International Booker Prize 2025: कर्नाटक की Banu Mushtaq को ‘Heart Lamp’ के लिए वैश्विक सम्मान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 21-05-2025
International Booker Prize 2025: Karnataka's Banu Mushtaq gets global honour for 'Heart Lamp'
International Booker Prize 2025: Karnataka's Banu Mushtaq gets global honour for 'Heart Lamp'

 

आवाज द वाॅयस / लंदन/बेंगलुरु

दक्षिण भारत की गूंज अब विश्व साहित्य के मंच पर सुनाई दे रही है. कर्नाटक की मुस्लिम लेखिका और महिला अधिकार कार्यकर्ता बनू मुश्ताक की कन्नड़ में लिखी लघुकथाओं की संग्रह ‘Heart Lamp’ को इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार 2025 से नवाज़ा गया है. दीपा भास्‍ती द्वारा अंग्रेज़ी में अनूदित इस संग्रह को यह प्रतिष्ठित सम्मान 20 मई की रात लंदन के टेट मॉडर्न में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया.

यह पहली बार है जब किसी कन्नड़ भाषा की कृति और लघुकथाओं के संग्रह को इस अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. साथ ही, यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली बनू मुश्ताक दूसरी भारतीय लेखिका बनी हैं, जबकि दीपा भास्‍ती पहली भारतीय अनुवादक हैं जिन्हें यह खिताब मिला है.

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 कैसी है 'Heart Lamp'? – एक नारीवादी प्रतिरोध की गाथा

12 कहानियों के इस संग्रह में बनू मुश्ताक ने तीन दशकों के दौरान उन स्त्रियों के जीवन को उजागर किया है, जो दक्षिण भारत के पितृसत्तात्मक समाज में अवमानना, अत्याचार और असमानता का सामना करती हैं. लेकिन ये कहानियाँ केवल पीड़ा नहीं, बल्कि प्रतिरोध, जिजीविषा, बहनापा और आत्मबल का भी बयान हैं.

चाहे वो कठोर मां हो या तेज-तर्रार दादी, सहने वाले पति हों या टूटे हुए बच्चे—हर पात्र वास्तविक ज़िंदगी के संघर्ष से उपजा है. यही वजह है कि बनू मुश्ताक की लेखनी को प्रगतिशील बंदाया साहित्य आंदोलन की मुखर आवाज़ माना गया.

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 बनू मुश्ताक: वकील से साहित्यकार तक

बनू मुश्ताक पेशे से वकील हैं और कर्नाटक की महिलाओं के अधिकारों की प्रमुख पैरोकार रही हैं. उन्होंने कहा:“इन कहानियों की प्रेरणा मेरे पास मदद के लिए आने वाली महिलाओं से मिली. उनके दुख-दर्द को देखकर मेरा दिल दहल उठता था और वही भावनाएँ मेरी कलम बन जाती थीं.”

1990 से 2023 तक लिखी गई इन कहानियों को छह संग्रहों में प्रकाशित किया गया, जिनमें से 12 को दीपा भास्‍ती ने चुना और अंग्रेज़ी में अनूदित किया.

दीपा भास्‍ती: 'कन्नड़ लहजे वाली अंग्रेज़ी' की अनुवादक

दीपा भास्‍ती ने ‘Heart Lamp’ को अनुवाद करते हुए ‘translating with an accent’ की प्रक्रिया अपनाई, जिससे अनुवाद में कन्नड़, उर्दू और अरबी शब्दों की मौलिकता बरकरार रही.“मुझे जिस समुदाय की कहानियाँ मिल रही थीं, उसके बारे में कम जानकारी थी. इसलिए मैंने उर्दू सीखना शुरू किया, नुसरत फ़तेह अली ख़ान और अली सेठी जैसे संगीतकारों को सुना, ताकि उस भाव-भूमि को आत्मसात कर सकूँ.”

 अंतरराष्ट्रीय ख्याति का मुकाम

  • ‘Heart Lamp’ को 2025 के इंटरनेशनल बुकर के छह फाइनलिस्ट्स में चुना गया था.

  • यह पुरस्कार कला, संगीत, साहित्य और फिल्म जगत के सितारों की मौजूदगी में प्रदान किया गया.

  • निर्णायक मंडल के अध्यक्ष मैक्स पोर्टर ने इसे "English पाठकों के लिए कुछ वास्तव में नया" बताया.

“Heart Lamp एक अनूठा अनुवाद है जो अंग्रेज़ी में बहुवचन भाषिक बनावट लाता है. यह महिलाओं के जीवन, प्रजनन अधिकारों, जाति और शक्ति के सवालों पर नए सिरे से सोचने को बाध्य करता है.”

 कन्नड़ साहित्य की ऐतिहासिक उपलब्धि

  • कन्नड़ भारत की एक प्रमुख भाषा है, जिसे लगभग 6.5 करोड़ लोग बोलते हैं.

  • यह पहली बार है जब किसी कन्नड़ कृति को इंटरनेशनल बुकर मिला.

  • बनू मुश्ताक की कृतियाँ इससे पहले हिंदी, उर्दू, तमिल और मलयालम में भी अनूदित हो चुकी हैं.

भव्य समारोह में भारत की आवाज़

  • समारोह में ‘Heart Lamp’ से अंश का पाठ अभिनेत्री अंबिका मोड ने किया.

  • संगीत प्रस्तुति रही थी बेथ ऑर्टन की 'Pass in Time'.

  • लाइव प्रसारण YouTube, Instagram और TikTok पर हुआ.

 क्यों महत्वपूर्ण है यह जीत?

  1. यह दक्षिण भारतीय मुस्लिम महिला लेखन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थान देता है.

  2. यह अनुवाद के क्षेत्र में भारतीय योगदान को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाता है.

  3. यह कहानी कहने की लोक परंपराओं और मौखिक विरासत की ताकत को रेखांकित करता है.

 साहित्य का नया सूरज

‘Heart Lamp’ केवल कहानियों का संग्रह नहीं, बल्कि एक सामाजिक दस्तावेज़ है, जो भारत की बहुसांस्कृतिक परतों, धार्मिक-भाषायी विविधताओं और स्त्री प्रतिरोध की धड़कनों को सामने लाता है.