आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
जमीयत उलेमा ए हिंद को नए खून की जरूरत है. वक्त आ गया है कि कौम का नौजवान नए नजरिए के साथ सामने आए. यह कहना है जमीयत उलेमा ए हिंद के सदर मौलाना महमूद मदनी का.वह गुरुवार को जमीयत उलेमा ए हिंद के दो दिवसीय आम सभा को संबोधित कर रहे थे.इस आम सभा में देश के विभिन्न हिस्सों के 100 से अधिक इस्लामिक विद्वान भाग ले रहे हैं.
कार्यक्रम की सदारत करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत को नया खून लाना है. संगठन को नए दृष्टिकोण वाले नौजवानों की जरूरत है.उन्होंने कौम के नौजवानों का आह्वान करते हुए कहा -मैं नौजवानों को कहना चाहता हूं कि जमीयत को आपका इंतजार है. अल्लाह ने चाहा तो आपके काम से इंकलाब आएगा. यदि आप इंकलाब नहीं देख सके त ो आपकी नस्ल देखेगी.
इससे पहले जमीयत की ओर से पिछली कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. इस मौके पर मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीयत को हर दौर में काम करने वालों की जरूरत रही है. उन्होंने कहा कि अभी जो लोग हैं वह महत्वपूर्ण कामों में व्यस्त हैं.उन्होंने जमीयत के अध्यक्ष एवं महासचिव के चुनाव की प्रक्रिया को सर्वोत्तम बताया.
उन्होंने कहा इन पदों पर सीधे चुनाव नहीं होता, बल्कि जमात आमला के सदस्य भावी सदर और महासचिव का नाम भेजते हैं. इसके आधार पर नाम तय किए जाते हैं. उन्होंने बताया एक सदर दो टर्म से अधिक नहीं रह सकता.
उन्होंने मंच से मुसलमानों का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें हालात से मायूस होने की जरूरत नहीं . उन्हांेने माॅब लिंचिंग की घटनाओं की ओर इशारा करते हुए का कि ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने की आवश्यकता है. उन्होंने संवाद पर बल देते हुए कहा कि बातचीत का रास्ता कभी बंद नहीं करना चाहिए. उन्होंने फर्जी मुकदमे दर्ज करने की भी निंदा की. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि गुफ्तगू से बातचीत का दरवाजा खुलता है.
जमीयत उलेमा ए हिंद की आम सभा को संबोधित करते हुए मुफ्ती अफाम ने चिंता प्रकट की कि मुल्क नाजुक हालात से गुजर रहा है. आजादी के बाद देश ने अनेक दंगे-फसाद देखे, पर अब दीन-ईमान पर हमले हो रहे हैं. उन्होंने पाठ्य पुस्तकों में किए जा रहे बदलाव की भी आलोचना की. जमीयत उलेमा-ए-हिंद का यह राष्ट्रीय अधिवेशन शुक्रवार को भी चलेगा, जिसमें मदरसा, इस्लामोफोबिया, यूनिफॉर्म सिविल कोड, मुस्लिम शिक्षा, माॅब लिंचिंग जैसे मुसलमानों को प्रभावित मुद्दों पर चर्चा होगी.