विदर्भ में शिक्षा की 'तब्लीगी जमात': जुहर के बाद निकलती है 'सेवा' की टोली

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 05-11-2025
The 'Tablighi Jamaat' of education in Vidarbha: The 'service' team sets out after Zuhr
The 'Tablighi Jamaat' of education in Vidarbha: The 'service' team sets out after Zuhr

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

विदर्भ में शिक्षा की नई बयार बह रही है, और इस परिवर्तन के केंद्र में है ‘सोशल, एजुकेशन एंड वेलफेयर एसोसिएशन’ यानी ‘सेवा’। महाराष्ट्र के यवतमाल, चंद्रपुर, नागपुर और विदर्भ के अन्य क्षेत्रों में यह संस्था शिक्षा के क्षेत्र में एक मौन क्रांति का सूत्रधार बन गई है। जिस तरह तब्लीगी जमात दीन-इस्लाम का पैगाम घर-घर पहुँचाने के लिए निकली रहती है, उसी तरह ‘सेवा’ शिक्षा का संदेश लेकर समाज के हर घर तक पहुँच रही है। फर्क बस इतना है कि जहाँ तब्लीग का उद्देश्य धार्मिक मार्गदर्शन देना होता है, वहीं ‘सेवा’ का मकसद समाज को शिक्षित, आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है।
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हर रविवार जुहर की नमाज़ के बाद, विभिन्न पेशों से जुड़े लोग—सेवानिवृत्त अधिकारी, शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेशनल और समाजसेवी—अपने घरों से निकलते हैं और किसी चुने हुए मोहल्ले या इलाके में पहुँचते हैं।

वहाँ वे एक-एक घर में जाते हैं, बच्चों से मिलते हैं, उनसे उनके सपनों और करियर की आकांक्षाओं के बारे में पूछते हैं, और उन्हें सही दिशा दिखाने की कोशिश करते हैं। वे सिर्फ सलाह ही नहीं देते, बल्कि बच्चों और उनके अभिभावकों को यह भरोसा भी दिलाते हैं कि अगर शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी तरह की विशेषज्ञ या आर्थिक मदद की ज़रूरत पड़े, तो ‘सेवा’ हर वक़्त उनके साथ खड़ी है।
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नागपुर में ‘सेवा’ से जुड़े डब्ल्यूसीएल के सेवानिवृत्त अधिकारी गुलाम क़ादिर बताते हैं कि सेवा का काम बिल्कुल तब्लीगी जमात की तरह है, बस फर्क यह है कि तब्लीग वाले दीन की बातें करते हैं और हम शिक्षा की बातें करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि युवा यह समझें कि शिक्षा ही उन्हें समाज के ऊँचे मुकाम तक पहुँचा सकती है। यह संस्था न सिर्फ शिक्षित युवाओं को तैयार कर रही है, बल्कि उन्हें समाज का भविष्य का नेतृत्वकर्ता भी बना रही है।

सेवा’ का उद्देश्य है कि समाज में शिक्षा के महत्व को बढ़ाया जाए और युवाओं में आत्मविश्वास की वह लौ जगाई जाए जो उन्हें गरीबी और पिछड़ेपन की दीवारें तोड़ने की ताकत दे।

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संस्था के सचिव निज़ामुद्दीन शेख बताते हैं कि यह बेहद निराशाजनक है कि एक ऐसा समुदाय, जो कुरान की शिक्षाओं और पैगंबर मुहम्मद ﷺ के आदर्शों पर चलता है, आज समाज के सबसे गरीब और पिछड़े तबकों में शामिल है। उन्होंने कहा कि हमारा समुदाय, जो सबसे शिक्षित और प्रगतिशील होना चाहिए था, आज सूची में सबसे नीचे है। ‘सेवा’ इसी अंतर को मिटाने की दिशा में काम कर रही है।

dसंस्था का काम करने का तरीका बेहद अनुशासित और सुसंगठित है। हर रविवार जुहर से मगरिब तक ‘सेवा’ के स्वयंसेवक किसी एक क्षेत्र का चयन करते हैं और वहाँ के घरों में जाकर छात्रों और उनके अभिभावकों से बातचीत करते हैं।

इस बातचीत में वे बच्चों की शैक्षिक ज़रूरतों, उनकी क्षमताओं और कमजोरियों का आकलन करते हैं। छात्रों को यह सिखाया जाता है कि वे अपने समय का बेहतर प्रबंधन कैसे करें, पढ़ाई के साथ अनुशासन कैसे बनाए रखें और करियर के लक्ष्य कैसे तय करें। वहीं, अभिभावकों को भी बताया जाता है कि बच्चों की शिक्षा में उनकी भागीदारी कितनी आवश्यक है।

