अब्दुल्लाह मंसूर
भारत और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से ही तनावपूर्ण रहे हैं.जब भी सीमा पर कोई घटना होती है, पूरा देश बेचैन हो उठता है.2025में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने हर भारतीय के दिल को झकझोर दिया.इस हमले में कई मासूम लोगों की जान चली गई.यह हमला सिर्फ एक घटना नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान की जमीन पर पल रहे आतंकवाद की फैक्ट्री का एक और सबूत था.
कई सालों से पाकिस्तान ने अपनी धरती पर लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को पनाह दी है, जो बार-बार भारत की शांति को खतरे में डालते हैं.संसद हमला, मुंबई हमला, उरी हमला, पुलवामा हमला-हर बार भारत ने अपने वीर जवानों को खोया है और हर बार पाकिस्तान ने या तो चुप्पी साध ली या झूठ बोलकर दुनिया को गुमराह करने की कोशिश की.
इस बार के हमले का असली उद्देश्य भारत में सांप्रदायिक तनाव और दंगे भड़काना था, ताकि कश्मीर में बहाल हो रही सामान्य स्थिति और पर्यटन को नुकसान पहुंचे, और पाकिस्तान के लिए फिर से आतंकवाद की जमीन तैयार हो सके.लेकिन भारत की जनता ने आतंकियों की इस साजिश को पूरी तरह नाकाम कर दिया.
सभी धर्मों, जातियों और वर्गों के लोग एकजुट रहे, किसी भी तरह की अफवाह या उकसावे में नहीं आए.खासकर भारतीय मुसलमानों ने स्पष्ट कर दिया कि वे पहले भारतीय हैं, बाद में कुछ और। पूरे देश ने शांति, संयम और एकता का परिचय दिया, जिससे आतंकियों और उनके आकाओं की मंशा ध्वस्त हो गई.
पहलगाम हमले के बाद पूरा देश गुस्से और दुख से भर गया.हर भारतीय चाहता था कि अब कुछ ठोस किया जाए.सरकार ने भी इस बार सख्त रुख अपनाया.सबसे पहले सिंधु जल संधि को निलंबित किया गया, जिससे पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा.अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया गया और दोनों देशों के बीच व्यापार और आवाजाही पर रोक लगा दी गई.
यह कदम दिखाता है कि भारत अब सिर्फ कड़ी निंदा या चेतावनी तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि जरूरत पड़ी तो कड़े फैसले लेने से भी पीछे नहीं हटेगा.
सरकार ने इस हमले के बाद निर्णायक कदम उठाए.सबसे अहम था ‘ऑपरेशन सिंदूर’-एक सटीक, योजनाबद्ध और सीमित सैन्य कार्रवाई, जिसमें भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के नौ बड़े ठिकानों को निशाना बनाया और पूरी तरह ध्वस्त कर दिया.
इन ठिकानों में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के ट्रेनिंग सेंटर, हथियार डिपो और लॉन्च पैड शामिल थे.ऑपरेशन की खास बात यह थी कि इसमें सिर्फ आतंकवादी ठिकानों को ही निशाना बनाया गया, किसी भी नागरिक या सैन्य प्रतिष्ठान को नुकसान नहीं पहुंचाया गया.
यह भारत की जिम्मेदार और संवेदनशील नीति का प्रमाण था, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश भी था और मानवीयता का ध्यान भी.ऑपरेशन सिंदूर का नाम भी अपने आप में एक भावनात्मक संदेश था.सिंदूर भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के सौभाग्य का प्रतीक है.
पहलगाम हमले में कई महिलाओं ने अपने पति खो दिए थे.ऑपरेशन का नाम उन शहीदों की विधवाओं को सम्मान देने के लिए रखा गया.यही नहीं, ऑपरेशन की जानकारी देश और दुनिया को देने के लिए दो महिला सैन्य अधिकारियों-विंग कमांडर व्योमिका सिंह (भारतीय वायुसेना) और कर्नल सोफिया कुरैशी (भारतीय सेना)-को चुना गया.
इनमें से कर्नल सोफिया कुरैशी मुस्लिम समुदाय से हैं, जबकि विंग कमांडर व्योमिका सिंह ईसाई समुदाय से आती हैं.यह चयन सिर्फ सैन्य पेशेवरिता का नहीं, बल्कि भारत की विविधता, समावेशिता और महिला सशक्तिकरण का भी प्रतीक था.
दोनों अधिकारियों ने आत्मविश्वास और गर्व के साथ बताया कि कैसे भारतीय सेना ने आतंक के अड्डों को खत्म किया, और कैसे लक्ष्य चयन में नागरिकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया.यह दृश्य हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण था.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की हालत खराब हो गई.सैन्य मोर्चे पर हारने के बाद उसने सोशल मीडिया को अपना नया हथियार बना लिया.पाकिस्तान ने अपने यहां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर से बैन हटाया और हजारों फर्जी अकाउंट्स, सरकारी अफसरों और मीडिया के जरिए भारत के खिलाफ झूठी खबरों की बाढ़ ला दी.
