आवाज़ द वॉयस / नई दिल्ली।
क्या आप जानते हैं कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय वायुसेना ने जिन आतंकवादी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की, वे महज़ कुछ इमारतें नहीं थीं, बल्कि भारत विरोधी आतंकवाद की फैक्ट्रियां थीं?
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर में स्थित मरकज सुभान अल्लाह और मुरीदके स्थित मरकज तैयबा लंबे समय से भारत में आतंकी हमलों की योजना, प्रशिक्षण और कट्टरपंथी प्रचार का केंद्र रहे हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पहले से यह मानते रहे हैं कि यदि पाकिस्तान की सरजमीं पर पल रहे इन आतंकी केंद्रों को खत्म कर दिया जाए, तो भारत में आतंकवाद की जड़ें कमजोर पड़ सकती हैं.
लेकिन मोदी सरकार से पहले की सरकारें निर्णायक कार्रवाई करने से बचती रहीं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस दिशा में ठोस और साहसिक कदम उठाते हुए इन आतंकी केंद्रों को ध्वस्त करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया.
मरकज सुभान अल्लाह: आतंकवाद की प्रयोगशाला
यह केंद्र बहावलपुर के बाहरी इलाके में कराची मोड़ के पास नेशनल हाईवे-5पर स्थित है और 15एकड़ में फैला हुआ है.यह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का केंद्रीय मुख्यालय है.
यहां भारत विरोधी आतंकी तैयार किए जाते हैं और उन्हें हथियारों, शारीरिक प्रशिक्षण और धार्मिक कट्टरता के पाठ पढ़ाए जाते हैं.पुलवामा हमला (14फरवरी 2019) के हमलावर यहीं प्रशिक्षित किए गए थे.
प्रमुख आतंकी नेताओं का गढ़
मरकज में JeM प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, उसका भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर, मौलाना अम्मार और अन्य परिजन निवास करते हैं.वर्तमान में मसूद अजहर पाकिस्तान की सेना की सुरक्षा में इस्लामाबाद या रावलपिंडी में छिपा हुआ है, जबकि संगठन का संचालन रऊफ असगर के हाथ में है.
प्रशिक्षण गतिविधियाँ
इस केंद्र में 600 से अधिक कैडर रहते हैं.मौलाना रफीकुल्लाह 2022से मुख्य प्रशिक्षक हैं.केंद्र में आधुनिक जिम, स्विमिंग पूल, घुड़सवारी की सुविधा, तीरंदाजी केंद्र और 'अल-हिजामा' चिकित्सा केंद्र तक मौजूद हैं.
अंतरराष्ट्रीय फंडिंग
इस मरकज का निर्माण पाकिस्तानी प्रांतीय और संघीय सरकारों की मिलीभगत से हुआ था.साथ ही यूके, खाड़ी देशों और अफ्रीका से फंड जुटाकर इसे वर्ष 2015 में चालू किया गया था.
30 नवंबर 2024 को मसूद अजहर ने दो साल बाद मरकज में JeM कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और बाबरी मस्जिद का बदला लेने जैसे उकसावेपूर्ण बयान दिए.इससे पहले वह फरवरी 2022 में 'ख़त्म-ए-बुखारी' कार्यक्रम में शामिल हुआ था.
रणनीतिक महत्व
यह मरकज राजस्थान के बीकानेर जिले के खाजूवाला से महज 100.4किमी की हवाई दूरी पर स्थित है.यहाँ अफगानिस्तान से लौटे आतंकियों और केपीके स्थित तस्करों के ज़रिए हथियारों की तस्करी की जाती है.
फिदायीन ट्रेनिंग का अड्डा
मसूद अजहर के भतीजे तल्हा रशीद, उमर, उस्मान और मोहम्मद इस्माइल उर्फ लंबू को यहीं फिदायीन हमलों के लिए प्रशिक्षित किया गया था और बाद में बालाकोट में हथियार प्रशिक्षण दिया गया.
