यह शोध-प्रबंध जॉर्डन की प्रख्यात लेखिका एवं फ़िलिस्तीनी मूल की साहित्यकार प्रो. डॉ. सना अल-शालान (बिंतु नईमा) के बहुआयामी बाल-साहित्य पर आधारित है, जिसमें उपन्यास, नाटक, लघु कथाएँ और चित्र कथा जैसे विविध साहित्यिक विधाओं को विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है.
शोधार्थी की इस प्रस्तुति की समीक्षा हेतु गठित समिति में शामिल थे – प्रो. डॉ. मोहम्मद सना उल्लाह नदवी (विभागाध्यक्ष, अरबी विभाग), प्रो. डॉ. अबू सुफ़ियान इस्लाही (मार्गदर्शक) और प्रो. डॉ. अहसनुल्लाह – ये सभी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं.
इस शोध को लेकर अब्दुर रशीद ने बताया कि उन्होंने यह विषय इसलिए चुना क्योंकि बाल-साहित्य का क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है और सना अल-शालान जैसी सृजनशील लेखिका का योगदान इस क्षेत्र में बहुत ही समृद्ध और लाभकारी है.
उन्होंने कहा कि इस शोध का उद्देश्य अरबी भाषा और साहित्य के विद्यार्थियों को लाभ पहुँचाना है और साथ ही यह दिखाना है कि प्रो. शालान ने बच्चों के लिए साहित्य लिखते समय ईश्वर में विश्वास, धैर्य, संतोष और सदाचार जैसे नैतिक मूल्यों को किस प्रकार प्रस्तुत किया है.
उनके अनुसार, सना अल-शालान की कहानियाँ बच्चों को उपदेश, प्रेरणा और जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाती हैं. उन्होंने निष्कर्ष स्वरूप कहा कि लेखिका का स्थान बाल-साहित्य के प्रमुख लेखकों में एक उच्च दर्जे का है.
शोध के लिए उन्होंने मुख्य रूप से विश्लेषणात्मक पद्धति का उपयोग किया, साथ ही कुछ हद तक ऐतिहासिक दृष्टिकोण को भी अपनाया.यह शोध-प्रबंध एक भूमिका, चार प्रमुख अध्यायों, निष्कर्ष और उपसंहार में विभाजित है.
पहला अध्याय "बाल-साहित्य: परिभाषा, विकास और महत्त्व" शीर्षक के अंतर्गत आता है, जिसमें चार उपविषय शामिल हैं:
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बाल-साहित्य: भाषा और पारिभाषिक दृष्टिकोण
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बाल-साहित्य की परिभाषा और अन्य साहित्य से अंतर
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आधुनिक विश्व में बाल-साहित्य का विकास
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बाल-साहित्य की विशेषताएँ, उद्देश्य और उपयोगिता
दूसरा अध्याय लेखिका सना अल-शालान के जीवन और परिवेश पर केंद्रित है, जिसमें उनके सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर चर्चा की गई है। इसमें चार उपविषय हैं:
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जॉर्डन की सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि
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बीसवीं सदी में जॉर्डन की साहित्यिक और सांस्कृतिक स्थिति
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सना अल-शालान: लेखिका, कथाकार और उपन्यासकार
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उनके जीवन, संस्कृति और साहित्यिक योगदान का समग्र परिचय
तीसरे अध्याय में सना अल-शालान की साहित्यिक कृतियों का गहन विश्लेषण किया गया है, जो चार भागों में विभाजित हैं:
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उपन्यास
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नाटक
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लघु कहानियाँ
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बाल-कहानियाँ
चौथा और अंतिम अध्याय सना अल-शालान के प्रमुख बाल-साहित्यिक कार्यों की विश्लेषणात्मक समीक्षा पर केंद्रित है, जिसमें चार प्रमुख ऐतिहासिक और प्रेरणात्मक चरित्रों पर आधारित कहानियों का अध्ययन किया गया है:
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इब्न तैमिय्या – इस्लामी विद्वान और सुन्नत के पुनर्जीवक
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हारून अल-रशीद – इबादतगुज़ार और संघर्षशील खलीफा
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अल-खलील बिन अहमद अल-फ़राहीदी – अरबी व्याकरण और छंदशास्त्र के जनक
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अल-इज़ बिन अब्दुस्सलाम – ‘सुल्तान उल-उलमा’ और ‘बाइअ उल-मुलूक’ (राजाओं को बेचना वाले विद्वान)
इस शोध-प्रबंध ने यह प्रमाणित किया है कि डॉ. सना अल-शालान न केवल साहित्य की गहरी जानकार हैं, बल्कि उन्होंने बाल-साहित्य के क्षेत्र में भी अपनी स्पष्ट और मूल्याधारित लेखनी से अमिट छाप छोड़ी है.