पायलट मिर्ज़ा बेग और उनकी पत्नी रूबी खान, मिलकर कर रहे समाज का उत्थान

Story by  फरहान इसराइली | Published by  onikamaheshwari | Date 12-03-2024
Pilot Mirza Baig and his wife Ruby Khan are working together for the upliftment of the society
Pilot Mirza Baig and his wife Ruby Khan are working together for the upliftment of the society

 

फरहान इसराइली/ जयपुर

इस समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं जो गरीबों और जरुरतमंदों की मदद के लिए हमेशा आगे आते रहे हैं. कोरोना की लहर के दौरान भी और इसके बाद भी कई ऐसे समाजसेवी हैं जो जरुरतमंदों की मदद कर रहे हैं. पेशे से एयरलाइन पायलेट कैप्टन मिर्ज़ा मोहतशिम बैग और उनकी पत्नी रूबी खान भी उन्हीं लोगों में हैं जो गरीबों की समय-समय पर मदद करते रहे हैं. 

ठंड में कोई गरीब और जरुरतमंद परेशान न हो इसलिए ये बीते 20 वर्षो से सामाजिक कार्य करते आ रहे हैं साथ ये नौजवानो के लिए दोनों प्रेरणास्त्रोत भी हैं.
 
 
आवाज द वॉयस ने समाजसेवी दंपत्ति से विस्तार में बातचीत की. दोनों दंपत्ति एक दूसरे के समर्थन एवं सहयोग से समय-समय पर सामाजिक कार्य करते आ रहे हैं. रूबी खान जो एक लेखिका, समाजसेविका एवं राजनेता भी हैं. हाल ही में काँग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में राजस्थान से एकमात्र मुस्लिम महिला थी जिसने कन्याकुमारी से कश्मीर तक राहुल गांधी के साथ पैदल यात्रा की थी.
 
शुरुआती बातचीत में रूबी बताती हैं कि मेरी स्कूली शिक्षा महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल से हुई थी जो की जयपुर का नामचीन स्कूल है मेरे पिताजी हमीदुल्लाह खान ने हम दो बेटियों को मजबूत किया वह हमें अपना बेटा ही मानते थे स्कूल एवं परिवार की नीव मजबूत होने से मेरे जीवन में पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. 
 
हर समय हमारे पिताजी हमारे हर कार्य का सहयोग व समर्थन करते थे, उसके बाद आगे की शिक्षा दीक्षा भी मेरी जयपुर में ही हुई. रूबी बताती हैं कि जयपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल जल महल को आम जनता के लिए खोलने हेतु भी उन्होने एवं उनके पति ने बहुत प्रयास किये इस लड़ाई में और भी काफी संस्थाएं भी उनके साथ आ गई. 
 
हमारी लड़ाई काफी लंबे समय तक चली और हमें विश्वास है कि यह लड़ाई हम अवश्य जीतेंगे (अभी जल महल का मामला कोर्ट में विचाराधीन है.)
 
 
रूबी खान की कोशिशो का असर देखते हुए इसके लिए IBN7 न्यूज़ चैनल पर उनकी डॉक्यूमेंट्री भी प्रसारित हो चुकी है. अपने पति कैप्टन मिर्जा बैग की तारीफ करते हुए रूबी खान बताती हैं कि जैसे मेरे पिता महिलाओं को सशक्त करने वाले थे वैसे ही अल्लाह ने मुझे मेरे पति दिए हैं. शादी के कुछ महीनो बाद मैंने मेरे पति के सहयोग से वर्ष 2004 में मिसेज़ जयपुर का खिताब भी जीता था और यह जीत कर मैंने साबित कर दिया कि अपनी सभ्यता और संस्कृति को लांघे बिना भी खिताब हासिल किया जा सकते हैं. 
 
मर्यादाओं को बिना लाँघे आप यदि सत्य के मार्ग पर हैं तो आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं. रूबी बताती हैं कि वर्ष 2004 के बाद से अब तक वे जयपुर ही नहीं पूरे भारत की पहली मुस्लिम महिला हैं जिन्होंने शादी के बाद कोई सौंदर्य प्रतियोगिता जीती है. 
 
वर्ष 2006 में दोनों दंपत्ति ने वूमेन ओंन व्हील्स कार प्रतियोगिता भी जीती थी. लेखन के क्षेत्र में भी रुबी खान की काफी उपलब्धियां रही उन्होंने वर्ष 2015 में एक पुस्तक “हिंदू धर्म और इस्लाम दो आंखें नई रोशनी एक आयाम” लिखी, जिसका लोकार्पण तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अली अंसारी ने किया था. 
 