पाकिस्तान की मीडिया और सोशल मीडिया की यह रणनीति कोई नई नहीं है.जब भी पाकिस्तान को सैन्य या कूटनीतिक मोर्चे पर हार का सामना करना पड़ता है, वह झूठे दावे और दुष्प्रचार के जरिए माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश करता है.
इस बार भी, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने झूठी सैन्य जीत, भारतीय सैनिकों की गिरफ्तारी, भारतीय ठिकानों पर हमले जैसी खबरें फैलाईं, ताकि भारत की सैन्य सफलता को कमतर दिखाया जा सके और अपनी जनता को यह भरोसा दिलाया जा सके कि पाकिस्तान कमजोर नहीं है.
सोशल मीडिया पर पाकिस्तान समर्थित अकाउंट्स ने हैशटैग वॉर छेड़ दी.#IndianFalseFlag, #OperationSindoor, #ModiExposed जैसे हैशटैग्स पर लाखों पोस्ट किए गए.
इन पोस्ट्स में बार-बार झूठे दावे, पुराने वीडियो और फोटो, और एडिटेड कंटेंट शेयर किया गया.पाकिस्तान ने अपने यहां X (पहले ट्विटर) से बैन हटाया, ताकि उसके नागरिक और समर्थक खुलकर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर सकें. कई बार एआई जनरेटेड इमेज और वीडियो गेम के फुटेज को भी असली युद्ध का हिस्सा बताकर वायरल किया गया.
पाकिस्तान की मीडिया का यह दुष्प्रचार सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहा.मुख्यधारा के पाकिस्तानी टीवी चैनलों और अखबारों ने भी भारत के खिलाफ झूठी खबरें चलाईं.
उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की कि पाकिस्तान ने भारत को सैन्य रूप से भारी नुकसान पहुंचाया है.कभी दावा किया गया कि भारतीय लड़ाकू विमान मार गिराए गए, कभी कहा गया कि भारतीय सैनिकों को बंदी बना लिया गया, तो कभी भारतीय सैन्य ठिकानों को तबाह करने की झूठी खबरें फैलाई गईं.
PIB Fact Check और भारत सरकार ने इन सभी दावों को तुरंत खारिज किया और सच्चाई सामने रखी.उदाहरण के लिए, एक वायरल तस्वीर जिसमें भारतीय राफेल विमान गिराए जाने का दावा था, दरअसल 2021में पंजाब के मोगा में हुए मिग-21हादसे की थी, जिसका ऑपरेशन सिंदूर से कोई संबंध नहीं था.
इसी तरह, भारतीय सैनिकों की गिरफ्तारी का दावा भी पूरी तरह झूठा निकला, जिसे खुद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री को बाद में वापस लेना पड़ा.इस दुष्प्रचार का असर आम लोगों पर भी पड़ा.
पाकिस्तान की जनता को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की गई कि उनकी सेना ने भारत को करारा जवाब दिया है.वहीं, भारत में भी कई लोग इन झूठी खबरों के जाल में फंस गए और अफवाहें फैलने लगीं.कई बार भारतीय मीडिया के कुछ हिस्सों ने भी बिना पुष्टि के इन खबरों को चला दिया, जिससे समाज में भ्रम और तनाव बढ़ गया.
सीमावर्ती इलाकों में लोग दहशत में आ गए और सोशल मीडिया पर डर और गुस्से का माहौल बन गया.भारत सरकार ने इस दुष्प्रचार का त्वरित और सटीक जवाब दिया.प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) की फैक्ट-चेक यूनिट ने हर फर्जी दावे का तुरंत खंडन किया और सच्चाई सामने रखी.
PIB ने नागरिकों से अपील की कि वे सिर्फ आधिकारिक और विश्वसनीय स्रोतों पर ही भरोसा करें और किसी भी संदिग्ध खबर को PIB Fact Check को रिपोर्ट करें.
इसके लिए व्हाट्सएप नंबर और ईमेल भी जारी किए गए हैं, ताकि लोग तुरंत फर्जी खबरों की शिकायत कर सकें.भारत ने हजारों फर्जी पाकिस्तानी अकाउंट्स को ब्लॉक करवाया और मीडिया को भी सख्त हिदायत दी कि बिना पुष्टि के कोई खबर न चलाएं.
पाकिस्तान की मीडिया और सोशल मीडिया की इस रणनीति का असली मकसद भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाना और अपनी जनता का ध्यान असलियत से भटकाना है.
