गाँव का डॉक्टर बना मसीहा, 36 हज़ार से ज़्यादा ग्रामीणों का किया मुफ्त इलाज

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 27-08-2025
Village Dr. Raman Kishore: Treated more than 36,000 people for free
Village Dr. Raman Kishore: Treated more than 36,000 people for free

 

अर्सला खान/नई दिल्ली

भारत में अक्सर डॉक्टरों को उनकी ऊंची फीस और व्यस्त जीवनशैली के कारण आलोचना का सामना करना पड़ता है, लेकिन कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जो इस पेशे की असली आत्मा को सामने लाते हैं. सरकारी डॉक्टर डॉ. रमण किशोर उन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने अपने जीवन को पूरी तरह से ग्रामीणों की सेवा और स्वास्थ्य सुधार को समर्पित कर दिया है. मां की मौत से उपजे संकल्प ने उन्हें उस राह पर खड़ा किया जहाँ करुणा और सेवा सर्वोपरि हैं.

मां की मौत से उपजा संकल्प

डॉ. किशोर की मां की असमय मृत्यु उनके जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुईं उन्होंने देखा कि कैसे समय पर इलाज न मिलने की वजह से एक ज़िंदगी बुझ गईं उस दर्द ने उन्हें भीतर से हिला दियां तभी उन्होंने मन ही मन यह ठान लिया कि अपने मेडिकल ज्ञान और डिग्री का इस्तेमाल उन गरीब और वंचित लोगों के लिए करेंगे जो अक्सर पैसे या साधनों की कमी की वजह से बेसिक इलाज से भी वंचित रह जाते हैंं.
 
 
तनख्वाह का अधिकांश हिस्सा ग्रामीणों पर खर्च

सरकारी नौकरी के तहत मिलने वाली उनकी सैलरी का 70 से 80 प्रतिशत हिस्सा आज गांव के लोगों की जांच और दवाइयों पर खर्च होता है. वे मानते हैं कि डॉक्टर होने का असली मकसद सिर्फ़ आर्थिक तरक्की करना नहीं, बल्कि समाज को स्वस्थ और सुरक्षित बनाना है. डॉ. किशोर का यह जीवन दर्शन उन्हें बाकी डॉक्टरों से अलग बनाता हैं.
 
 
36,000 से अधिक लोगों का मुफ्त इलाज

अब तक वे 36,000 से अधिक ग्रामीणों की मुफ्त जांच और इलाज कर चुके हैं. यह आंकड़ा अपने आप में बताता है कि उनकी सेवा केवल व्यक्तिगत प्रयास नहीं, बल्कि एक आंदोलन की तरह है. कई लोग जो इलाज का खर्च वहन नहीं कर सकते थे, उनकी जिंदगी आज डॉ. किशोर की वजह से बदली है. गांव के लोग उन्हें "मसीहा डॉक्टर" कहकर पुकारते हैं, क्योंकि उन्होंने हजारों घरों में उम्मीद की किरण जगाई है.
 
 
गांव में स्वास्थ्य शिविर और जागरूकता अभियान

डॉ. किशोर सिर्फ इलाज तक ही सीमित नहीं रहते. वे नियमित रूप से गाँवों में स्वास्थ्य शिविर लगाते हैं और ग्रामीणों को बीमारियों के प्रति जागरूक करते हैं. उनका कहना है कि अक्सर लोग छोटी बीमारियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जो आगे चलकर गंभीर रूप ले लेती हैं. जागरूकता बढ़ाने से न केवल बीमारी की रोकथाम संभव होती है, बल्कि ग्रामीण समाज भी स्वास्थ्य के महत्व को समझने लगता है.
 
 
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

गांव के लोग डॉ. किशोर को भगवान का रूप मानते हैं. कई परिवार बताते हैं कि अगर वे न होते तो उनके अपने आज ज़िंदा न होते. किसी ने दिल की बीमारी में मदद पाई, तो किसी ने बच्चे का इलाज मुफ्त दवाइयों से करवाया. हर परिवार की जुबान पर यही है कि डॉ. किशोर ने न केवल इलाज किया, बल्कि उन्हें जीने की नई उम्मीद भी दी.
 
 
एक डॉक्टर का नजरिया

डॉ. किशोर का कहना है, “अगर हर डॉक्टर अपनी सैलरी या कमाई का सिर्फ़ एक छोटा हिस्सा भी समाज के नाम कर दे तो देश के लाखों गरीबों का जीवन बदल सकता है. चिकित्सा का असली मतलब यही है कि किसी की तकलीफ को दूर किया जाए, चाहे उसके पास पैसे हों या नहीं. उनकी नज़र में डॉक्टर का असली संतोष बड़ी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि उन मुस्कुराते चेहरों में है जिन्हें वे बीमारी से निजात दिलाते हैं.
 
 
समाज पर असर

डॉ. किशोर का काम न केवल उनके गाँव, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा बन चुका है. उनकी कहानी यह संदेश देती है कि स्वास्थ्य सेवा केवल अस्पतालों और क्लिनिक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है. उनके प्रयासों से युवाओं में भी सामाजिक सेवा की भावना जाग रही है.
 
 
डॉ. रमण किशोर की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर सेवा का जज़्बा हो तो सीमित संसाधनों में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. मां की मौत के बाद लिया गया उनका संकल्प आज हजारों ग्रामीणों की जिंदगी में रोशनी भर रहा है. वे सिर्फ़ एक डॉक्टर नहीं, बल्कि इंसानियत की मिसाल हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी दूसरों की भलाई के लिए समर्पित कर दी है.