नई दिल्ली. चीनी सरकार ने पूर्वी तुर्किस्तान (जिसे चीन शिनजियांग कहता है) में पर्यटकों के लिए या कम से कम उन लोगों के लिए दरवाजा खोल दिया है जिन्हें वह आमंत्रित करने योग्य समझती है. कुछ संगठनों ने शिनजियांग की यात्रा को 'नरसंहार पर्यटन' कहा है, क्योंकि इस क्षेत्र में चीन ने करोड़ों उइघुर मुस्लिमों का सफाया कर दिया है.
रेडियो फ्री एशिया ने बताया कि अधिकारी पहले राजनयिकों, पत्रकारों और "चीन के मित्र" माने जाने वाले लोगों को ही अंदर जाने देते थे, अब वे मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता के रूप में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र में चीन की छवि पर से कुछ दाग हटाने के लिए अशांत सुदूर-पश्चिमी क्षेत्र को एक प्रकार के पर्यटन स्थल के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं.
रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, विभिन्न देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 4,300 से अधिक लोगों वाले लगभग 400 प्रतिनिधिमंडलों और समूहों ने 2023 में झिंजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र का दौरा किया.
रेडियो फ्री एशिया के मुताबिक ह्मूमन राइट्स फाउंडेशन की कानूनी और कार्यक्रम अधिकारी क्लाउडिया बेनेट ने कहा कि सुनियोजित दौरे में जबरन पारिवारिक अलगाव, लाखों लोगों को एकाग्रता या जबरन श्रम शिविरों में मनमाने ढंग से हिरासत में रखना और निर्वासन में रह रहे हजारों उइगरों और जबरन राज्यविहीन कर दिए जाने की कठोर वास्तविकताओं को छिपाया गया है.
उन्होंने रेडियो फ्री एशिया को बताया, "उइघुर क्षेत्र के अपने उपनिवेशीकरण को वैध बनाने के रणनीतिक प्रयास में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी सावधानीपूर्वक राजनयिकों, पत्रकारों और धार्मिक विद्वानों के लिए प्रचार यात्राओं का आयोजन करती है." "ये दौरे सीसीपी के घोर मानवाधिकार उल्लंघनों को छुपाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं."
अमेरिका स्थित उइघुर ह्यूमन राइट्स फाउंडेशन या यूएचआरपी ने पिछले 30 अगस्त को जारी एक रिपोर्ट में इन यात्राओं को "नरसंहार पर्यटन" कहा था और कहा था कि यात्रा करने वाले चीन को शिनजियांग में होने वाले नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों को छिपाने में मदद करते हैं.
विश्व उइघुर कांग्रेस के अध्यक्ष डोल्कुन ईसा ने जंकटों की आलोचना को एक कदम आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा, "चीन के दुष्प्रचार में सहयोग करना नरसंहार में शामिल होने के बराबर एक गंभीर अपराध है." उन्होंने कहा, "मानवता नहीं भूलेगी और उइगर राष्ट्र भी नहीं भूलेगा. इसमें शामिल लोगों को इतिहास के सामने जवाबदेह ठहराया जाएगा."
ये भी पढ़ें : अजमेर दरगाह की मजार से उतरा संदल, जन्नती दरवाजा खुला
ये भी पढ़ें : महात्मा गांधी अंग्रेजों के विरुद्ध शक्ति के इस्तेमाल के खिलाफ नहीं थेः एनएसए डोभाल
ये भी पढ़ें : तालीम के लिए जागरूकता का उठाया बीड़ा, मारवाड़ शेख सय्यद मुगल पठान विकास समिति की पहल