भारतः देश में शब ए बारात की शुरुआत, रोशन हुए कब्रिस्तान, मस्जिदों में हो रहीं विशेष नमाजें

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 25-02-2024
  Shab-e-Barat
Shab-e-Barat

 

राकेश चौरासिया

शब-ए-बारात को क्षमा और मुक्ति की रात कहा जाता है और जो एक महत्वपूर्ण इस्लामी त्योहार है. शब-ए-बारात (शब का अर्थ है रात और बारात का अर्थ है मुक्ति) इस्लाम धर्म में पवित्र रातों में से एक है. यह इस्लामिक कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की 14वीं और 15वीं रात को मनाई जाती है. देश भर में शबे-बारात की गतिविधियां देखने को मिल रहीं हैं. कब्रिस्तान में जाकर मुसलमान भाई अपने पुरखों की कब्रों पर जाकर उनकी मगफिरत के लिए दुआएं मांगेंगे और मोमबत्तियां जलाकर रोशनी करेंगे.

 

आज की रात को मुसलमान पूरी रात जगराता करेंगे और अल्लाह की इबादत करेंगे. कुरान की तिलावत करेंगे और अपनों के लिए दुआएं करेंगे.

कुरान करीम की एक आयत के मुताबिक, ‘‘निस्संदेह हमने इसे धन्य रात में अवतरित किया है. निःसंदेह, हम ही सचेत करने वाले हैं. इस (रात) में हमारी आज्ञा द्वारा ज्ञान के सभी मामलों पर (अलग-अलग) निर्णय दिया जाता है.’’ (अल-कुरान, 44ः3-5)

इस रात को अल्लाह ताला अपने बंदों को उनकी गलतियों और गुनाहों के लिए क्षमा प्रदान करता है. शब-ए-बारात को माफी की रात भी कहा जाता है. इसलिए कई मुसलमान भाई इसे क्षमा-पर्व के तौर पर भी मनाते हैं और ने अपने रिश्तेदारों और जानकारों से जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए माफी मांगते हैं. इस रात को अगले वर्ष के लिए लोगों के भाग्य लिखे जाते हैं. इस रात को नूह पैगंबर के संदूक को जलप्रलय से बचाने की याद में मनाते हैं.

अकीदतमंदों ने कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों के लिए दुआएं कीं और उनकी मजारों पर मोमबत्ती की रोशनी की. ऐसी मान्यता है कि इस रात को पैगंबर मुहम्मद ने कब्रिस्तान में जाकर अपने परिवार के सदस्यों के लिए प्रार्थना की थी. शिया मुसलमान इस रात को 12वें इमाम मुहम्मद अल-महदी के जन्मदिन के रूप में मना रहे हैं. कई मुसलमान ने रोजा रखा है. ईशा की नमाज के बाद ‘तरावीह’ की नमाज का रिवाज है. इस रात को गरीबों और जरूरतमंदों को दान दिया जाता है. लोग भोजन, कपड़े, और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करते हैं.

देश भर से शबे बारात के रुझान मिलने शुरू हो गए हैंः

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

ये भी पढ़ें :  शब-ए-बारात में दिवाली का गुमां

ये भी पढ़ें :   हम बेहतर शब-ए-बारात कैसे मना सकते हैं?
ये भी पढ़ें :   दिलों को जोड़ता है सूफी संगीत: मशहूर गायक मुख्तियार अली
ये भी पढ़ें :   बाप-दादा से काम सीख मोहम्मद रफीक अंसारी बन गए अवार्डी
ये भी पढ़ें :   Fourth National Conference of AMP 2024: सरकार को विश्वास में लेकर काम करें, तो नतीजे अच्छे मिलेंगे- फारूक नजीब