आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
भारत-पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में हुए ऑपरेशन सिंदूर 1 और 2 के बाद उपजे तनाव पर जहां पाकिस्तान के कुछ राजनेता और शोबिज़ सितारे युद्ध का जश्न मना रहे हैं, वहीं अभिनेता और गायक अली ज़फर ने इस युद्ध उन्माद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने सीधे तौर पर पूछा है—"क्या वे लोग जो भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव से खुश हैं, सच में समझते हैं कि दो परमाणु देशों के बीच युद्ध का अंजाम क्या होगा?"
पाकिस्तानी संगीत और सिनेमा जगत में बेहद लोकप्रिय अली ज़फर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लाहौर में सुनी गई विस्फोटों की आवाज़ों पर चिंता जताई और परमाणु युद्ध की वकालत करने वालों को फटकारते हुए कहा:"हमने अभी अपने घर के पास एक विस्फोट की आवाज़ सुनी है. युद्ध का जश्न मनाने वालों और नफरत फैलाने वालों से पूछना चाहता हूं—क्या आप वाकई जानते हैं कि परमाणु युद्ध का अर्थ क्या होता है?"
उन्होंने स्पष्ट किया कि युद्ध किसी फिल्मी सीन की तरह नहीं, बल्कि ज़मीनी हकीकत में निर्दोष बच्चों, परिवारों और आम नागरिकों के लिए विनाश का कारण होता है.
अली ज़फर ने अपने संदेश में विश्व शक्तियों से भी अपील की:"हर राष्ट्र को सुरक्षा चाहिए, हर जीवन कीमती है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसे रोकने के लिए निर्णायक हस्तक्षेप करना चाहिए. संवाद ही एकमात्र रास्ता है."
जहां अली ज़फर शांति की बात कर रहे हैं, वहीं माहिरा खान, बिलाल अब्बास, मुनीब बट, हानिया आमिर और फवाद खान जैसे पाकिस्तानी कलाकार भारत को “कायर” कह रहे हैं और अपने देश की सेना को युद्ध के लिए उकसा रहे हैं. सोशल मीडिया पर इन कलाकारों ने भारत विरोधी बयान देते हुए परमाणु हमलों तक की बात कह डाली.
भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाए जाने के बाद पाकिस्तान के कुछ जनरल्स और कलाकारों ने अपने देश को युद्ध के लिए तैयार रहने की सलाह दी है. इसी दौरान लाहौर और कराची में बम धमाकों जैसी आवाज़ें सुनाई दीं, जिसने आम लोगों को भी भयभीत कर दिया.
भारत में सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी कलाकारों की इन प्रतिक्रियाओं पर तीखी आलोचना हो रही है. लोगों का कहना है कि पाकिस्तान के शोबिज़ सितारे ज़मीनी हकीकत से अनजान हैं और केवल प्रचार के लिए भारत को उकसा रहे हैं..
अली ज़फर की इस स्पष्ट और साहसिक शांति अपील को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है. उन्होंने न केवल पाकिस्तानी समाज के ज़िम्मेदार कलाकार की भूमिका निभाई है, बल्कि एक ऐसे क्षेत्र में जहां युद्ध की बातें ‘देशभक्ति’ मानी जाती हैं, वहां ‘शांति’ की बात करना किसी साहसिक स्ट्राइक से कम नहीं..