भारतीय नस्लों के श्वान बने सीमा सुरक्षा बल की नई शान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 24-10-2025
Indian dog breeds have become the new pride of the Border Security Force.
Indian dog breeds have become the new pride of the Border Security Force.

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

भारत के इतिहास, संस्कृति और पुराणों में श्वानों को सदैव एक विशिष्ट और सम्माननीय स्थान प्राप्त रहा है. भारतीय मूल की श्वान नस्लें अपने अद्वितीय साहस, निष्ठा और कार्यकुशलता के लिए प्रसिद्ध रही हैं. राजदरबारों की शोभा से लेकर रणभूमि के शौर्य तक, इनकी उपस्थिति भारत की गौरवशाली सैन्य और सांस्कृतिक परंपरा में मानव और पशु के बीच अटूट संबंध का प्रतीक रही है.

 

इस ऐतिहासिक परंपरा को एक नई दिशा तब मिली जब जनवरी 2018 में माननीय प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के टेकनपुर स्थित राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र (NTCD) का दौरा किया.इस अवसर पर उन्होंने भारतीय नस्लों के श्वानों को सुरक्षा बलों में शामिल करने और उन्हें प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया.

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प्रधानमंत्री की यह दूरदर्शी सोच स्वदेशी नस्लों को पहचान दिलाने, उन्हें प्रशिक्षित करने और परिचालन भूमिकाओं में सम्मिलित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल साबित हुई.इसके पश्चात 30 अगस्त 2020 को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने भारतीय नस्लों के श्वानों को अपनाने और प्रोत्साहित करने का आह्वान किया.

यह अपील ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना से प्रेरित थी, जिसने देशभर में स्वदेशी गौरव, आत्मविश्वास और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की नई चेतना जगाई. प्रधानमंत्री की इसी प्रेरणा से अनुप्राणित होकर, बीएसएफ ने दो प्रमुख भारतीय नस्लों , रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड को बल में सम्मिलित कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया.

रामपुर हाउंड, उत्तर प्रदेश के रामपुर रियासत की देन है, जिसे नवाबों द्वारा बड़े शिकार और गीदड़ों के शिकार के लिए विकसित किया गया था. यह नस्ल अपनी गति, सहनशक्ति और निर्भीकता के लिए प्रसिद्ध है. वहीं मुधोल हाउंड, दक्कन के पठार की पारंपरिक नस्ल है, जो शिकार और सुरक्षा कार्यों में सदियों से उपयोग में लाई जाती रही है. मराठा सेनाओं से इसका ऐतिहासिक संबंध रहा है और राजा मलोजीराव घोरपड़े ने इसका संरक्षण करते हुए इसे ब्रिटिश अधिकारियों के समक्ष ‘Caravan Hound’ के रूप में प्रस्तुत किया था.

इन दोनों भारतीय नस्लों की प्रमुख विशेषताएँ हैं , असाधारण फुर्ती, उच्च सहनशक्ति, अनुकूलनशीलता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता. यही गुण इन्हें भारत के विविध भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों में विशेष रूप से प्रभावी बनाते हैं.

बीएसएफ न केवल इन स्वदेशी नस्लों को टेकनपुर स्थित राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षित कर रहा है, बल्कि उनके प्रजनन और विस्तार पर भी सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है. यह पहल अब सहायक K9 प्रशिक्षण केंद्रों और क्षेत्रीय इकाइयों तक फैल चुकी है, जिससे भारतीय नस्लों के श्वानों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है.

वर्तमान में 150 से अधिक भारतीय नस्लों के श्वान देश के विभिन्न सामरिक और संवेदनशील क्षेत्रों  जैसे पश्चिमी और पूर्वी सीमाएं तथा नक्सल-विरोधी अभियानों  में तैनात किए जा चुके हैं. इनकी अनुशासित कार्यक्षमता और दक्षता ने स्वदेशी नस्लों को सुरक्षा बलों की परिचालन संरचना में एक सुदृढ़ स्थान प्रदान किया है.

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इस पहल की सफलता का प्रमाण वर्ष 2024 की अखिल भारतीय पुलिस ड्यूटी मीट (लखनऊ) में देखने को मिला, जब बीएसएफ की “रिया”, एक मुधोल हाउंड, ने सर्वश्रेष्ठ ट्रैकर ट्रेड श्वान और ‘डॉग ऑफ द मीट’ दोनों खिताब अपने नाम किए.

यह पहला अवसर था जब किसी भारतीय नस्ल के श्वान ने 116 विदेशी नस्लों को पछाड़कर यह उपलब्धि अर्जित की। यह उपलब्धि भारतीय श्वानों की श्रेष्ठता, अनुशासन और परिचालन क्षमता का जीवंत प्रमाण है.

इस गौरवशाली यात्रा को आगे बढ़ाते हुए आगामी राष्ट्रीय एकता दिवस परेड, जो एकता नगर, गुजरात में आयोजित होगी, में बीएसएफ की एक विशेष मार्चिंग टुकड़ी केवल भारतीय नस्लों के श्वानों से सुसज्जित होकर भाग लेगी.

इस अवसर पर एक विशेष श्वान प्रदर्शन भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें इन स्वदेशी योद्धाओं की सामरिक कुशलता और परिचालन दक्षता का प्रदर्शन किया जाएगा. यह आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी भारत की K9 शक्ति का जीवंत प्रतीक होगा.

भारतीय नस्लों के श्वानों का बीएसएफ में समावेश, प्रशिक्षण, प्रजनन और तैनाती न केवल भारत की आत्मनिर्भरता और स्वदेशी गौरव के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है, बल्कि यह भारत की उस दृढ़ संकल्पित भावना का प्रतीक भी है जो परंपरा और आधुनिकता को साथ लेकर आगे बढ़ रही है.

यह पहल भारतीय विरासत को पुनर्जीवित करती है और यह संदेश देती है कि भारत आत्मविश्वास, शक्ति और गरिमा के साथ अपने पथ पर अग्रसर है  और इस यशस्वी यात्रा में भारतीय श्वान राष्ट्र सेवा की अग्रिम पंक्ति में डटे हैं.