आवाज द वॉयस /नई दिल्ली
भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिति बिगड़ने के साथ ही दोनों पक्ष ऑपरेशन सिंदूर के लॉन्च के बाद जवाबी कार्रवाई में लगे हुए हैं, सूत्रों ने पुष्टि की है कि पड़ोसी देश द्वारा दागे गए हर मिसाइल को "रोका या बेअसर कर दिया गया", और कोई भी अपने इच्छित लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया.
पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर मिसाइल हमले करके तनाव बढ़ाने की कोशिश की. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि उन्हें सफलतापूर्वक बेअसर कर दिया गया.
सूत्रों के अनुसार, भारत की प्रतिक्रिया उसके वायु रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र की ताकत को दर्शाती है, जो पिछले 11 वर्षों में स्थापित हुई है. एकीकृत काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (यूएएस) ग्रिड, एस-400 ट्रायम्फ सिस्टम, बराक-8 मिसाइल, आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और डीआरडीओ की ड्रोन रोधी तकनीकें एक साथ मिलकर एक मजबूत हवाई कवच तैयार करती हैं.
इसके अलावा, यह भी पता चला है कि मिसाइल हमलों का जवाब देते हुए भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी क्षेत्र में अंदर तक हमला किया, लाहौर में चीन द्वारा आपूर्ति की गई HQ-99 वायु रक्षा इकाई को नष्ट कर दिया और प्रमुख रडार बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया. सूत्रों ने बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने रातों-रात तैयारियों के स्तर को मूर्त रूप नहीं दिया, बल्कि 2014 से ही भारत की वायु रक्षा वास्तुकला को उन्नत कर रही है. इसमें 2018 में पांच 400 ट्रायम्फ स्क्वाड्रन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का सौदा शामिल है, जिनमें से तीन चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर कार्यरत हैं.
इसके अलावा, भारत ने बराक-8 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एमआर-एसएएम) की तैनाती के लिए इजरायल के साथ 2.5 अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए, जो भटिंडा जैसे अग्रिम पंक्ति के ठिकानों पर सक्रिय हैं, सूत्रों ने कहा, साथ ही कहा कि केंद्र ने स्वदेशी आकाश मिसाइल बैटरी और डीआरडीओ द्वारा विकसित काउंटर-ड्रोन सिस्टम विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया है. ऑपरेशन सिंदूर ने 2021 में ऑर्डर किए गए और भारत में निर्मित आत्मघाती ड्रोन - लोइटरिंग मुनिशन की शुरुआत भी की. सूत्रों ने कहा कि इन ड्रोन ने विभिन्न सेक्टरों में एक साथ, सटीक हमले किए, जिससे पाकिस्तान की सुरक्षा हैरान रह गई. सूत्रों ने कहा कि इजरायली मूल के हारोप ड्रोन अब स्थानीय रूप से बनाए जाते हैं. उन्हें कराची और लाहौर में वायु रक्षा संपत्तियों को निशाना बनाने और नष्ट करने के लिए तैनात किया गया था.