हम पहले भारतीय हैं, हिन्दू-मुसलमान बाद में: कर्नल सोफिया कुरैशी का परिवार

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 08-05-2025
We are Indians first, Hindus and Muslims later: Colonel Sofia Qureshi's family
We are Indians first, Hindus and Muslims later: Colonel Sofia Qureshi's family

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
हम पहले भारतीय हैं और बाद में मुसलमान. हमें सिर्फ़ अपने देश की फिक्र है.' ये बात गुजरात के वडोदरा में मीडिया से बात करते हुए कर्नल सोफिया के पिता ताज मोहम्मद कुरैशी ने कही. कर्नल सोफिया कुरैशी के परिवार को केवल देश की फिक्र है. ताज मोहम्मद ने कहा, 'मुझे अपनी बेटी पर गर्व है. मेरा परिवार हमेशा ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’ (हम राष्ट्र को जीवंत और जागृत बनाए रखेंगे) के सिद्धांत का पालन करता आया है. 

गौरतलब है कि भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी ने मीडिया को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देते हुए सुर्खियां बटोरीं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद बुधवार को उन्होंने विदेश सचिव विक्रम मिसरी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ ‘ब्रीफिंग’ की. 
 
कर्नल सोफिया कुरैशी के चर्चे पूरे देशभर में हैं, वह  सोशल मीडिया पर च गई हैं. गुजरात में  उनके परिवार का गर्व से सीना चौड़ा हो गया है. उनके परिवार के अनुसार वडोदरा शहर की कर्नल सोफिया ने सेना में अधिकारी बनने के लिए पीएचडी और शिक्षण कार्य छोड़ दिया था. उनके माता-पिता और भाई मोहम्मद संजय कुरैशी शहर के तंदलजा इलाके में रहते हैं. 
 
 
मेरा परिवार हमेशा ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’ सिद्धांत का पालन करता आया है: सोफिया के पिता ताज मोहम्मद  

सोफिया का पिता ताज मोहम्मद ने कहा, पाकिस्तान के लिए कहा कि पाकिस्तान बहुत गंदा कंट्री है, मैं उसके बारे में बात करना भी पसंद नहीं करता. भारत का पहले ही एक्शन लेना चाहिए था. जब बेटी को टीवी पर देखा तो मैं भावुक हो गया.
 
सोफिया का पिता ने कहा, 'हमें प्राउड है इस चीज का कि हमारी बेटी ने हमारे देश के लिए कुछ किया है. हमारा सिंद्धांथ रहा है कि हमें अपने राष्ट्र के लिए सबकुछ करना है. हम पहले भारतीय हैं, बाद में हिंदू या मुसलमान.'
 
कर्नल सोफिया कुरैशी की मां हलीमा कुरैशी ने कहा कि, ''हमने अपनी बहनों और माताओं के सिंदूर का बदला ले लिया है. सोफिया अपने पिता और दादा के नक्शेकदम पर चलना चाहती थी, जो सेना में थे. वह बचपन में कहा करती थी कि जब वह बड़ी होगी तो सेना में शामिल होगी.''
 
सोफिया के भाई संजय ने कहा कि उनकी बहन को दादा और पिता से प्रेरणा मिली जो सेना में थे. संजय ने कहा, 'आप कह सकते हैं कि देशभक्ति हमारे खून में है. स्कूल खत्म करने के बाद सोफिया ने वडोदरा में एम एस यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री में बीएससी और फिर एमएससी किया, क्योंकि वह प्रोफेसर बनना चाहती थी.'
 
कर्नल सोफिया कुरैशी के परिवार ने कहा 'देशभक्ति हमारे खून में है' 
 
कर्नल सोफिया के भाई मोहम्मद संजय कुरैशी ने कहा, "वह मेरी आदर्श है. हम लंबे समय से बदला लेने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन हम कभी नहीं सोच सकते थे कि ऐसा बदला लिया जाएगा या प्रेस कॉन्फ्रेंस परिवार के किसी सदस्य द्वारा की जाएगी. 
 
हमें सुखद आश्चर्य हुआ कि हमारे परिवार को इतना बड़ा अवसर मिला." उनकी मां हलीमा कुरैशी कहती हैं, "हमने अपनी बहनों और माताओं के सिंदूर का बदला लिया है. सोफिया अपने पिता और दादा के नक्शेकदम पर चलना चाहती थी, जो सेना में थे. वह बचपन में कहती थी कि जब वह बड़ी होगी तो सेना में शामिल होगी." उनके पिता ताज मोहम्मद कुरैशी कहते हैं, "हमें बहुत गर्व है. हमारी बेटी ने हमारे देश के लिए बहुत बड़ा काम किया है... पाकिस्तान को नष्ट कर देना चाहिए. मेरे दादा, मेरे पिता और मैं सभी सेना में थे. अब वह भी सेना में है."
 