रूबी बताती है कि यह पुस्तक मैंने मेरे गुरु श्री के. कमल (राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति) के मार्गदर्शन में लिखी थी. एक और बाल पुस्तक “ज्ञान के बुलबुले” भी उन्होने लिखी है जो की बाल कविताओं पर आधारित है और बच्चों में बहुत लोकप्रिय है इसका लोकार्पण तत्कालीन शिक्षा मंत्री (राजस्थान सरकार) बृज किशोर शर्मा के हाथो हुआ था. 
 
 
रूबी खान IBN7 में सिटिजन जर्नलिस्ट भी रह चुकी हैं एवं कई समाचार पत्रों में उनके लेख भी समय-समय पर प्रकाशित होते रहते हैं वह ब्लॉग भी लिखती हैं. 
 
सामाजिक क्षेत्र में किए गए कामों को रूबी खान बताती हैं कि लोगों की छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए लोगों को बहुत परेशान होना पड़ता है तब हमने  फैसला लिया कि अपने समुदाय में अपने लोगों के लिए भी कुछ करना चाहिए हमने “टीच देम हाउ टू कैच ए फिश, डोंट गिव हिम ए फिश” के वाक्य से सामाजिक कार्य शुरू किये. 
 
 
हमने जयपुर का पहला आधार कार्ड कैंप लगवाया जिसमें हजारों लोगों के आधार कार्ड बने. हमने उसे कैंप का सारा खर्च स्वयं वहन किया. नेत्र शिविर लगवाएं जिसमें सैकड़ो लोगों के निशुल्क मोतियाबिन्द ऑपरेशन हुए, मेडिकल शिविर, विधवा, विकलांग वृद्धावस्था पेंशन, आंख, नाक, कान, गला से संबंधित शिविर लगवाए. 
 
यह सभी काम पिछले 20 वर्षों से दोनों दंपत्ति करते आ रहे हैं. हमारे द्वारा एक सफाई अभियान भी चलाया गया जिसमें मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा एव मदरसों में डस्टबिन दान दिए गए.
 
कोरोना काल में भी दोनों दंपतियों ने बहुत कार्य किया जिसमें लोगों को अवेयरनेस से लेकर राशन वितरण तक के कार्य किए गए. हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती है और हर सफल महिला के पीछे एक पुरुष जो कि पिता भाई या पति होता है रूबी खान बताती है कि मेरे पति मेरी बैकबोन है.
 
 
बातचीत में कैप्टन मिर्जा शामिल होते हुए बताते हैं कि वह समय-समय पर युवाओं हेतु कैरियर गाइडेंस शिविर भी लगते हैं जिसमें युवाओं को साक्षात्कार की तैयारी कहां और कैसे की जाए, कहां वैकेंसी निकली है, अच्छी नौकरी कैसे हासिल करें को लेकर दोनों दंपत्ति निशुल्क परामर्श देते हैं. 
 
कैप्टन मिर्जा बीते 25 वर्षों से हवाई जहाज उड़ा रहे हैं और 80 से ज्यादा मुल्क में फ्लाइट उड़ा चुके हैं वे राजस्थान के एकमात्र मुस्लिम पायलेट हैं और जयपुर के नोजवानों के प्रेरणा स्त्रोत हैं. जयपुर के युवा कैरियर गाइडेंस में उनका परामर्श लेने आते हैं. वे सेंकड़ों युवाओं की नौकरी भी लगवा चुके हैं.
 
इस्लाम में महिलाओं की भूमिका
इस्लाम में महिलाओं की भूमिका विषय पर बातचीत करते हुए रूबी खान बताती हैं कि कोई महिला कुरान को पूरा-पूरा समझकर पढे तो कभी जीवन में नाकामयाब नहीं हो सकती. इस्लाम में महिलाओं को शुरू से अधिकार दिए गए हैं जो कि पाश्चात्य देशों में आज दिए जा रहे हैं. हमारे पैगंबर के समय से ही महिलाओं द्वारा विभिन्न उद्योगों का संचालन किया जाता रहा है. इस्लाम महिलाओं को सशक्त और मजबूत बनाता है. 
 
कुछ रूढ़िवादी कुरीतियों की वजह से मुस्लिम महिलाएं पीछे जरूर रह गई हैं लेकिन यदि जड़ों पर काम किया जाए तो वे एक बार फिर अपने नेतृत्व का परचम फहरा सकती हैं.
 
 
रूबी खान बताती है कि उनको यह प्रेरणा श्रीमती इंदिरा गांधी और ममता बनर्जी के व्यक्तित्व से मिलती है. वह इन दोनों से बहुत प्रभावित हैं और दोनों से प्रेरणा लेकर ही वह महिलाओं को सशक्त बनाना चाहती हैं. बातचीत के अंत में पायलट कैप्टन मिर्जा एक शेर सुनाते हुए कहते हैं. “गर देखना है हमारी उड़ान को, थोड़ा और ऊंचा करो आसमान को.”