‘सेवा’ संस्था शिक्षा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी प्रोत्साहित करती है। संस्था पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को मुफ़्त शारीरिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराती है। साथ ही उन्हें निःशुल्क भोजन और रहने की व्यवस्था दी जाती है, ताकि वे पूरी तन्मयता से अपनी तैयारी कर सकें। प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे बैंक, एमपीएससी, यूपीएससी या इंजीनियरिंग सेवाओं के लिए भी संस्था मार्गदर्शन और अध्ययन सामग्री मुहैया कराती है।

संस्था की मेहनत अब फल देने लगी है। अब तक चार युवकों का चयन पुलिस कांस्टेबल के रूप में, दो का चयन राष्ट्रीयकृत बैंकों में और दो छात्रों का चयन जूनियर इंजीनियर के रूप में हो चुका है। ये उपलब्धियाँ ‘सेवा’ की प्रतिबद्धता और उसकी कार्यशैली की सफलता को दर्शाती हैं। इन सफलताओं ने समाज के भीतर शिक्षा के प्रति विश्वास को और गहरा किया है।

अब संस्था अपने अभियान का विस्तार कर रही है। यवतमाल के साथ-साथ बाभुलगाँव, पुसद, पंढरकावड़ा, आर्णी और दारव्हा जैसी तहसीलों में भी ‘सेवा’ की गतिविधियाँ शुरू की जा चुकी हैं। उद्देश्य है—विदर्भ के हर कोने में शिक्षा की जागरूकता फैलाना और हर बच्चे तक सीखने की प्रेरणा पहुँचाना।

‘सेवा’ के सामाजिक कार्य शिक्षा तक सीमित नहीं हैं। संस्था तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम कर रही है—“हम सहयोग करते हैं”, “हम परवाह करते हैं” और “हम मार्गदर्शन करते हैं।” “हम सहयोग करते हैं” परियोजना अनाथ, परित्यक्त और वंचित बच्चों के अधिकारों के लिए काम करती है। यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में दूरस्थ सहायता कार्यक्रमों के ज़रिए इन बच्चों को सहयोग प्रदान करती है।

“हम परवाह करते हैं” परियोजना उन वरिष्ठ नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए समर्पित है, जो अकेलेपन या उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। वहीं “हम मार्गदर्शन करते हैं” युवाओं, विशेष रूप से युवतियों को प्रशिक्षण और करियर काउंसलिंग देने पर केंद्रित है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने जीवन की दिशा स्वयं तय कर सकें।

‘सेवा’ का मानना है कि शिक्षा सिर्फ़ डिग्री हासिल करने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के उत्थान का सबसे शक्तिशाली हथियार है। संस्था चाहती है कि समाज का हर युवा अपने भीतर नेतृत्व की भावना विकसित करे और देश के विकास में अपनी भूमिका निभाए। यही कारण है कि ‘सेवा’ सिर्फ़ शिक्षित व्यक्तियों को नहीं, बल्कि जागरूक नागरिकों को गढ़ रही है, जो समाज में बदलाव ला सकें।

sसंस्था के सचिव निज़ामुद्दीन शेख कहते हैं, “हमारा मिशन है कि उच्च शिक्षा में छात्रों को आगे बढ़ाया जाए और उनसे नेतृत्वकर्ता तैयार किए जाएँ। हमारा उद्देश्य उन युवा दिमागों को तराशना है जो भविष्य में समाज के मार्गदर्शक बन सकें।”

आज ‘सेवा’ की यह पहल विदर्भ ही नहीं, बल्कि पूरे महाराष्ट्र में एक प्रेरणा बन चुकी है। जिस तरह तब्लीगी जमात दीन का पैगाम घर-घर पहुँचाती है, उसी समर्पण के साथ ‘सेवा’ शिक्षा की रोशनी फैला रही है। यह संस्था यह साबित कर रही है कि अगर समाज के शिक्षित लोग एकजुट होकर आगे आएँ, तो शिक्षा की लौ हर घर में जगमगा सकती है।

यदि आप भी इस अभियान का हिस्सा बनना चाहते हैं या ‘सेवा’ द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों और प्रतियोगी परीक्षा मार्गदर्शन योजनाओं के बारे में जानना चाहते हैं, तो संस्था से सीधे संपर्क किया जा सकता है।
📞 संपर्क नंबर: +91 94229 46333, +91 98502 68025

‘सेवा’ का विश्वास स्पष्ट है — जब समाज के लोग खुद आगे बढ़ेंगे, तभी शिक्षा की रौशनी हर बच्चे तक पहुँचेगी, और तभी बदलेगा हमारे समाज का भविष्य।