जामिया में एमए जेंडर स्टडीज़ 2025 के लिए ओरिएंटेशन

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 27-08-2025
Orientation Programme for MA Gender Studies 2025 at Sarojini Naidu Centre for Women Studies, Jamia Millia Islamia
Orientation Programme for MA Gender Studies 2025 at Sarojini Naidu Centre for Women Studies, Jamia Millia Islamia

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

सरोजिनी नायडू सेंटर फॉर वीमेन स्टडीज़ (SNCWS), जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने एमए जेंडर स्टडीज़ 2025 बैच के विद्यार्थियों के स्वागत और उन्हें केंद्र की अकादमिक दृष्टि, पाठ्यक्रम संरचना और बौद्धिक उद्देश्यों से परिचित कराने के लिए सफलतापूर्वक दो दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया।

प्रथम दिवस : उद्घाटन और अकादमिक सत्र

कार्यक्रम का शुभारंभ 24 अगस्त को सुबह 10:30 बजे हुआ, जिसका संचालन सुश्री नवोमी ने किया। उन्होंने संकाय सदस्यों, कर्मचारियों, वरिष्ठ छात्रों और नए प्रवेशार्थियों का हार्दिक स्वागत किया। इसके बाद विद्यार्थियों ने स्वयं का परिचय देते हुए अपने शैक्षणिक पृष्ठभूमि और रुचियों को साझा किया।

प्रोफेसर निशात जैदी, निदेशक, SNCWS ने उद्घाटन भाषण देते हुए केंद्र की दृष्टि पर प्रकाश डाला और विद्यार्थियों को अपनी शैक्षणिक यात्रा को एक परिवर्तनकारी अनुभव के रूप में देखने के लिए प्रेरित किया। तत्पश्चात संकाय सदस्यों ने केंद्र के इतिहास एवं भूमिका, परीक्षा प्रणाली, CBCS ढाँचा, विषय संघ, उद्योग से जुड़ाव, उपस्थिति नीति, एंटी-रैगिंग नियम तथा नशा मुक्त भारत अभियान जैसी नीतियों पर विस्तार से जानकारी दी। पुस्तकालय कर्मचारियों ने भी छात्रों को उपलब्ध संसाधनों के बारे में अवगत कराया।

उद्घाटन सत्र का समापन सुश्री अदिति के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। चाय अवकाश के बाद अकादमिक सत्र आरंभ हुए, जिनमें—

  • डॉ. फिरदौस अजमत सिद्दीकी ने “भारत में महिला अध्ययन को एक अकादमिक अनुशासन के रूप में समझना” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने इस क्षेत्र के ऐतिहासिक विकास, कानून, अल्पसंख्यक पहचान और महिला आंदोलनों से इसके संबंधों पर प्रकाश डाला।

  • डॉ. अमीना हुसैन ने “डिकॉलोनियल नारीवाद की ओर” विषय पर विचार रखते हुए यूरोकेंद्रित प्रतिमानों से परे नारीवादी विमर्श की चर्चा की और इस्लामी नारीवाद व डिजिटल ह्यूमैनिटीज़ के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोणों को सामने रखा।

  • डॉ. अपर्णा दीक्षित ने “जेंडर स्टडीज़ का छात्र होना क्यों भिन्न है?” विषय पर व्याख्यान दिया और छात्रों की पहचान, आत्मचिंतन तथा सामाजिक–शैक्षणिक विमर्श में उनकी विशिष्ट भूमिका पर बल दिया।

द्वितीय दिवस : विषयगत व्याख्यान

25 अगस्त को कार्यक्रम के दूसरे दिन विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर सत्र आयोजित हुए—

  • डॉ. तरन्नुम सिद्दीकी ने “कानूनी दृष्टिकोण से जेंडर स्टडीज़” पर व्याख्यान दिया। उन्होंने व्यक्तिगत कानून, अपराधशास्त्र और लैंगिक न्याय से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस दौरान विद्यार्थियों ने एक गतिविधि में भाग लिया, जिसमें उनके ज्ञान और नवाचार को प्रदर्शित किया गया।

  • डॉ. अंबरीन जमाली ने “नई शिक्षा नीति 2020 की दृष्टि से उच्च शिक्षा और समाज” पर विचार रखते हुए पहुँच, समानता और उच्च शिक्षा की सामाजिक रूपांतरण में भूमिका की चर्चा की। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर भी विद्यार्थियों के साथ संवाद हुआ।

  • डॉ. अदफ़र राशिद शाह ने “जेंडर स्टडीज़ के समाजशास्त्रीय आधार” विषय पर व्याख्यान दिया और बताया कि किस प्रकार समाजशास्त्र में लैंगिकता को विश्लेषण की श्रेणी के रूप में देखा जाता है।

भोजनावकाश के बाद

  • डॉ. मेहर फ़ातिमा हुसैन ने “पितृसत्ता का विश्लेषण: सुधारों से लेकर भारत में नारीवादी आंदोलनों तक” विषय पर व्याख्यान दिया। इसमें औपनिवेशिक काल से लेकर वर्तमान समय तक महिलाओं के संघर्षों और आंदोलनों की रूपरेखा प्रस्तुत की।

  • समापन सत्र में डॉ. सुरैया तबस्सुम ने “मैदान से प्राप्त आंकड़ों से सकारात्मक बदलाव तक” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार जमीनी स्तर पर शोध के आंकड़े लैंगिक न्याय, विकास और सशक्तिकरण में योगदान कर सकते हैं।