क़ुरआन और ब्रह्मांड पर सारगर्भित व्याख्यान के साथ जामिया ने मनाया 105वां स्थापना दिवस

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 01-11-2025
Jamia Millia Islamia celebrates 105th Foundation Day with insightful lecture on Quran and the universe
Jamia Millia Islamia celebrates 105th Foundation Day with insightful lecture on Quran and the universe

 

आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली
 
जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने अपने गौरवशाली 105वें स्थापना दिवस का शुभारंभ एक आत्मिक और आध्यात्मिक वातावरण में आयोजित “महफ़िल-ए-क़िराअत-ओ-नात ख़्वानी और प्रो. मोहम्मद मुजीब स्मृति व्याख्यान” के साथ किया.कार्यक्रम की मुख्य आकर्षण रही प्रो. मोहम्मद मुजीब स्मृति व्याख्यान, जिसे प्रो. मोहम्मद असलम परवेज़ ने “क़ुरआन और ब्रह्मांड” विषय पर प्रस्तुत किया. 

अपने सारगर्भित व्याख्यान में उन्होंने कहा, “क़ुरआन केवल तिलावत के लिए नहीं, बल्कि चिंतन और कर्म के लिए है. सच्ची सफलता तभी है जब हम इसके संदेश को अपने सामूहिक जीवन में उतारें.” यह भव्य कार्यक्रम विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक डॉ. एम.ए. अंसारी ऑडिटोरियम में 29 अक्टूबर को संपन्न हुआ.

अपने संबोधन में मौलाना मुफ़द्दल शाकिर ने कहा कि जामिया की स्थापना केवल एक शैक्षिक संस्था के रूप में नहीं, बल्कि एक विचारधारा के रूप में हुई थी, जो ज्ञान, नैतिकता और समाज सुधार का प्रतीक है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता जामिया के कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ ने की. इस अवसर पर रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद मेहताब आलम रिज़वी, डीन, स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. नीलोफर अफ़ज़ल, वरिष्ठ शिक्षाविद, शिक्षकगण और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.

समारोह का शुभारंभ क़ारी हुदैफ़ा बदरी द्वारा पवित्र क़ुरआन शरीफ़ की तिलावत से हुआ. उनकी मधुर और भावपूर्ण तिलावत ने पूरे सभागार को आध्यात्मिक शांति और दिव्यता से भर दिया.

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इसके बाद कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ ने विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया, जिनमें मौलाना मुफ़द्दल शाकिर, मौलाना शब्बीर हुसैन भूपलवाला, जो अमीर-ए-जामिया सैयदना मुफ़द्दल सैफ़ुद्दीन साहब के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित थे  तथा प्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं पूर्व कुलपति, मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के प्रो. मोहम्मद असलम परवेज़ शामिल थे.

जामिया का प्रसिद्ध विश्वविद्यालय गीत जब पूरे जोश और उल्लास के साथ गाया गया, तो सभागार में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ, जिसने सबके हृदयों में जामिया के गौरवशाली इतिहास और एकता की भावना को पुनर्जीवित कर दिया.

इसके बाद एम.ए. अरबी के छात्र सय्यर शब्बीर वानी और मोहम्मद आदिल, साथ ही अतिथि क़ारी बुर्हानुद्दीन बदरी और हुदैफ़ा बदरी ने बड़ी श्रद्धा और भक्ति से नातें पेश कीं. इन सुमधुर प्रस्तुतियों ने उपस्थित जनों के मन को गहराई से छू लिया.

 मौलाना शब्बीर हुसैन भूपलवाला ने अमीर-ए-जामिया का संदेश पढ़ा, जिसमें कहा गया कि “जामिया का निर्माण त्याग, ईमानदारी और निष्ठा की नींव पर हुआ था और यही मूल्य आज भी इसे महान बनाते हैं.”

कार्यक्रम का संचालन प्रो. हबीबुल्लाह ख़ान, निदेशक, ज़ाकिर हुसैन संस्थान, ने अपने प्रभावशाली और विद्वत्तापूर्ण अंदाज़ में किया, जिसने आयोजन की गरिमा को और बढ़ाया.

अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ ने कहा, “जामिया मिल्लिया इस्लामिया सदैव शिक्षा, संस्कृति और मानव सेवा के उच्चतम आदर्शों का प्रतीक रही है. आज का आयोजन इन मूल्यों की जीवंत झलक प्रस्तुत करता है, जहाँ आध्यात्मिकता और बौद्धिकता का अद्भुत संगम देखने को मिला.”

समापन पर डीन, स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. नीलोफर अफ़ज़ल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल छात्रों के नैतिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक हैं, बल्कि जामिया की समग्र शैक्षिक परंपरा को भी सशक्त बनाते हैं.

कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ. यह दिन जामिया मिल्लिया इस्लामिया की उस अदम्य भावना का प्रतीक बन गया, जो शिक्षा, आध्यात्मिकता और राष्ट्रप्रेम को एक ही सूत्र में पिरोती है.