सलामः ड्राइवर की बेटी सना अली अब इसरो के रॉकेट उड़ाएगी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 14-01-2023
सलामः ड्राइवर की बेटी सना अली अब इसरो के रॉकेट उड़ाएगी
सलामः ड्राइवर की बेटी सना अली अब इसरो के रॉकेट उड़ाएगी

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-विदिशा

बकौल फैज अहमद फैज, ‘‘फैज थी राह सर-ब-सर मंजिल, हम जहां पहुंचे कामयाब आए.’’ मध्य प्रदेश के विदिशा की बेटी सना अली ने कुछ इसी रूह से वो कारनामा कर दिखाया है कि मुंह से वाह और दिल से दुआ निकले. एक ड्राइवर की बेटी सना अली का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में तकनीकी सहायक अभियंता के पद पर इंतखाब हुआ. इत्तफाक पर गौर कीजिए कि एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली सना के वालिद साजिद अली उसी कॉलेज में बस ड्राइवर रहे, जहां से सना ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी. सना अली ने विदिशा जिले के एसएटीआई कॉलेज से बी.टेक और एम.टेक पूरा किया और हाल ही में उन्हें इसरो में नियुक्ति मिली है.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृहजनपद विदिशा की ही सना अली रहवासी हैं. उनकी इस बुलंदी पर मामा शिवराज फूले नहीं समा रहे. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया के अलावा भी सोशल मीडिया पर सना और उनके वालिद को ढेरों बधाईयां मिल रही हैं.

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सना अली को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने बधाई संदेश में उसे ‘विदिशा की बेटी’ की संज्ञा से बुलाते हुए कहा, ‘‘विदिशा की बेटी, सना अली को इसरो के सतीश धवन स्पेस सेंटर में टेक्निकल असिस्टेंट के रूप में चुने जाने पर हार्दिक बधाई! आप जैसी लाडलियां मध्यप्रदेश को गौरवान्वित और बेटियों के सामर्थ्य को प्रकट कर रही हैं. आपके सुखद, सफल और उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं.’’

 

 

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया ने कहा, ‘‘अनेकानेक बधाई, सना! आपके उज्ज्वल भविष्य हेतु शुभकामनाएँ. कठिन परिस्थितियों में भी प्राप्त आपकी यह उपलब्धि, पूरे मध्य प्रदेश के लिए गौरव की बात है.’’

 

 

 

विदिशा के निकासा मोहल्ले की रहवासी सना के पिता साजिद अली विदिशा के सम्राट अशोक टेक्निकल इंस्टीट्यूट (एसएटीआई) में ड्राइवर थे. तरक्कीयाफ्ता साजिद इसी कॉलेज में अपनी लियाकत से लैब असिस्टेंट भी बने. उन्होंने सना की शुरुआती तालीम के बाद इसी कॉलेज की इंजीनियरिंग शाखा में दाखिला दिलवाया. बेटी की आला तालीम के दौरान साजिद अली को कई बार पैसा-धेले की तंगी महसूस हुई और ये मजबूरी कर्जदारों के दरवाजे तक ले गई. इस जद्दोजहद में उन्होंने बेगम के गहने तक गिरवीं रख दिए और फाइनेंस का जुगाड़ करके सना की फीस भरी. मगर, उन्होंने सना के पंखों की परवाज को उरूज तक पहुंचा ही दिया. इसके लिए सना के परिजनों को तनातनी और तानों से भी दो चार होना पड़ा कि लड़की की जात है. इसे इतना पढ़ाने की क्या जरूरत है. ससुराल में उसे चूल्हा-चौका ही तो करना है. ज्यादा पढ़ जाएगी, तो पढ़ा-लिखा दूल्हा भी नहीं मिलेगा. अरे, इसकी तो उम्र शादी लायक हो गई है. बेहतर हो कि इसका निकाह करवा दो. वगैरह-वगैरह. मगर साजिद सब नजरअंदाज कर गए. सबकी सुनते रहे और मन की करते रहे. सना की वाहवाही से पहले, साजिद अली को उनकी शिद्दतभरी कुर्बानी के लिए जजाकअल्लाह.

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सना के गर्वित पिता साजिद का कहना है, ‘‘मैंने अपनी बेटी को शिक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत की. तमाम आर्थिक तंगी के बावजूद हमने उसकी पढ़ाई जारी रखी. मैंने अपनी बेटी से कहा कि उसे हर हाल में पढ़ाई पूरी करनी है और अपना लक्ष्य हासिल करना है. मेरी बेटी ने भी अपनी पढ़ाई में पूरी मेहनत की और इस मुकाम पर पहुंची. हम बहुत खुश हैं. मैं प्रार्थना करता हूं कि मेरी बेटी अधिक से अधिक आगे बढ़े.’’

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सना ने एसएटीआई इंस्टीट्यूट से बी.टेक और एम.टेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद साइंसदां होने का ख्वाब सजोए कंपटीशन की तैयारियां कीं और मंजिले-मकसूद को हासिल किया. सना को आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) में पहली तैनाती मिली है और वे तकनीकी सहायक के तौर पर काम करेंगी. इसरो का यह केंद्र एक राकेट लांचर केंद्र है, जहां अत्याधुनिक तकनीक वाले राकेटों का प्रक्षेक्षण किया जाता है. खातिर जमा रहे, इसरो एकसाथ सौ राकेट छोड़ने वाला धरती के पहले इदारे का रुतबा भी रखता है.

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सना ने मीडिया से कहा, “मैं मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूँ. मैं सभी महिलाओं को एक संदेश देना चाहती हूं कि किसी भी कीमत पर शिक्षा प्राप्त करें. आपने अपने जीवन में जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे प्राप्त करने के लिए सभी प्रयास करें. आपको अपने रास्ते में आने वाली सभी असफलताओं को अलग रखते हुए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है.’’ गौरतलब है कि सना ने पढ़ाई में ही मेहनत नहीं की, बल्कि वह अपने तालीम के मुताल्लिक खर्चे पूरे करने के लिए ट्यूशन में छोटे बच्चों को भी पढ़ाती थीं.