नई दिल्ली
भारत के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने खुलासा किया है कि उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर का अंत 34-35 साल की उम्र में ही सोचा था, न कि 38 साल तक खेलते रहने के बाद।
अश्विन ने पिछले साल बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान अचानक संन्यास की घोषणा कर दी थी। ब्रिस्बेन में खेले गए तीसरे टेस्ट के ड्रा होते ही उन्होंने विदाई लेकर पूरे क्रिकेट जगत को चौंका दिया।
अपने यूट्यूब शो ‘कुट्टी स्टोरीज़ विद ऐश’ पर बात करते हुए अश्विन ने कहा,“मेरे मन में यह तय था कि मैं 34-35 साल की उम्र में संन्यास लूंगा। मुझे लगता है यह सही समय था और जीवन की परिस्थिति भी वही कह रही थी। मैं उम्रदराज हो चुका था, और बार-बार विदेश दौरों पर जाकर बेंच पर बैठना मुझे खलने लगा था।”
अश्विन ने यह भी कहा कि कभी-कभी खेल से दूरी बनाने से जुनून दोबारा लौट आता है।“कई बार किसी माहौल से खुद को बाहर निकालना, थोड़ा ब्रेक लेना ही आपके भीतर फिर से वही जुनून जगा देता है। यह टीम को योगदान न देने की बात नहीं थी, बल्कि यह सोचना था कि मैं घर पर बच्चों के साथ समय क्यों न बिताऊं। वे भी बड़े हो रहे थे और मैं सोचता था, आखिर मैं कर क्या रहा हूं?”
अश्विन ने भारत के लिए 106 टेस्ट मैच खेले और 537 विकेट अपने नाम किए। उनका औसत 24.00 रहा और सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी 7/59 की रही। उन्होंने 37 बार पांच विकेट और 8 बार दस विकेट मैच में लिए।
वह टेस्ट क्रिकेट में कुल विकेट लेने वालों की सूची में आठवें स्थान पर और भारत के लिए दूसरे नंबर पर हैं। उनसे आगे सिर्फ अनिल कुंबले (619 विकेट) हैं। अश्विन के नाम टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक पांच विकेट लेने के मामले में श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन (67) के बाद दूसरा स्थान है।
गेंदबाज़ी के साथ-साथ अश्विन बल्ले से भी अहम योगदान देते रहे। उन्होंने टेस्ट में 3,503 रन बनाए, जिनमें 6 शतक और 14 अर्धशतक शामिल हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 124 रन रहा।
वनडे (ODI) में अश्विन ने 116 मैचों में 156 विकेट झटके और 707 रन भी बनाए। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 65 रन का अर्धशतक रहा।
सभी प्रारूपों (फॉर्मेट्स) को मिलाकर अश्विन ने 287 मैचों में 765 विकेट झटके, जो भारत के लिए अनिल कुंबले (953 विकेट) के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड है।
अश्विन भारतीय टीम के लिए कई ऐतिहासिक जीतों का हिस्सा रहे। वे 2011 आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप और 2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली टीम का अहम हिस्सा थे।
अश्विन का संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन उनकी विरासत हमेशा नई पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी।