हमें खुशी है कि पहलगाम हमले के बाद श्रद्धालु यहां आ रहे हैं। हम उनका स्वागत करने के लिए (नवयुग) सुरंग पर आए हैं।" डूडू के एक स्थानीय निवासी ने आगे कहा, "...पूरे देश से श्रद्धालु यहां आ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के लोग उनका स्वागत करने के लिए यहां हैं...कश्मीर अपने आतिथ्य के लिए जाना जाता है..."
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था हाई अलर्ट पर है, खासकर राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (NH-44) पर। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बहुस्तरीय सुरक्षा के बीच जम्मू से श्री अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को रवाना किया।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, "श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड ने यात्रा के लिए बेहतरीन सुविधाएं मुहैया कराई हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों ने भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। देशभर से श्रद्धालु यहां आए हैं। लोगों में काफी उत्साह है। भोलेनाथ के भक्तों ने सभी आतंकी हमलों को दरकिनार कर बड़ी संख्या में यहां पहुंचे हैं। मुझे उम्मीद है कि इस साल की यात्रा पिछली यात्राओं से भी बेहतर होगी..."
अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद आगामी अमरनाथ यात्रा के लिए पूरे जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को काफी बढ़ा दिया गया है। सीआरपीएफ, सेना और पुलिस सहित 50,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया गया है, साथ ही मार्ग पर सीसीटीवी, ड्रोन, जैमर और चेहरे की पहचान तकनीक के माध्यम से निरंतर निगरानी की जा रही है। तीर्थयात्रा के दौरान अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा टीमों, एयर एम्बुलेंस और आपातकालीन निकासी योजनाओं के लिए उचित व्यवस्था की गई है।