Kairana Lok Sabha constituency: The electoral picture here is visible in the figures.
मलिक असरग हाशमी / नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एक राजनीतिक महाशक्ति है जो भारतीय राजनीति में अपने महत्वपूर्ण प्रभाव के लिए प्रसिद्ध है. कैराना एक विविध जनसांख्यिकीय को दर्शाता है और उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र बना हुआ है. अब 2024 में, मतदाता अपने वोट की ताकत दिखाने के लिए और भी अधिक उत्साहित हैं.
कैराना लोकसभा क्षेत्र में 2024 उम्मीदवारों की सूची में, बहुजन समाज पार्टी से श्रीपाल सिंह, भारतीय जनता पार्टी से प्रदीप कुमार और समाजवादी पार्टी से इकरा हसन प्रमुख उम्मीदवार हैं.
कैराना लोकसभा 2019
2019 के आम विधानसभा चुनाव में कैराना में कड़ी टक्कर देखने को मिली. इस निर्वाचन क्षेत्र में वर्ष 2019 में 67.46% मतदान हुआ. भाजपा उम्मीदवार प्रदीप कुमार ने 2019 के आम चुनाव में 5,66,961 वोट हासिल करते हुए 92,160 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. प्रदीप कुमार ने सपा की तबस्सुम बेगम को हराया, जिन्हें 4,74,801 वोट मिले थे. आइए एक नजर डालते हैं कैराना लोकसभा सीट पर.
कैराना चुनाव परिणाम 2019
उम्मीदवार का नाम परिणाम वोट शेयर
प्रदीप कुमार- भारतीय जनता पार्टी- विजेता 5,66,961- वोट 92,160 बढ़त- 50.44% वोट शेयर
तबस्सुम बेगम- समाजवादी पार्टी- उपविजेता -4,74,801 वोट- 42.24% वोट शेयर
हरेंद्र सिंह मलिक- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस- 69,355 वोट- 6.17% वोट शेयर
नोटा- इनमें से कोई नहीं- 3,542 वोट- 0.32% वोट शेयर
हरीश कुमार- निर्दलीय 2,130 वोट- 0.19% वोट शेयर
श्रीपाल सिंह सर्वजन लोक शक्ति पार्टी- 1,304 वोट- 0.12% वोट शेयर
मोहम्मद सलीम निर्दलीय- 1,138 वोट- 0.1% वोट शेयर
मुकेश देवी- महासंकल्प जनता पार्टी- 934 वोट- 0.08% वोट शेयर
कैराना लोस सीट का जातिगत समीकरण
मुस्लिम 3.5 लाख
मुस्लिम गुर्जर 1.5 लाख
हिंदू गुर्जर 1.5 लाख
एससी-एसटी 2 लाख
कश्यप 2 लाख
वैश्य-ब्राह्मण 1.3 लाख
इस बार ये वोटर करेंगे मतदान
कुल मतदाता 1722432
महिला मतदाता 800518
पुरुष मतदाता 9 21820
अन्य 871
कैराना के उम्मीदवारों की सूची ?
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श्रीपाल सिंह (बहुजन समाज पार्टी)
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प्रदीप कुमार (भारतीय जनता पार्टी)
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इकरा हसन (समाजवादी पार्टी)
दो बार से अधिक नहीं मिली किसी को जीत
कैराना लोकसभा सीट का इतिहास रहा है कि यहां पर कोई भी दल दो बार से ज्यादा लगातार जीत हासिल नहीं कर सका है. मुस्लिम और जाट बाहुल्य इस निर्वाचन क्षेत्र में राजनीतिक दलों का जातीय समीकरण बैठाने का गणित जनता अक्सर गलत साबित करती रही है.
ऐसा इसलिए क्योंकि इस सीट पर किसी भी दल का कभी भी वर्चस्व नहीं रहा है. यहां की जनता हर बार परिवर्तन कर काबिज दल को बाहर कर देती है. यह सिलसिला पहले लोकसभा चुनाव से चला आ रहा है.
यहां पर कांग्रेस की लहर के बावजूद पहले लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने भारी मतों से जीत हासिल कर कांग्रेस को हराया था. बाद में यहां जनता दल के प्रत्याशी ने लगातार दो बार 1989 और 1991 में जीत हासिल की, लेकिन तीसरी बार वह जीत नहीं सके.
इसी तरह यह कारनामा अजीत सिंह चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल ने 1999 और 2004 में कर दिखाया, लेकिन वह भी तीसरी बार लगातार जीत हासिल नहीं कर सके. अब तक भाजपा, बसपा और सपा, जनता पार्टी सेक्युलर ने इस लोकसभा सीट पर सिर्फ एक-एक बार ही जीत दर्ज की है.
कैराना नहीं कर्णपुरी है प्राचीन नाम
कैराना उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. कैराना प्राचीन काल में कर्णपुरी के नाम से जाना जाता था, जो बाद में बिगड़कर किराना नाम से जाना गया और फिर कैराना हो गया. मुजफ़्फ़रनगर से करीब 50 किलोमीटर पश्चिम में हरियाणा पानीपत से सटा यमुना नदी के पास बसा कैराना राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय लोकदल का घर भी माना जाता है.
यहां मुस्लिम और जाट मतदाताओं की संख्या अधिक है. हालांकि यह जातिगत आंकड़ा हर बार एक जैसा चुनावी फैसले नहीं करता है. इस लोकसभा क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से कैराना की दूरी करीब 103 किलोमीटर है.