वॉशिंगटन
अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने नई जानकारी जुटाई है जिससे संकेत मिलता है कि इज़रायल ईरान की परमाणु सुविधाओं पर सैन्य हमले की गंभीर तैयारी कर रहा है। यह खुलासा ऐसे समय पर हुआ है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अगुवाई वाली अमेरिकी सरकार अब भी ईरान के साथ परमाणु मसले पर कूटनीतिक समाधान तलाश रही है। यह जानकारी सीएनएन ने मंगलवार को अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से दी है।
हालांकि, इज़रायल ने अभी तक अंतिम निर्णय नहीं लिया है, लेकिन सीएनएन के अनुसार, हमले की संभावना बीते कुछ महीनों में काफी बढ़ गई है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर जारी अमेरिका-ईरान वार्ता के परिणाम पर यह फैसला निर्भर करेगा।
सीएनएन ने एक अधिकारी के हवाले से बताया, “यदि वॉशिंगटन की वार्ता ईरान के यूरेनियम संवर्धन को रोकने में विफल रहती है, तो इज़रायल की ओर से सैन्य कार्रवाई की संभावना बेहद बढ़ जाती है।”
अमेरिकी आकलन इंटरसेप्ट की गई इजरायली संचार सूचनाओं और सैन्य गतिविधियों के आधार पर किया गया है। इसमें हवाई हथियारों की तैनाती में बदलाव और एक बड़े इजरायली हवाई युद्धाभ्यास की समाप्ति जैसे कदम शामिल हैं।
हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया कि यह सब इज़रायल की एक कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य ईरान पर दबाव बनाना है, न कि तुरंत हमला करना।
सीएनएन के अनुसार, यदि इज़रायल वास्तव में हमला करता है तो यह ट्रम्प प्रशासन की मौजूदा कूटनीतिक नीति से बड़ा विचलन होगा और मध्य पूर्व में व्यापक संघर्ष की आशंका बढ़ सकती है।
गौरतलब है कि 2023 में गाजा युद्ध छिड़ने के बाद से अमेरिका क्षेत्र में किसी भी तरह की नई सैन्य टकराव से बचने की कोशिश कर रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने चेतावनी दी है कि वार्ता विफल होने पर सैन्य विकल्प खुला रहेगा, लेकिन फिलहाल वे कूटनीति को प्राथमिकता दे रहे हैं।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च में ट्रम्प ने ईरानी सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई को एक पत्र भेजा, जिसमें 60 दिनों के भीतर परमाणु समझौते तक पहुंचने की चेतावनी दी गई थी। यह समयसीमा अब खत्म हो चुकी है और वार्ता को शुरू हुए पांच सप्ताह से अधिक हो चुके हैं।
इस बीच, एक वरिष्ठ पश्चिमी राजनयिक ने सीएनएन को बताया कि ट्रम्प ने हाल ही की एक बैठक में यह संकेत दिया है कि वह वार्ता को सफल होने के लिए कुछ सप्ताह का समय और देंगे, उसके बाद ही सैन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
दूसरी ओर, इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू एक बेहद मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं। सीएनएन के मुताबिक, नेतन्याहू अमेरिका-ईरान के संभावित कमजोर समझौते को रोकना चाहते हैं, लेकिन साथ ही वॉशिंगटन के साथ रणनीतिक साझेदारी को भी बनाए रखना उनके लिए जरूरी है।
इस स्थिति में यदि कोई हमला होता है, तो यह न केवल ईरान और इज़रायल के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा देगा, बल्कि पूरा पश्चिम एशिया क्षेत्र एक और व्यापक संघर्ष की ओर बढ़ सकता है।