An all-party meeting should be called under the chairmanship of the Prime Minister to discuss the India-Pakistan situation: Congress
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
कांग्रेस ने रविवार को मांग की कि पहलगाम घटना, ऑपरेशन सिंदूर और भारत एवं पाकिस्तान के बीच सभी प्रकार की गोलेबारी एवं सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए बनी सहमति पर विस्तृत चर्चा के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक तथा संसद का एक विशेष सत्र बुलाया जाए.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार से कई सवाल पूछे. उन्होंने सवाल किए कि क्या नयी दिल्ली ने भारत एवं पाकिस्तान के बीच तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के लिए दरवाजे खोले हैं और क्या पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक माध्यम खोले गए हैं. रमेश की यह टिप्पणी भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक सीमा पार से जारी रहे ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद शनिवार को तत्काल प्रभाव से जमीन, हवा और समुद्र पर सभी गोलेबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति बनने के आई.
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक बार फिर यह मांग करती है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए तथा पहलगाम, ऑपरेशन सिंदूर और पहले वॉशिंगटन डीसी (अमेरिका) एवं उसके बाद भारत एवं पाकिस्तान की सरकारों द्वारा घोषित किए गए संघर्षविराम के विषय पर संसद का विशेष सत्र आयोजित किया जाए ताकि इन सभी मुद्दों पर व्यापक चर्चा हो सके.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद के लिए ‘‘तटस्थ मंच’’ का उल्लेख अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा किया जाना कई सवाल खड़े करता है. रमेश ने कहा, ‘‘क्या हमने शिमला समझौते को छोड़ दिया है? क्या हमने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए दरवाजे खोल दिए हैं?’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यह पूछना चाहती है कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक चैनल दोबारा खोले जा रहे हैं? हमने पाकिस्तान से कौन सी प्रतिबद्धताएं मांगी हैं और हमें क्या मिला है?’’ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि किसी अन्य स्थान पर किसी अन्य मुद्दे पर बातचीत करने का कोई निर्णय नहीं हुआ है। इससे पहले, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा था, ‘‘भारत और पाकिस्तान की सरकारें तत्काल संघर्ष विराम और तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दों पर वार्ता शुरू करने पर सहमत हो गई हैं.’’
कांग्रेस नेता रमेश ने भारत और पाकिस्तान के बीच बनी सहमति पर दो पूर्व सेना प्रमुखों वी पी मलिक एवं मनोज नरवणे की कथित टिप्पणियों का भी उल्लेख किया और कहा कि इन टिप्पणियों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वयं जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘अंत में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मानती है कि इस समय देश का (पूर्व प्रधानमंत्री) इंदिरा गांधी जी की असाधारण साहसिक और दृढ़ नेतृत्व क्षमता को याद करना स्वाभाविक है जो उन्होंने 1971 में प्रदर्शित की थी.’’ रमेश ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि नौ नवंबर 1981 को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत को 5.8 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण मंजूर किया था.
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका को इस पर कड़ी आपत्ति थी और वह कार्यकारी बोर्ड में शामिल नहीं हुआ था लेकिन इंदिरा गांधी आईएमएफ को यह समझाने में सफल रही थीं कि भारत के लिए यह ऋण आवश्यक है ताकि वह तेल की कीमतों में तीन गुनी वृद्धि से निपट सके.’’ रमेश ने कहा, ‘‘29 फरवरी, 1984 को जब प्रणब मुखर्जी ने बजट पेश किया था तब उन्होंने (गांधी) उनसे यह घोषणा करवाई थी कि भारत ने आईएमएफ कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और वह स्वीकृत राशि में से 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर नहीं निकाल रहा है. यह आईएमएफ के इतिहास में शायद अनोखी बात है.’’