आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत में न सिर्फ मिशन की अहम जानकारियां साझा कीं, बल्कि भारत के भविष्य और युवाओं के सपनों को एक नई उड़ान भी दी.
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्ला से विशेष आग्रह किया कि वे भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्पद संदेश दें. इस पर शुक्ला का जवाब था —"सफलता की कोई सीमा नहीं होती – न मेरे लिए, न आपके लिए और न ही भारत के लिए. बस कभी हार मत मानो. आज नहीं तो कल, अगर आप रुकेंगे नहीं तो जीत आपकी ही होगी."
शुक्ला, जो राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय हैं, Axiom-4 मिशन के तहत तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ गुरुवार को ISS पहुंचे हैं. अगले 14 दिन वहीं रहेंगे. लेकिन यह यात्रा केवल एक ‘स्पेस टूर’ नहीं है – यह भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ (2027) की मजबूत नींव है.
ISS से प्रधानमंत्री मोदी को संबोधित करते हुए शुक्ला ने कहा,“मैं यहां एक वैज्ञानिक की भूमिका में हूं, एक सपनों को साकार करने वाले देश के प्रतिनिधि के तौर पर. हमने सात महत्वपूर्ण प्रयोगों की तैयारी की है.”
कौन-से हैं ये सात प्रयोग?
शुक्ला ने विस्तार से बताया कि उनका पहला प्रयोग स्टेम कोशिकाओं और विशिष्ट सप्लीमेंट्स पर केंद्रित है. वे यह अध्ययन कर रहे हैं कि शून्य गुरुत्व की स्थिति में ये सप्लीमेंट्स मांसपेशियों के क्षरण को धीमा कर सकते हैं या नहीं.अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो धरती पर बुजुर्गों की मांसपेशियों को बचाने में यह एक क्रांतिकारी दवा बन सकता है.”
दूसरा बड़ा प्रयोग है — सूक्ष्म शैवाल (Microalgae) की वृद्धि पर.ये छोटे दिखते हैं, लेकिन पोषण से भरपूर होते हैं. अगर अंतरिक्ष में इनकी वृद्धि को नियंत्रित किया जा सके, तो धरती पर फूड सिक्योरिटी यानी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का यह एक बड़ा समाधान बन सकता है.
शुक्ला ने भावुक होते हुए कहा,“कुछ देर पहले जब मैंने ISS की खिड़की से बाहर देखा तो मुझे हवाई दिखाई दिया… और उस वक्त मैंने ISS पर तिरंगा फहराया. भारत अब अंतरिक्ष की ऊंचाइयों पर अपनी छाप छोड़ रहा है.”
पीएम मोदी ने इस पर कहा,“तुम्हारे नाम में 'शुभ' है और तुम्हारी यात्रा भारत के एक शुभ युग की शुरुआत है.”
PM @narendramodi interacted with Group Captain Shubhanshu Shukla, who is aboard the International Space Station. pic.twitter.com/Q37HqvUwCd
— PMO India (@PMOIndia) June 28, 2025
बातचीत के दौरान शुक्ला ने बताया कि ISS हर दिन पृथ्वी की 16 बार परिक्रमा करता है. यानी वह 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त देखते हैं.
मैं अभी 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा हूं और अपने पैरों को बांधकर आपसे बात कर रहा हूं.”
उन्होंने बताया कि स्पेस में सोना, चलना, खाना-पीना, सब कुछ दोबारा सीखना पड़ता है.“यहां तो छत पर भी सोया जा सकता है! गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण सबसे छोटी चीज़ें भी बड़ी चुनौती बन जाती हैं.”
पीएम मोदी का "होमवर्क"
प्रधानमंत्री ने शुक्ला को “शक्स” कहकर संबोधित किया और उन्हें भारत के भविष्य मिशनों के लिए सीखों को दस्तावेजी रूप में रिकॉर्ड करने को कहा.
गगनयान मिशन हो, भारतीय स्पेस स्टेशन की स्थापना हो या चंद्रमा पर भारतीय को उतारने का सपना – तुम्हारे अनुभव इन सबके लिए अमूल्य हैं.”
भारतीय स्वाद का अंतरिक्ष में स्वाद
जब मोदी ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में पूछा कि क्या वे कोई भारतीय व्यंजन साथ लेकर गए हैं, तो शुक्ला का जवाब दिल जीत लेने वाला था –"मैं गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आमरस लेकर आया हूं. मैंने इन्हें अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ बांटा और उन्हें यह बेहद पसंद आया. मैं चाहता हूं कि वे भारत के स्वाद और विरासत को महसूस करें."
शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष में जैविक प्रक्रियाएं तेज़ होती हैं, जिससे रिसर्च तेज़ी से आगे बढ़ता है. लेकिन सबसे बड़ा फायदा ये है कि धरती पर बच्चे अब कह सकते हैं — ‘मैं भी वहां जा सकता हूं!’
जब मैं छोटा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अंतरिक्ष यात्री बनूंगा. लेकिन आज का भारत आपको बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने की ताकत देता है.”
इसलिए यह सिर्फ एक डॉकिंग नहीं है, यह भारत की वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और वैश्विक पहचान का उगता सूरज है. शुभांशु शुक्ला आज हर भारतीय युवा का सपना हैं – और उनका संदेश साफ़ है — कभी हार मत मानो, भारत अब अंतरिक्ष की अगली कक्षा में है.
जय हिंद, जय विज्ञान!