 
पिता और दादा की तरह सोफिया ने भी पकड़ी सेना की राह
 
सोफिया और सायना दो बहनें हैं. सोफिया का जन्म 1976 में पुणे में हुआ था. सोफिया के परिवार में वो तीसरी पीढ़ी है, जिन्होने सेना में भर्ती होकर देश सेवा का संकल्प लिया. सोफिया के पिता ताज मोहम्मद कुरैशी भी आर्मी में थे. 
 
भारतीय सेना में शामिल होने के लिए पीएचडी और शिक्षण करियर छोड़ा 

मोहम्मद संजय कुरैशी के साथ उनके पिता ताज मोहम्मद कुरैशी, मां हनीमा और बेटी जारा भी थे. संजय ने कहा, 'मेरी बहन सहायक व्याख्याता के रूप में विश्वविद्यालय से जुड़ी और साथ ही उसी विषय में पीएचडी भी की, क्योंकि वह प्रोफेसर बनना चाहती थी. इस बीच, उसका चयन शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भारतीय सेना में हो गया और उसने सेना में शामिल होने के लिए अपनी पीएचडी और शिक्षण करियर छोड़ने का फैसला किया.'
 
 
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी

गुजरात की रहने वाली कर्नल सोफिया ने 1997 में मास्टर्स किया और फिर सेना की सिग्नल कोर में शामिल हो गईं. सोफिया के पति भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में अधिकारी हैं. वर्ष 2016 में कर्नल सोफिया ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब वह विदेश में भारतीय सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं. वह ‘फोर्स 18’ में भाग लेने वाले 18 देशों में एकमात्र महिला कमांडर बनीं, जो आसियान प्लस देशों का एक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास है. संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों के तहत छह वर्ष के कार्यकाल के दौरान 2006 में उन्हें कांगो में तैनात किया गया था.
 
कुरैशी की सबसे चर्चित उपलब्धि मार्च 2016 में मिली, जब वह पुणे में आयोजित भारत द्वारा आयोजित सबसे बड़े विदेशी सैन्य अभ्यास, एक्सरसाइज फोर्स 18 में 40 सदस्यीय भारतीय सेना दल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं. इस बहुराष्ट्रीय अभ्यास में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस, जापान और दक्षिण कोरिया सहित 18 आसियान प्लस देशों की भागीदारी थी, जिसका मुख्य ध्यान शांति अभियानों (पीकेओ) और मानवीय खदान कार्रवाई (एचएमए) पर था.
 
2010 से कर्नल कुरैशी नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान केंद्र से जुड़ी हुई हैं. उन्होंने भारत भर में आतंकवाद विरोधी पोस्टिंग में भी काम किया है, जिससे उच्च दबाव वाले वातावरण में उनके कौशल को निखारा गया है.
 
कुरैशी की सबसे चर्चित उपलब्धि मार्च 2016 में मिली, जब वह पुणे में आयोजित भारत द्वारा आयोजित सबसे बड़े विदेशी सैन्य अभ्यास, एक्सरसाइज फोर्स 18 में 40 सदस्यीय भारतीय सेना दल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं. इस बहुराष्ट्रीय अभ्यास में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस, जापान और दक्षिण कोरिया सहित 18 आसियान प्लस देशों की भागीदारी थी, जिसका मुख्य ध्यान शांति अभियानों (पीकेओ) और मानवीय खदान कार्रवाई (एचएमए) पर था.
 
भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए जाने के कुछ ही घंटों बाद ‘प्रेस ब्रीफिंग’ में विदेश सचिव मिसरी के साथ दो महिला अधिकारी-विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सरकार की ओर से शुरुआती बयान दिया.
 
 
कर्नल कुरैशी वर्तमान में उत्तर प्रदेश में तैनात हैं, जबकि उनके भाई और पिता ताज मोहम्मद कुरैशी वडोदरा के तंदलजा इलाके में रहते हैं, जो पिछले एक दशक में एक बहुत ही ध्रुवीकृत शहर बन गया है. हालांकि, 7 मई को भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व करते हुए और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ ऑपरेशन सिंदूर मीडिया ब्रीफिंग का नेतृत्व करते हुए, कर्नल कुरैशी ने कई रूढ़िवादिताओं, लैंगिक मानदंडों को तोड़ा और भारत को अपनी विविधता में एकजुट देश के रूप में स्थापित किया.
 
महिलाओं को सेना में शामिल होने की प्रेरणा

कर्नल कुरैशी युवा भारतीयों के लिए एक आदर्श बन गई हैं. वह सक्रिय रूप से युवा महिलाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, कश्मीर घाटी में ऑपरेशन सद्भावना के तहत स्कूलों और कॉलेजों में व्याख्यान देती हैं, ताकि लड़कियों को सैन्य करियर अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके. उनका संदेश स्पष्ट है: "सेना में शामिल हों. देश के लिए कड़ी मेहनत करें और सभी को गौरवान्वित करें."