मिलिए, 9 साल के चेस मास्टर से जिसने विश्व चैंपियन कार्लसन को ड्रा के लिए मजबूर कर दिया

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 09-07-2025
Meet the 9-year-old chess master from Mayur Vihar who forced world champion Carlsen to a draw
Meet the 9-year-old chess master from Mayur Vihar who forced world champion Carlsen to a draw

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

दिल्ली के मयूर विहार के नौ वर्षीय आरित कपिल ने हाल ही में शतरंज की दुनिया में तहलका मचा दिया जब उन्होंने पांच बार के विश्व चैंपियन और मौजूदा वर्ल्ड नंबर-1 मैग्नस कार्लसन को एक प्रतिष्ठित ऑनलाइन टूर्नामेंट में ड्रॉ पर रोक दिया. यह मुकाबला 24 जून को हुआ, जब आरित जॉर्जिया के बटुमी शहर में आयोजित हो रहे 'FIDE वर्ल्ड कैडेट्स कप' (अंडर-10 श्रेणी) के लिए अपने होटल रूम से 'चेस डॉट कॉम' पर लॉग इन हुए और "टाइटल्ड ट्यूसडे" नामक तेज़ रफ्तार ब्लिट्ज टूर्नामेंट में भाग लिया.

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यह टूर्नामेंट केवल उन्हीं खिलाड़ियों के लिए होता है जिनके पास FIDE खिताब होते हैं - जैसे ग्रैंडमास्टर (GM), इंटरनेशनल मास्टर (IM), या कैंडिडेट मास्टर (CM)। आरित कपिल एक कैंडिडेट मास्टर हैं और इस टूर्नामेंट में उन्होंने कार्लसन सहित कई शीर्ष स्तरीय शतरंज सितारों के खिलाफ खेला.

आरित का सामना जब मैग्नस कार्लसन से हुआ, तो वह बिलकुल नहीं घबराए. उन्होंने आक्रामक खेल दिखाते हुए शुरुआत से ही दबाव बनाना शुरू किया. भले ही 14वीं चाल तक वह एक मोहरे से पीछे थे, लेकिन 18वीं चाल तक उन्होंने दोनों घोड़ों को कार्लसन के इलाके में गहराई तक पहुँचा दिया और उनके राजा पर सीधा खतरा बना दिया.

25वीं चाल तक आरित ने बोर्ड पर बढ़त हासिल कर ली थी. लेकिन घड़ी की सुइयाँ उनके लिए संकट लेकर आ रही थीं.टाइटल्ड ट्यूसडे एक बेहद तेज़ टूर्नामेंट होता है जिसमें खिलाड़ियों को केवल तीन मिनट मिलते हैं और हर चाल के बाद एक सेकंड की बढ़ोतरी.

कार्लसन ने अपनी पहली 14 चालों में महज सात सेकंड का इस्तेमाल किया था, जबकि आरित को समय की भारी कमी का सामना करना पड़ा. खेल की 46वीं चाल तक आरित जीत की स्थिति में थे, लेकिन घड़ी में समय की कमी के कारण अंततः मुकाबला 49वीं चाल में ड्रॉ पर समाप्त हुआ.

यह ड्रॉ भी एक बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि कार्लसन सफेद मोहरों से खेल रहे थे और उन्होंने शुरुआत से ही स्थिति पर नियंत्रण बनाए रखा था.आरित के माता-पिता विजय और निशा कपिल ने बताया कि जब वे कॉल पर बात कर रहे थे, तभी आरित कमरे से बाहर आया और चिल्लाया, "मैंने मैग्नस को ड्रॉ कर दिया !" उनकी मां निशा कहती हैं, "हमें पहले तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब देखा तो खुशी से झूम उठे."

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आरित की शतरंज यात्रा पांच साल की उम्र में शुरू हुई थी, जब उन्होंने अपने पिता को लैपटॉप पर शतरंज खेलते देखा और खुद भी खेलने की इच्छा जताई. विजय कपिल एक म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर हैं और खुद शतरंज के शौकीन हैं, लेकिन पेशेवर खिलाड़ी नहीं हैं.

