चुपचाप लेकिन गहराई से: वो जो जम्मू और कश्मीर बदल रहे हैं

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 22-06-2025
Quietly but deeply: Those who are changing Jammu and Kashmir
Quietly but deeply: Those who are changing Jammu and Kashmir

 

एक ऐसा इलाक़ा जो दशकों से उथल-पुथल का गवाह रहा हो, जहाँ सपनों को अक्सर ख़ामोशी के कोनों में दबा दिया जाता रहा हो—वहीं अब एक ख़ामोश क्रांति आकार ले रही है.मुख्यधारा की सुर्खियों से दूर, कुछ असाधारण लोग जम्मू-कश्मीर की सामाजिक संरचना को नए सिरे से गढ़ रहे हैं.वे बिना शोर मचाए बाधाओं को पार कर रहे हैं. परंपराओं को चुनौती दे रहे हैं.अपने अटूट समर्पण के साथ अनगिनत लोगों को प्रेरित कर रहे हैं.

sakeenaसकीना अख्तर

सकीना अख्तर ने कश्मीर में गहराई से जड़े लैंगिक पूर्वाग्रहों को तोड़ते हुए इतिहास रच दिया.जहां खेलों, विशेषकर क्रिकेट में महिलाओं की भागीदारी पर हमेशा सवाल उठे हैं, वहीं सकीना ने मुन्नावराबाद की गलियों में अकेली लड़की के रूप में क्रिकेट खेलना शुरू किया.

आगे चलकर भारत की पहली महिला राष्ट्रीय क्रिकेट कोच बनीं जो जम्मू-कश्मीर से हैं.उनका सफर साहस, जज़्बे और बदलाव की जीवंत मिसाल है.

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 सीरत तारिक

सिर्फ 19 साल की उम्र में सीरत तारिक ने अपनी व्यक्तिगत रचनात्मक यात्रा को एक आंदोलन में बदल दिया है—सशक्तिकरण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आंदोलन.राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त करने के बाद वह अब अपने मंच का उपयोग अन्य युवाओं—खासकर संघर्षग्रस्त क्षेत्रों की युवतियों—की आवाज़ बुलंद करने के लिए कर रही हैं.

उन्हें कला के ज़रिए अपनी ताक़त और रचनात्मकता पहचानने में मदद कर रही हैं.

sशबनम कौसर

एक संघर्षपूर्ण क्षेत्र में, शबनम कौसर एक उद्देश्यपूर्ण नेतृत्व की मिसाल बनकर उभरी हैं.सिर्फ चार छात्रों और बिना किसी बुनियादी ढांचे के साथ शुरू कर उन्होंने बांदीपोरा के आर्मी गुडविल स्कूल को एक राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्थान में बदल दिया.उ

नकी कहानी शिक्षा, दृष्टिकोण और दृढ़ता की परिवर्तनकारी शक्ति को दर्शाती है.

wसुहैल सईद लोन

बांदीपोरा में जन्मे सुहैल सईद लोन, जो आतंकवाद की हिंसा से आहत हुए, अपने घावों को निराशा में नहीं बदलने दिया.उन्होंने अपने दर्द को सिनेमा के माध्यम से कहानियों में ढाल दिया.

अब मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय. अपने दुःख को उद्देश्यपूर्ण अभिव्यक्ति में बदलते हुए. वह साहस, बलिदान और देशभक्ति की कहानियों को पर्दे पर ला रहे हैं.

 

qसरवर बुलबुल

सरवर बुलबुल कश्मीर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संगीत के माध्यम से संजो रहे हैं.एक प्रसिद्ध नात ख्वान और रफाबाद के ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित बुलबुल एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (BAPA) के संस्थापक, सरवर वंचित युवाओं को सूफी, शास्त्रीय और भक्ति संगीत सिखाते हैं.वह यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि परंपराएं श्रद्धा और समकालीनता के साथ अगली पीढ़ी तक पहुँचे.

aइर्तिका अयूब

इर्तिका अयूब कश्मीर में महिलाओं के लिए खेल के मैदान में एक नई राह बना रही हैं.क्षेत्र की सबसे युवा रग्बी डेवलपमेंट ऑफिसर के रूप में, वह पुरुष-प्रधान खेलों में लिंग भेद की परंपराओं को चुनौती दे रही हैं.

