कौन हैं मेहरुन्निसा?, जो चलाती हैं बाउंसर कंपनी, 2500 लोगों को दिया रोजगार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-06-2024
Who is Mehrunnisa?, who runs a bouncer company, gives employment to 2500 people
Who is Mehrunnisa?, who runs a bouncer company, gives employment to 2500 people

 

इमरान खान/नई दिल्ली

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जन्मी मेहरुन्निसा ने वह कर दिखाया, जो शायद देश की आम लड़की करने में हिचकिचाए. वह देश की पहली मुस्लिम महिला बाउंसर बन चुक हैं. साथ ही वह अब अपनी ‘मर्दानी बाउंसर’ और डॉलफिन सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी चलाती हैं, जिसके माध्यम से वह लगभग 2500 लोगों को काम देती हैं.

आवाज- द वॉयस से बात करते हुए मेहरुन्निसा ने बताया, ‘‘एक रूढ़िवाद मुस्लिम परिवार में बचपन आप मुस्लिम लड़कियों की तरह नहीं था. पिताजी नहीं चाहते थे कि घर की लड़कियां पढ़ें. क्यूंकि उनके अंदर डर था कि अगर वह पढ़-लिख जाएंगी, तो अपने मन का करेंगी.’’

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7 भाई-बहनों में तीसरे स्थान पर मेहरुन्निसा का जन्म हुआ था. उन्हें बड़े परिवार के चलते शुरू से ही गरीबी में जीवन बिताना पड़ा. मेहरुन्निसा की माता चाहती थीं कि लड़कों के साथ-साथ घर की लड़कियां भी पढ़ाएं, जिसके लिए उन्होंने अपने पति से लड़ाई की और मेहरुन्निसा और उनकी बहनों का दाखिला इस्लामिया गर्ल्स स्कूल में करा दिया.

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इस्लामिया स्कूल से मेहन्निसा ने 12वीं तक पढ़ाई की. उसके बाद उन्होंने चैधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से हिंदी अॉनोर्स में ग्रेजुएशन की.

कैसे बनीं मुस्लिम महिला बाउंसर

आवाज-द वॉयस से फोन पर बातचीत करते हुए उन्होंने आगे बताया कि पिताजी के बिजनेस में घाटे के बाद उन्हें हार्ट अटैक आ गया, तो इलाज के लिए वह उन्हें दिल्ली लेकर आये, जहाँ मेहरुन्निसा ने पहली बार एक पुरुष बाउंसर को देखा, जिसे देखकर उन्हें लगा कि वह शायद आर्मी की जॉब है. मेहरुन्निसा का सपना आर्मी में जाने का था.

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2003 में मेहरुन्निसा दिल्ली आयीं, उस वक्त बाउंसर को स्थाई जॉब नहीं मिलती थी और महिला बाउंसर जैसी कोई जॉब होती ही नहीं थीं. एक इवेंट में मेहरुन्निसा ने पुरुष बाउंसर से जॉब के लिए पूछा, तो उसने मेहरुन्निसा की कद काठी देख कर जॉब पर रख लिया.

2003 से 2008 तक मेहरुन्निसा घर पर बिना बताये दिल्ली आतीं और इवेंटस में एक महिला बाउंसर की तरह जॉब करतीं. तब उन्हें एक दिन के 250 रुपए मिलते थे. उसके बाद मेहरुन्निसा ने हौज खास मेंएक महिला बाउंसर की जॉब करना शुरू किया.

वहां एक पत्रकार की नजर मेहरुन्निसा पर पड़ी और उन्होंने मेहरुन्निसा से उनकी कहानी पूछी, जिसके बाद पत्रकार ने जाना कि देश में कोई भी महिला बाउंसर नहीं है, जो क्लब और इवेंटस पर महिलाओं को सुरक्षा देती हो. जिसके बाद मेहरुन्निसा को देश की पहली मुस्लिम महिला बाउंसर का खिताब मिला.

कंपनी खोली

मेहरुन्निसा ने 2010 में मर्दानी बाउंसर एवं डॉलफिन सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी खोली. कंपनी खोलने का उद्देश्य था कि वह अपनी कंपनी के जरिये वह हर चीज बदलना चाहती थीं, जो की लेडीज बाउंसर के साथ गलत होती हैं.

जैसे पुरुष बाउंसर का बर्ताब महिला बाउंसर के साथ अच्छा नहीं होता है. वह उनके साथ बराबरी का बर्ताब नहीं करते हैं. बाउंसर की जॉब ज्यादातर रात की होती है, जिसके चलते महिला बाउंसर को हमेशा अपनी सिक्योरिटी की चिंता रहती है. कंपनियों के मालिक महिला बाउंसर को ‘ले जाने’ और ‘छोड़ने’ की सुविधा नहीं देते हैं.

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लेडीज बाउंसर को पहले केवल गार्ड बोला जाता था, मैंने विरोध किया, तो उन्हें लेडीज बाउंसर बोला गया. आगे का लक्ष्य लेडीज बाउंसर को और सम्मान दिलवाने का है.

उन्होंने बताया कि ‘मर्दानी बाउंसर’ के माध्यम से मैं लेडीज बाउंसर को मार्शल  आर्ट की ट्रेनिंग देना चाहती हूं, ताकि वह अपनी और महिलाओं की अच्छे से सुरक्षा कर सकें. क्यूंकि ज्यादातर कंपनियों में महिला बाउंसर की कोई भी फाइटिंग ट्रेनिंग नहीं होती है.

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मेहरुन्निसा बताती हैं कि, ‘‘कंपनी चलाने में अभी काफी मुश्किलों का सामान करना पड़ रहा है, कुछ बड़े लोग नहीं चाहते हैं कि ‘मर्दानी बाउंसर’ चले, ताकि कोई लड़की उनके बराबर में आकर ना बैठ सके, इसलिए वह उन्हें काम नहीं देते हैं.’’

हालांकि अभी मेहरुन्निसा मर्दानी बाउंसर के जरिये 2500 लोगो को काम दे रहीं हैं. उनका कहना है कि बेरोजगारी के चलते काफी लोग उनसे काम मांगते हैं और जैसा भी छोटा या बड़ा काम उनके पास होता है, वह लोगों की मदद करने के लिए उन्हें दे देती हैं.

अवार्ड से सम्मानित

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हिंदुस्तान टाइम्स अखबार के महिला प्रोग्राम में उन्हें रानी मुखर्जी के हाथों से देश की पहली बाउंसर का अवार्ड मिला है. इंडिया बुक अॉफ रिकॉर्ड ने भी उन्हें एक महिला बाउंसर होने के नाते सम्मानित किया है. इसी तरह, 2021 में मेहरुन्निसा को केजरीवाल सरकार में पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने देश की पहली महिला बाउंसर होने के नाते सम्मानित किया था.