पाकिस्तान जानता है कि सैन्य मोर्चे पर वह भारत का मुकाबला नहीं कर सकता, इसलिए वह झूठ और दुष्प्रचार के जरिए माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश करता है.लेकिन इस बार भारत ने न सिर्फ सैन्य मोर्चे पर, बल्कि सूचना के मोर्चे पर भी उसे करारा जवाब दिया है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने साफ कर दिया है कि अब आतंकवाद का जवाब सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि सीमा पार जाकर भी दिया जाएगा.भारत की सेना ने जिम्मेदारी और संयम के साथ सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और किसी भी नागरिक या सैन्य ठिकाने को नुकसान नहीं पहुंचाया.
वहीं, पाकिस्तान ने अपनी झूठी जीत के दावे, फर्जी वीडियो और अफवाहों के जरिए दुनिया को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन हर बार उसकी पोल खुल गई.
आज के दौर में सूचना का युद्ध भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पारंपरिक युद्ध.पाकिस्तान की मीडिया और सोशल मीडिया ने जिस तरह से झूठ और दुष्प्रचार फैलाया, वह हर भारतीय के लिए एक सबक है कि हमें हर खबर की सच्चाई जांचनी चाहिए.
हमें यह समझना होगा कि सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली हर खबर सही नहीं होती.सरकार, मीडिया और आम नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे सच और झूठ में फर्क करें और देश की एकता और सुरक्षा के लिए सतर्क रहें.
यह पूरा घटनाक्रम हमें यह भी सिखाता है कि पाकिस्तान की मीडिया और सोशल मीडिया का दुष्प्रचार सिर्फ भारत के खिलाफ नहीं, बल्कि उसकी अपनी जनता को भी गुमराह करने का जरिया है.
जब तक पाकिस्तान आतंकवाद और झूठ का सहारा लेता रहेगा, तब तक उसके अपने लोग भी सच्चाई से दूर रहेंगे.भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया, बल्कि सूचना के युद्ध में भी जिम्मेदारी और सच्चाई के साथ जीत हासिल की है.
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की नीति में बड़ा बदलाव ला दिया है.अब भारत ने साफ कर दिया है कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद को हथियार बनाएगा, तो भारत भी हर विकल्प खुला रखेगा.
अब भारत आतंक और पारंपरिक युद्ध के बीच की रेखा नहीं मानता.पाकिस्तान की 'न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग' की रणनीति भी कमजोर पड़ गई है, क्योंकि भारत ने बिना किसी बड़े युद्ध के खतरे के, सटीक और सीमित कार्रवाई कर दिखाई है.
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर न सिर्फ देश के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की नीति और सैन्य संयम की सराहना हुई.अमेरिकी सांसदों और वैश्विक नेताओं ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार और आतंकवाद के खिलाफ उसके सख्त रुख का समर्थन किया.
विपक्षी नेताओं ने भी सरकार की रणनीति को ‘संतुलित, सटीक और जिम्मेदार’ बताया। यह दिखाता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत की नीति अब सिर्फ प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं, बल्कि निर्णायक और बहुआयामी है-सैन्य, कूटनीतिक और सूचना के हर मोर्चे पर.
आज के समय में युद्ध सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि सूचना के मैदान में भी लड़ा जाता है। पाकिस्तान ने सोशल मीडिया को हथियार बनाकर भारत के खिलाफ झूठ फैलाने की कोशिश की, लेकिन भारत ने जिम्मेदारी और सच्चाई के साथ हर झूठ का जवाब दिया.
अब हर भारतीय की जिम्मेदारी है कि वह सोशल मीडिया पर आई हर खबर को बिना जांचे-परखे आगे न बढ़ाए.हमें अफवाहों, झूठी खबरों और दुष्प्रचार से बचना होगा.
मीडिया और सरकार को भी चाहिए कि वे सही जानकारी समय पर लोगों तक पहुंचाएं और फर्जी खबरों पर सख्ती से नजर रखें.यह संघर्ष हमें सिखाता है कि अफवाहों और झूठी खबरों के इस दौर में हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह सतर्क रहे, सोच-समझकर किसी खबर पर भरोसा करे और देश की एकता और सुरक्षा के लिए सच और झूठ में फर्क करना सीखे.
भारत ने सैन्य, कूटनीतिक और सूचना के मोर्चे पर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है, लेकिन यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक आतंकवाद और झूठ दोनों की जड़ें पूरी तरह खत्म नहीं हो जातीं.
एक भारतीय होने के नाते मेरा दिल हर उस परिवार के साथ है जिसने अपने किसी अपने को खोया है.मैं चाहता हूं कि हम सब मिलकर देश की एकता, शांति और सुरक्षा के लिए जागरूक रहें.हमें न सिर्फ सीमा पर लड़ रहे जवानों का, बल्कि सूचना के इस युद्ध में भी सच का साथ देना है.तभी हम एक मजबूत, सुरक्षित और सम्मानित भारत बना सकते हैं.
(लेखक पसमांदा मामलों के एक्सपर्ट हैं)