मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
38 प्रतिशत मुस्लिम और 40 प्रतिशत ओबीसी वोटर वाला कटिहार लोकसभा क्षेत्र बिहार का सबसे हाॅट सीट बना हुआ है. मोदी लहर के बावजूद 2014में इस क्षेत्र से जीत दर्ज करने वाले तारिक अनवर एक बार फिर मैदान में हैं.तारिक अनवर कांग्रेस का जाना-पहचाना चेहरा हैं. उन्होंने 2019 में भी इस सीट से किस्मत आजमाई थी, पर जदयू के दुलाल गोस्वामी के हाथों 57 हजार वोट से शिकस्त खा गए थे.
कटिहार का तारिक अनवर लोकसभा में पांच बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वैसे, बगावत कर वह एनसीपी का भी दामन पकड़ चुके हैं.कटिहार लोकसभा क्षेत्र से जुड़ी एक दिलचस्प यह है कि यहां से कष्मीर के मुख्यमंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद भी उम्मीदवार रहे हैं.
रातों-रात बदल जाती है चुनावी तस्वीर
यहां का चुनावी ट्रेंड जरा हट कर है. यहां जाति नहीं, धर्म के नाम पर मतदान होते हैं. यहां ईवीएम तक पहुंचने से महज 24से 48 घंटे पहले खेल हो जाता है. इस कारण कभी-कभी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाले तारिक अनवर जैसे दिग्गज नेता भी मात खा जाते हैं और दुलाल गोस्वामी जैसे स्थानीय व्यक्ति सांसद बन जाते हैं.इस वक्त कटिहार के दो विधानसभा क्षेत्र से दो मुस्लिम विधायक हैं.
कटिहार क्यों महत्वपूर्ण है ?
इसे समझने के लिए यह जान लेना दिलचस्प होगा कि कभी बिहार के बर्खास्त राज्यपाल यूनुस सलीम यहां से सांसद बन चुके हैं.पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद यहां से किस्मत आजमा चुके हैं. उन्हांेने 1996 में यहां से चुनाव लड़ा था और तीसरे नंबर पर आए थे.
इतना ही नहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी यहां से 1967 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हो चुके हैं. कटिहार में तारिक अनवर के राजनीतिक कद का अंदाजा इस से लगा सकते हैं कि वह 1980से कटिहार की राजनीति में सक्रिय हैं. वर्ष 1980, 1984, 1996 और 1998 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में तारिक अनवर ने जीत हासिल की.
सोनिया से बगावत
साल 1999 में सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर बगावत करते हुए तारिक अनवर ने कांग्रेस का साथ छोड़ कर शरद पवार और पीए सांगमा के साथ मिलकर एनसीपी बनाई थी . पार्टी छोड़ने के साथ उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था.
कांग्रेस छोड़ने के बाद तारिक अनवर को भारी नुकसान हुआ. भाजपा की तरफ से निखिल कुमार चैधरी लगातार तीन बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. हालांकि, इस दौरान 2004 और 2010 में शरद पवार ने महाराष्ट्र से तारिक अनवर को राज्यसभा में भेजा. फिर साल 2012 में मनमोहन सिंह की कैबिनेट में कृषि राज्य मंत्री का पद दिलवाया.
तारिक को मोदी लहर में मिली जीत
कई बार हार के बावजूद कटिहार की राजनीति में सक्रिय रहे तारिक अनवर ने मोदी लहर में 2014में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के घड़ी वाले निशान से भाजपा उम्मीदवार निखिल चैधरी को पराजित कर चुनाव जीता . इसके बाद घर वापसी करते हुए वह 2019 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में बिहार सरकार में मंत्री रहे दुलालचंद गोस्वामी के खिलाफ चुनाव लड़े, पर उन्हें शिकस्त मिली.
दुलाचंद भाजपा से जदयू में
बेहद साधारण परिवार से आने वाले दुलालचंद गोस्वामी की राजनीति की शुरुआत भाजपा कार्यकर्ता के रूप में हुई थी. 1995 में भाजपा के टिकट पर वह पहली बार बरसोई विधानसभा से चुनाव जीतकर विधायक बने. फिर 2012 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बलरामपुर विधानसभा से चुनाव जीतने के बाद वह जीतन राम मांझी सरकार में मंत्री रहे.
कई नदियों से घिरा है कटिहार
छह विधानसभा क्षेत्रों वाला कटिहार संसदीय क्षेत्र जिला गंगा, महानंदा, कोसी, बरंडी और कारी कोसी सहित आधा दर्जन से अधिक नदियों से घिरा हुआ है. 2011 की जनगणना के अनुसार, कटिहार जिले की जनसंख्या 3,068,149 है. कटिहार जिले में कुल सात विधानसभा क्षेत्र हैं, जबकि छह विधानसभा क्षेत्र कटिहार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं. जिले का कोरा विधानसभा क्षेत्र पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के में आता है.
कटिहार लोकसभा क्षेत्र का नेतृत्व 1967 से 1977 तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता सीताराम केसरी ने किया था. 2019 के चुनाव में जेडीयू नेता दुलाल चंद गोस्वामी को यहां से 559,423 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी तारिक अनवर को 502220 वोट.
कटिहार लोकसभा चुनाव से जुड़ी कुछ और जानकारियां
कटिहार लोकसभा सीट बिहार के 543 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. इसमें वर्तमान में 6 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें 7,77,182 पुरुष वोटर हैं. महिला मतदाताओं की संख्या 8,76,094 है. थर्ड जेंडर के मतदाता 77 हैं. 2019 में कुल वोटरों की संख्या 11,17,734 थी, जिनमें से कुल पुरुष मतदाता 5,54,254 और महिला मतदाता 5,62,770 थे. 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 67.60 रहा था.