नई दिल्ली
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक और बड़ा खुलासा सामने आया है। भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद ने रविवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना पूरी तरह से तैयार और सक्षम थी, और अगर आदेश मिलता तो वह कराची सहित समुद्र और ज़मीन पर चुनिंदा सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकती थी।
वाइस एडमिरल ने कहा,“हमारे बल समुद्र और जमीन पर चुनिंदा लक्ष्यों पर हमला करने की पूरी तैयारी और क्षमता के साथ निर्णायक स्थिति में अरब सागर में अग्रिम मोर्चे पर तैनात रहे, जिसमें हमारे द्वारा चुने गए समय पर कराची भी शामिल है।”
यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि भारत ने केवल वायुसेना और थलसेना ही नहीं, बल्कि नौसेना को भी पूरी युद्ध-तैयारी के साथ तैनात किया था और वह किसी भी क्षण पाकिस्तान की समुद्री संपत्तियों और सैन्य अड्डों पर हमला करने की स्थिति में थी।
भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आत्मघाती आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिक मारे गए, के जवाब में 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की थी। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के आतंकी शिविरों और सैन्य बुनियादी ढांचे पर हवाई और जमीनी हमले किए। वायुसेना और थलसेना ने जहां हमलों को अंजाम दिया, वहीं नौसेना पूरे समय स्टैंडबाय मोड में थी।
वाइस एडमिरल प्रमोद ने कहा,“भारतीय नौसेना ने पूरे समय समुद्री क्षेत्र में निर्बाध जागरूकता बनाए रखी और पाकिस्तानी इकाइयों के स्थानों और आवाजाही के बारे में पूरी तरह से अवगत रही। हमारी अग्रिम तैनाती ने पाकिस्तान को रक्षात्मक मुद्रा में रहने के लिए मजबूर किया, जिसकी वजह से उनके अधिकांश जहाज बंदरगाहों के अंदर या तट के बेहद करीब रहने पर मजबूर हो गए।”
उन्होंने यह भी बताया कि नौसेना ने अरब सागर में लाइव-फायरिंग अभ्यास, मिसाइल लॉन्च परीक्षण और युद्धाभ्यास किए, जो इस बात का संकेत था कि यदि परिस्थितियाँ बिगड़तीं, तो भारत समुद्री मोर्चे पर भी निर्णायक कार्रवाई करता।
“हमने पूरे समय अपनी ताक़त और प्रतिक्रिया क्षमता का प्रदर्शन किया। यह पाकिस्तान के लिए स्पष्ट संकेत था कि यदि वे सीमा पार आक्रामकता जारी रखते हैं, तो भारत समुद्र से भी जवाब देने के लिए तैयार है।”
वाइस एडमिरल ने यह भी दोहराया कि भारत की प्रतिक्रिया मापी गई, आनुपातिक, गैर-आक्रामक और ज़िम्मेदार रही। भारत की कार्रवाई का उद्देश्य केवल आतंकवाद और आक्रामकता का जवाब देना था, न कि संघर्ष को बढ़ाना।
सिर्फ सैन्य मोर्चे पर नहीं, भारत ने कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर भी पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति अपनाई। भारत ने:
सिंधु जल संधि को स्थगित किया,
राजनयिक संबंधों में कटौती की,
पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द किए,
पाकिस्तानी उड़ानों के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र बंद किया,
द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित किया।
यह सभी कदम भारत के उस संकल्प को दर्शाते हैं, जिसे प्रधानमंत्री मोदी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद "अकल्पनीय दंड" देने की बात कहकर व्यक्त किया था।