Sakina Akhtar: The story of struggle and success of women's national cricket coach
सकीना अख्तर, जो आज भारतीय महिला क्रिकेट की एक अहम कोच हैं, उनका सफर श्रीनगर की गलियों से शुरू हुआ. मुन्नवराबाद इलाके में पली-बढ़ी सकीना बचपन से ही क्रिकेट के प्रति दीवानी थीं. वह अपने मोहल्ले की अकेली लड़की थीं जो लड़कों की क्रिकेट टीम में खेला करती थीं. उन्हें क्रिकेट के गुर वहीं सिखने को मिले—बाउंसर खेलना, कैच पकड़ना और जीवन की कठिन परिस्थितियों में डटे रहना. यहां प्रस्तुत है सकीना अख्तर पर दानिश अली की खास रिपोर्ट.
पहला बड़ा मौका और शुरुआती संघर्ष
1998 में दिल्ली में अपने पहले अंडर-19 नेशनल मैच में 'वुमन ऑफ द सीरीज़' बनने के बाद जब उनका करियर उड़ान भरने ही वाला था, तभी सामाजिक दबावों के चलते उन्हें पीछे हटना पड़ा. लेकिन उन्होंने खेल को छोड़ने की बजाय कोचिंग का रास्ता चुना और तय किया कि अगर वह खेल नहीं सकतीं तो दूसरों को सिखाएंगी.
सकीना ने खुद को कोचिंग के लिए प्रशिक्षित किया और बिना किसी संस्थागत समर्थन के युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देना शुरू किया. उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और 2017 में उन्हें कश्मीर विश्वविद्यालय में आधिकारिक कोच नियुक्त किया गया.
अगले आठ सालों तक उन्होंने वहां लड़कों और लड़कियों दोनों को सिखाया, और एक अनुशासित लेकिन संवेदनशील कोच के रूप में पहचान बनाई. उनके मार्गदर्शन में कई अंडर-19 खिलाड़ी राज्य स्तर पर पहुंचे और अब कुछ राष्ट्रीय चयन की दहलीज पर हैं.
सकीना बताती हैं...'बहुत सी लड़कियां जो मेरे पास आती थीं, उन्हें खुद पर विश्वास नहीं होता था. मैं बस उन्हें अपना उदाहरण देती थी—अगर मैं कर सकती हूं तो तुम भी कर सकती हो.'
राष्ट्रीय पहचान और नई जिम्मेदारी
2025 में सकीना को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) द्वारा अंडर-19 महिला राष्ट्रीय टीम का सहायक कोच नियुक्त किया गया. इसके बाद उन्हें वरिष्ठ महिला टीम के कोचिंग पैनल में भी शामिल किया गया और इसी के साथ वह जम्मू-कश्मीर की पहली महिला बनीं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ.
लड़कियों का मनोबल बढ़ाते हुए
उनकी इस उपलब्धि ने कश्मीर में लड़कियों के लिए खेल के नए द्वार खोल दिए हैं. श्रीनगर की नई क्रिकेट अकादमियों में अब लड़कियों के लिए विशेष सेशन रखे जा रहे हैं. वह अकेली लड़की जो कभी मैदान पर अकेली होती थी, अब उसकी प्रेरणा से दर्जनों लड़कियां क्रिकेट का बल्ला थाम रही हैं.
सपनों की उड़ान और आगे की योजनाएं
सकीना अब कश्मीर में लड़कियों के लिए एक रेसिडेंशियल क्रिकेट अकादमी शुरू करने की योजना बना रही हैं. उनका सपना है कि वह उन लड़कियों को बेहतर प्रशिक्षण, exposure और आत्मविश्वास दें जो समाज की बंदिशों में घिरी होती हैं.
कश्मीर विश्वविद्यालय की महिला खिलाड़ियों के साथ
सकीना अब अपनी यात्रा को शब्दों में भी दर्ज करना चाहती हैं. वह ‘बियॉन्ड द बाउंड्री’ नाम से एक पुस्तक लिखने जा रही हैं, जिसमें वह अपने जीवन के उतार-चढ़ाव, समाज से टकराव और क्रिकेट के प्रति अपने प्रेम की कहानी साझा करेंगी.
लड़कियों को क्रिकेट सिखाते हुए
सकीना अख्तर सिर्फ एक कोच नहीं हैं, बल्कि वह एक प्रतीक हैं उन लाखों लड़कियों के लिए जो यह मान चुकी थीं कि मैदान सिर्फ लड़कों के लिए होता है. उन्होंने अपने जुनून और हिम्मत से न सिर्फ अपने लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए रास्ता बनाया है. उनकी कहानी यह संदेश देती है कि अगर जज़्बा हो, तो कोई भी सीमा आपकी उड़ान को नहीं रोक सकती.