उनका कार्य युवतियों में आत्मविश्वास, समानता और सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रहा है, यह दर्शाते हुए कि खेल सामाजिक बदलाव का सशक्त माध्यम हो सकते हैं.

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अनीसा नबी

अनीसा नबी सार्वजनिक सेवा और निजी जुनून का अद्भुत मेल हैं.एक JKAS अधिकारी और मुख्य खेल अधिकारी के रूप में, वह जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर खेल विकास की पक्षधर हैं.

मैराथन धाविका और फिटनेस प्रेरक के रूप में, उन्होंने वंड्रस वुमन कम्युनिटी की स्थापना की और Fit India Movement की राजदूत भी हैं.वह दिखाती हैं कि नेतृत्व केवल पद नहीं, सक्रियता और समावेशिता में निहित होता है.

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ग़ुलाम नबी तंत्रे

ग़ुलाम नबी तंत्रे ने बांदीपोरा में B.Ed कॉलेज और जम्मू में दून इंटरनेशनल स्कूल जैसे शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना कर समाज सशक्तिकरण को अपना जीवन-धर्म बना लिया है

.उन्होंने तजामुल इस्लाम जैसी खेल प्रतिभाओं का मार्गदर्शन किया है.संकट की घड़ी में राहत पहुंचाने के लिए हमेशा आगे आए हैं.राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहे जाने के बावजूद वे अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं.यह दिखाते हुए कि असली नेतृत्व पद से नहीं, उद्देश्य से उपजता है.

q मोहम्मद हफीज फुरकानाबादी

मोहम्मद हफीज फुरकानाबादी ने शिक्षा और करुणा को अपना जीवन समर्पित कर दिया है.उस माहौल में जहां बालिकाओं की शिक्षा को हतोत्साहित किया जाता था, उन्होंने घर-घर जाकर सोच बदलने का प्रयास किया.

शिक्षक और एक धर्मार्थ ट्रस्ट के संस्थापक के रूप में उन्होंने सैकड़ों वंचित बच्चों को निःशुल्क शिक्षा और संसाधन मुहैया कराए हैं—बिना किसी धार्मिक या सामाजिक भेदभाव के। वह सांप्रदायिक सद्भाव और समान अवसरों को बढ़ावा दे रहे हैं.

q वजाहत फारूक भट

कभी पथराव करने वाला एक क्रोधित किशोर, वजाहत फारूक भट अब एक शांतिप्रिय क्रांति के अगुआ हैं.शेरी गांव (बारामूला) से ताल्लुक रखने वाले वजाहत की परवरिश ‘जिहाद’, ‘बदला’ और ‘शहादत’ की कहानियों के बीच हुई, जो मस्जिद के भाषणों और समुदाय की सोच से पोषित थीं.

लेकिन 2018 में SSP इम्तियाज़ हुसैन से NCC प्रशिक्षण के दौरान हुई एक मुलाक़ात और एक स्थानीय मौलवी की कथनी-करनी के अंतर ने उनकी सोच बदल दी.

आज वजाहत ‘जम्मू एंड कश्मीर सेव यूथ सेव फ्यूचर’ नामक एक जमीनी संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसने अब तक 3,000से अधिक युवाओं को कट्टरता से बाहर निकाला है.उनका सपना है कि वह इस आंदोलन को वैश्विक स्तर तक ले जाएं, जहां कभी निराशा थी वहाँ अब उम्मीद जगे.

ये परिवर्तनकारी लोग भले ही अक्सर सुर्खियों में न हों, लेकिन इनका प्रभाव असंदिग्ध है.अपने साहस, रचनात्मकता और निष्ठा से ये लोग न सिर्फ कश्मीर की कहानियों को पुनर्लेखित कर रहे हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी एक नई राह दिखा रहे हैं.ये कहानियाँ इस सच्चाई की याद दिलाती हैं कि चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, बदलाव संभव है—धीरे, चुपचाप लेकिन गहराई से.

प्रस्तुति : दानिश अली