एक भारत, एक आत्मा : सरदार पटेल की अटूट विरासत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 28-10-2025
One India, One Soul: Sardar Patel's Enduring Legacy
One India, One Soul: Sardar Patel's Enduring Legacy

 

 

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भावना अरोड़ा

इतिहास कुछ ही नेताओं को याद रखता है, जो अपने सपनों को एक स्थायी सच्चाई में बदल सके.सरदार वल्लभभाई पटेल ऐसे ही नेता थे, जिनकी दूरदर्शिता और दृढ़ इच्छाशक्ति ने बिखरे भारत को एकजुट राष्ट्र में बदल दिया. आज़ादी के समय भारत एक देश नहीं था, बल्कि 560 से ज़्यादा रियासतों और प्रांतों में बँटा हुआ था। अंग्रेज़ों ने एक नहीं, बल्कि कई भारत पीछे छोड़े थे. अलग शासन, अलग हित और आपसी अविश्वास से भरे हुए। इस अनिश्चित माहौल में पटेल ने टुकड़ों में बंटे भूगोल को नहीं, बल्कि एक संभावना को देखा  एक ऐसा भारत जो साझा पहचान और उद्देश्य से जुड़ा हो.

उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में उन्होंने 560 से अधिक रियासतों को भारत में मिलाने का कठिन काम अपने कंधों पर लिया. उन्होंने बातचीत और कूटनीति से काम लिया. कहीं समझाया, कहीं दृढ़ता दिखाई और जहाँ ज़रूरत पड़ी, वहाँ निर्णायक कदम भी उठाए.

मैसूर, भोपाल और ग्वालियर को उन्होंने संवाद से भारत में शामिल किया; जूनागढ़ को जनता की इच्छा से; और हैदराबाद को तेज़ कार्रवाई से. यह केवल राजनीतिक सफलता नहीं थी, बल्कि सभ्यता के स्तर पर एक बड़ी जीत थी। कुछ ही वर्षों में पटेल ने उस भारत को एक सूत्र में बाँध दिया, जो बिखर सकता था.

पटेल का मानना था कि भारत की असली ताकत उसकी विविधता में छिपी है. वे कहते थे कि भारत एक परिवार है, जिसके सभी बच्चे समान हैं. आज यह विचार हमारे समाज में हर जगह दिखाई देता है. सैकड़ों भाषाएँ और धर्म होने के बावजूद एक ही राष्ट्रगान सबको जोड़ता है; मंदिर, मस्जिद और चर्च एक ही सड़क पर साथ खड़े हैं; और हर भारतीय एक ही तिरंगे के नीचे एकजुट होता है.

यही भारत की पहचान है और यही पटेल की सबसे बड़ी विरासत.पटेल ने देश को सिर्फ भावना में नहीं, बल्कि व्यवस्था में भी एकजुट किया. उन्होंने ऐसी संस्थाएँ बनाईं जो निष्पक्ष और योग्यता-आधारित हों, जैसे आईएएस और आईपीएस। इन सेवाओं ने भारत की प्रशासनिक रीढ़ को मज़बूत बनाया.

आज भारत के पुलिस बल और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) पटेल की उसी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं. सीमाओं की रक्षा, आंतरिक शांति बनाए रखना और कठिन समय में देश की सेवा करना — ये सब पटेल के उस भारत का प्रमाण हैं जो एकजुट और मज़बूत है.

भारत की महिलाएँ भी इस एकता की मौन रक्षक हैं. त्योहारों, कला, संगीत और परंपराओं के ज़रिए वे समाज को जोड़ती हैं. जब महिलाएँ दीवाली पर रंगोली बनाती हैं, ईद पर मेहंदी लगाती हैं या शादी में सूफियाना गीत गाती हैं, तो वे सिर्फ उत्सव नहीं मना रहीं होतीं,— वे भारत की विविधता और अपनापन को जीवित रखती हैं. पटेल का राष्ट्रवाद सद्भाव पर टिका था और महिलाएँ उसी सद्भाव की प्रतीक हैं.

दशकों बाद पटेल का सपना फिर से जीवंत हुआ जब 2018 में गुजरात के केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण हुआ. यह दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा ही नहीं, बल्कि कृतज्ञता की सबसे ऊँची अभिव्यक्ति भी है . एक ऐसे नेता के लिए जिसने भारत को एक किया.

हर साल 31 अक्टूबर को पटेल की जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई जाती है. इस दिन देशभर में ‘रन फॉर यूनिटी’, परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जो एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को फिर से जगाते हैं.

आज भी सरकार की कई योजनाएँ पटेल के विचारों को आगे बढ़ा रही हैं. ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ जैसी पहलें राज्यों को एक-दूसरे के करीब लाती हैं. तमिलनाडु के लोग असम की संस्कृति को जानते हैं, पंजाब के लोग ओडिशा के त्योहारों को समझते हैं .

यह सब भारत के भावनात्मक एकीकरण की मिसाल है. शासन में भी पटेल का सहकारी संघवाद का दर्शन जीवित है, जो केंद्र और राज्यों को साझेदार के रूप में देखने की प्रेरणा देता है.आज की दुनिया में, जहाँ राजनीति और समाज में विभाजन की रेखाएँ गहरी होती जा रही हैं, वहाँ पटेल की एकता की भावना और भी महत्वपूर्ण हो गई है.

वे जानते थे कि एकता को कानून से नहीं, बल्कि न्याय, समानता और करुणा से बनाया जा सकता है. उनका विश्वास था कि कोई भी सरकार एक बंटी हुई जनता को एकजुट नहीं रख सकती, लेकिन एकजुट जनता किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है. यही विचार आज भी भारत की सबसे बड़ी शक्ति है.

पटेल की विरासत किताबों में नहीं, बल्कि देश के हर कोने में जीवित है. हर पुलिस स्टेशन, हर स्कूल, हर प्रशासनिक कार्यालय में उनका प्रभाव महसूस होता है. उन्होंने भारत को जोड़ा, समानता का मूल्य सिखाया और एक ऐसी प्रशासनिक नींव रखी, जिस पर आज का भारत टिका है.

जैसा कि जवाहरलाल नेहरू ने कहा था , “इतिहास उन्हें नए भारत का निर्माता और संगठक कहेगा.”आज सीमा पर तैनात हर जवान, दीपक जलाने वाली हर महिला और तिरंगे को सलाम करने वाला हर बच्चा सरदार पटेल के उस सपने को आगे बढ़ा रहा है.

जैसा कि उन्होंने कहा था, “हर भारतीय को यह भूल जाना चाहिए कि वह राजपूत, सिख या जाट है; उसे बस यह याद रखना चाहिए कि वह भारतीय है.” यही भावना हमारे गणतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है. सरदार पटेल ने भारत को एक बार जोड़ा था — अब इसे भावना, सहानुभूति और जिम्मेदारी से जोड़े रखना हम सबका कर्तव्य है.