मरकज तैयबा: लश्कर-ए-तैयबा की आतंकी यूनिवर्सिटी
वर्ष 2000में स्थापित, यह केंद्र पंजाब प्रांत के मुरीदके के नांगल साहदान इलाके में स्थित है और लगभग 82एकड़ में फैला है.इसमें मदरसा, बाजार, आवास, खेल मैदान, खेती और मछली पालन जैसे क्षेत्र शामिल हैं.
यह केंद्र लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के कैडरों को धार्मिक और सैन्य प्रशिक्षण देने का मुख्य ठिकाना है.पुरुषों के लिए सूफा अकादमी और महिलाओं के लिए अलग शिक्षण केंद्र है.हर साल यहां लगभग 1000छात्रों को दाखिला दिया जाता है.
प्रमुख आतंकियों का ठिकाना
यहीं पर लश्कर के विचारक आमिर हमजा, अब्दुल रहमान आबिद, जफर इकबाल और आतंकी नेता हाफिज सईद, जकीउर रहमान लखवी निवास करते हैं.अजमल कसाब सहित 26/11मुंबई हमले के सभी अपराधियों को भी यहीं प्रशिक्षित किया गया था.
संयुक्त राष्ट्र और कई देशों द्वारा प्रतिबंधित होने के बावजूद यह केंद्र आज भी पाकिस्तान में सक्रिय है.रमजान 2025के दौरान यहाँ एतिकाफ, जिहादी उपदेश और फिलिस्तीन एकजुटता सम्मेलन का आयोजन किया गया.
रणनीतिक दृष्टि से खतरनाक
यह मरकज आतंकवादी संगठनों को भारत के खिलाफ 'गजवत-उल-हिंद' जैसी विचारधाराओं के लिए रणनीति, धार्मिक औचित्य और प्रशिक्षण मुहैया कराता है.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत द्वारा इन दोनों केंद्रों पर की गई एयर स्ट्राइक केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह आतंकवाद के खिलाफ संकल्प और साहस का प्रतीक है.
इन आतंक के अड्डों को निशाना बनाकर भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी सुरक्षा और संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा.यह कार्रवाई न केवल सैन्य दृष्टिकोण से, बल्कि कूटनीतिक और नैतिक दृष्टि से भी एक बड़ा संदेश है – भारत अब चुप नहीं बैठेगा.
पाकिस्तान के दक्षिणी पंजाब में स्थित बहावलपुर सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य था, क्योंकि यह मसूद अजहर के नेतृत्व वाले आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय है.यह संगठन भारत में कई घातक हमलों में शामिल रहा है, जिसमें 2001का भारतीय संसद हमला और 2019का पुलवामा आत्मघाती हमला शामिल है.
कोटली
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित कोटली एक प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र है जहां आत्मघाती हमलावरों और आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया जाता है.रिपोर्टों के अनुसार, इस स्थान पर एक समय में 50से अधिक आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया जा सकता है.
गुलपुर
गुलपुर का इस्तेमाल 2023 और 2024 में जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ क्षेत्रों में आतंकवादी हमलों के लिए अग्रिम लॉन्चिंग पैड के रूप में किया गया था.इसका इस्तेमाल आतंकवादियों द्वारा भारतीय काफिलों और नागरिकों पर हमला करने के लिए एक मंच के रूप में भी किया गया था.
स्वाई
सवाई का संबंध उत्तरी कश्मीर के सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम जैसे संवेदनशील इलाकों में हुए हमलों से है.
सरजाल और बरनाला
ये दोनों क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के निकट स्थित हैं और इन्हें सीमापार घुसपैठ के लिए प्रमुख प्रवेश बिंदु माना जाता है.
बिलाल कैम्प
सियालकोट के निकट स्थित महमूदा शिविर का उपयोग कश्मीर में लंबे समय से सक्रिय आतंकवादी समूह हिज्बुल मुजाहिद्दीन द्वारा किया जाता रहा है.यद्यपि भारतीय अधिकारियों के अनुसार, हाल के वर्षों में यह समूह कमजोर हो गया है, फिर भी बाल लड़ाकों को महमूदा जैसे स्थानों से प्रशिक्षण और मार्गदर्शन मिल रहा है, जहां स्थानीय संचालकों का एक नेटवर्क है.