आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली/ इस्तांबुल
तुर्की में व्यंग्य पत्रिका लेमैन द्वारा प्रकाशित एक कार्टून ने देश में भारी आक्रोश और प्रदर्शन की लहर पैदा कर दी है. कार्टून में पैगंबर मुहम्मद और पैगंबर मूसा को मिसाइलों की बौछारों के बीच एक-दूसरे से हाथ मिलाते हुए दिखाया गया था. इसे लेकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने का आरोप लगाते हुए व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.
इस विवादास्पद चित्र के सामने आने के बाद तुर्की सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए लेमैन के चार वरिष्ठ कर्मचारियों — कार्टूनिस्ट, ग्राफिक डिजाइनर, प्रधान संपादक और संस्थागत निदेशक — को हिरासत में ले लिया. आंतरिक मंत्री अली येरलिकाया ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की वीडियो साझा करते हुए लिखा, “जो हमारे पैगंबरों का अपमान करेगा, उसे कानून की पूरी ताकत का सामना करना पड़ेगा.
उन्होंने इसे “इस्लामोफोबिक घृणा अपराध” करार दिया और कठोर सजा का वादा किया.विवादित कार्टून में दो स्पीच-बबल चरित्र दिखाए गए हैं—एक कहता है, “सलाम अलेकुम, मैं मुहम्मद हूं”, दूसरा जवाब देता है, “अलेकुम सलाम, मैं मूसा हूं”. ये दोनों आकृतियाँ बमबारी से तबाह एक शहर के ऊपर मंडराते हुए दिखाए गए हैं. आलोचकों का कहना है कि यह छवि दोनों पैगंबरों की पवित्रता का मज़ाक उड़ाती है और उन्हें युद्ध के एक व्यंग्यात्मक प्रतीक में बदल देती है.
राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने भी इस चित्रण की निंदा करते हुए इसे “घृणित उकसावा” बताया और धार्मिक संवेदनाओं को आहत करने वाला करार दिया.हालांकि लेमैन के प्रधान संपादक टुनके अकगुन ने AFP से बातचीत में इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कार्टून में पैगंबरों को नहीं, बल्कि “मुहम्मद” नामक एक आम नागरिक को दिखाया गया है, जो हालिया इज़राइली हमले में मारा गया एक काल्पनिक पात्र है.
उन्होंने कहा, “दुनिया में दो सौ मिलियन से ज़्यादा लोग मुहम्मद नाम रखते हैं. यह कार्टून किसी पैगंबर को चित्रित नहीं करता, बल्कि युद्ध में मारे गए आम नागरिकों की त्रासदी पर व्यंग्य है.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “हम कभी भी धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर ठेस नहीं पहुंचाते.”
इस सफाई के बावजूद, सोशल मीडिया पर #lemandergisikapatilsin और #lemankapatilsin जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जिनमें पत्रिका को बंद करने की मांग की जा रही है. पुलिस द्वारा प्रतिबंध के बावजूद इस्तांबुल में सैकड़ों प्रदर्शनकारी लेमैन के दफ्तर के बाहर जमा हुए और पुलिस से झड़पें हुईं. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को पानी की बौछारों का सहारा लेना पड़ा.
तुर्की में इससे पहले भी धार्मिक शख्सियतों के व्यंग्य चित्रण को लेकर विवाद होते रहे हैं. देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक आस्था के बीच की खींचतान बार-बार सामने आती रही है. अब लेमैन के खिलाफ शुरू हुई कानूनी प्रक्रिया इस बात की अगली परीक्षा मानी जा रही है कि तुर्की में कलात्मक स्वतंत्रता और ईशनिंदा क़ानूनों की सीमाएं किस हद तक तय हैं.
⚡️A Turkish weekly publication recently published a caricature depicting the Prophets Muhammad and Moses, which sparked strong reactions, with protesters raising the banner
— Warfare Analysis (@warfareanalysis) July 1, 2025
“There is no god but Allah, Muhammad is the Messenger of Allah” atop the magazine’s building pic.twitter.com/LzywijdC4f
आगामी महीनों में यह मामला देश के न्यायिक और सांस्कृतिक विमर्श के केंद्र में बना रह सकता है, जहाँ एक ओर अभिव्यक्ति की आज़ादी की मांग है, तो दूसरी ओर धार्मिक मूल्यों की रक्षा की पुरज़ोर अपील भी.