उन्होंने बताया, "मैं एक साधारण खिलाड़ी हूं. जब आरित ने मुझसे पूछा कि मैं क्या कर रहा हूं, तो मैंने उसे खेल सिखाया. एक हफ्ते के अंदर उसने मुझे हराना शुरू कर दिया."

पहले तो माता-पिता ने इसे संयोग समझा, लेकिन जब उन्होंने जानबूझकर उसके कुछ मोहरे कम कर दिए, अंक घटा दिए और फिर भी वह जीतता रहा, तो उन्हें एहसास हुआ कि इसमें असाधारण प्रतिभा है.

इसके बाद उन्होंने आरित को इंटरनेशनल मास्टर विशाल सरीन के पास प्रशिक्षण के लिए भेजा. कोचिंग शुरू करने के एक हफ्ते बाद ही आरित ने अंडर-7 श्रेणी में एक अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन टूर्नामेंट जीत लिया और 15,000 रुपये का नकद पुरस्कार प्राप्त किया। वह महज साढ़े पांच साल के थे.

अब तक आरित 50 से अधिक ट्रॉफियां जीत चुके हैं और उन्होंने कई इंटरनेशनल मास्टर्स को हराकर अपनी क्षमता साबित की है. पिछले वर्ष उन्होंने ग्रैंडमास्टर रासेट ज़ियातदीनोव को हराया था और ऐसा करने वाले सबसे युवा भारतीय बन गए थे.

आरित के पिता बताते हैं कि संसाधनों की सीमाएं उनके लिए हमेशा एक चुनौती रही हैं." विजय कहते हैं, "एक अच्छे कोच की फीस प्रति घंटे 7 से 8 हजार रुपये होती है और यूरोप या एशिया के बड़े टूर्नामेंट्स में भागीदारी का खर्च लाखों में चला जाता है. हम चाहते हैं कि उसका टैलेंट कभी पैसों की वजह से रुक न जा.,

आरित का सपना है कि वह गुकेश डोमराजू का रिकॉर्ड तोड़ें और सबसे कम उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बनें. वह गुकेश को अपना आदर्श मानते हैं और रोज़ाना पांच से छह घंटे शतरंज की प्रैक्टिस करते हैं.

2024 में आरित ने 37वें राष्ट्रीय अंडर-9 ओपन टूर्नामेंट में निधिश श्यामल के खिलाफ अहम मुकाबला खेला। यह एक निर्णायक मैच था. दोनों के अंक समान रहे, लेकिन टाई ब्रेक स्कोर में निधिश आगे रहा और खिताब अपने नाम कर गया. इस हार से आरित को काफी दुख हुआ, लेकिन उन्होंने हार से सीख ली और अभ्यास जारी रखा.

उनके माता-पिता भी इस बात का ध्यान रखते हैं कि आरित पर अनावश्यक दबाव न पड़े. विजय कहते हैं, "हमने यह मान लिया है कि यह एक लंबी दौड़ है। जैसे शेयर बाजार ऊपर-नीचे होता है, वैसे ही जीवन और खेल में भी उतार-चढ़ाव होंगे. हमारा काम उसका समर्थन करना है."

आरित न सिर्फ़ एक शानदार खिलाड़ी हैं बल्कि भावनात्मक रूप से भी काफी संतुलित हैं. वह अपनी हार से सीखते हैं, और हर मुकाबले को एक अनुभव की तरह लेते हैं.

अब जबकि उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े शतरंज खिलाड़ी के खिलाफ़ ड्रॉ किया है, उनके लिए यह एक नई शुरुआत की तरह है. यह उपलब्धि न केवल उनके आत्मविश्वास को नई उड़ान दे रही है, बल्कि यह आने वाले समय में उन्हें विश्व शतरंज मंच पर भारत का एक चमकता सितारा बना सकती है.

इस छोटे से खिलाड़ी की कहानी हमें यह सिखाती है कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती, और अगर सपनों के साथ जुनून और मेहनत जुड़ जाए, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं। अब पूरा भारत आरित कपिल की अगली चाल का इंतज़ार कर रहा है.