आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
भारतीय शिक्षा व्यवस्था में लगातार यह बहस चलती रही है कि मदरसों की पढ़ाई को कैसे आधुनिक और प्रासंगिक बनाया जाए ताकि वहाँ पढ़ने वाले छात्र भी मुख्यधारा की शैक्षिक और व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में बराबरी से खड़े हो सकें. सरकारें जहां मदरसों के पंजीकरण और आधारभूत ढांचे में सुधार के लिए प्रयास कर रही हैं, वहीं शैक्षिक संस्थान भी इन बच्चों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुँचाने के लिए नई पहल कर रहे हैं.
इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) ने उठाया है.विश्वविद्यालय ने हाल ही में ‘मदरसा कनेक्ट प्रोग्राम’ की शुरुआत की है.
इसका उद्देश्य न केवल उर्दू माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्रों को मुख्यधारा से जोड़ना है बल्कि उनकी अंग्रेज़ी भाषा और संप्रेषण क्षमता को मजबूत करना भी है. यह पहल उन छात्रों के लिए अवसरों के नए द्वार खोल सकती है जो अब तक केवल परंपरागत पाठ्यक्रमों तक सीमित थे.
कार्यक्रम का शुभारंभ और उद्देश्य
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने कहा कि यह पहल विश्वविद्यालय की दृष्टि “रीचिंग द अनरीच्ड” (अवसरों से वंचितों तक पहुंचने) से प्रेरित है.
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय लगातार यह प्रयास कर रहा है कि शिक्षा उन वर्गों तक पहुंचे जो अब तक मुख्यधारा से कटे हुए हैं. इसी क्रम में विश्वविद्यालय ने एक नया मल्टीमीडिया केंद्र भी स्थापित किया है, जो ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए शिक्षा को व्यापक बनाने में मदद करेगा.
कुलपति ने स्पष्ट किया कि यह प्रोग्राम केवल भाषाई प्रशिक्षण तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि छात्रों को उच्च शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा. उन्होंने बताया कि MANUU के कई पूर्व छात्र आज विभिन्न देशों में सेवाएँ दे रहे हैं और यह पहल आने वाले समय में और अधिक छात्रों को वैश्विक अवसरों तक पहुंचाने में सहायक होगी.
मुख्य अतिथि का सुझाव और सहयोग
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स के निदेशक डॉ. अब्दुल क़ादिर ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि उर्दू माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों के लिए यह कार्यक्रम किसी नई रोशनी से कम नहीं है.
उन्होंने सुझाव दिया कि MANUU और शाहीन ग्रुप मिलकर अंग्रेज़ी शिक्षकों के लिए आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करें ताकि बच्चों को प्रशिक्षित और दक्ष शिक्षकों से पढ़ाई का लाभ मिले.
डॉ. क़ादिर ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं बल्कि छात्रों को आत्मविश्वासी बनाना है. अंग्रेज़ी भाषा आज के दौर में उच्च शिक्षा और रोज़गार दोनों के लिए अत्यंत आवश्यक है, और यदि मदरसों के छात्र इसमें निपुण हो जाते हैं तो उनका भविष्य पूरी तरह बदल सकता है.
MANUU का दृष्टिकोण और योजना
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. इश्तियाक़ अहमद ने डॉ. क़ादिर के शैक्षिक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि शाहीन ग्रुप ने कक्षा से लेकर छात्रावास तक एक ऐसा आधुनिक शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है, जिसका सीधा लाभ वंचित वर्गों को मिल रहा है.
उन्होंने विश्वास जताया कि यह साझेदारी मदरसों के छात्रों के लिए वास्तविक बदलाव लेकर आएगी..कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र (CDOE) के निदेशक प्रो. मोहम्मद रज़ाउल्लाह ख़ान ने बताया कि मदरसा कनेक्ट प्रोग्राम को तीन चरणों में विभाजित किया गया है.
पहला चरण एक महीने का होगा
दूसरा चरण दो महीने का
तीसरा चरण तीन महीने का
पूरे कार्यक्रम की अवधि छह महीने की होगी और इसमें भाषा एवं संप्रेषण कौशल के विभिन्न आयामों पर ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने जानकारी दी कि शुरुआत में 100 मदरसों को इस योजना से जोड़ा जाएगा और धीरे-धीरे इसे देशभर के हज़ारों मदरसों तक पहुँचाने का लक्ष्य है. इसके लिए MANUU अपने क्षेत्रीय केंद्रों का उपयोग करेगा.
अंग्रेज़ी संप्रेषण कौशल का महत्व
भाषा, भाषाविज्ञान और इंदोलॉजी संकाय (SLL&I) की अधिष्ठाता प्रो. गुलफ़िशां हबीब ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज उच्च शिक्षा और करियर के क्षेत्र में अंग्रेज़ी संप्रेषण कौशल अत्यंत महत्वपूर्ण है.
अंग्रेज़ी केवल एक भाषा नहीं बल्कि अवसरों का माध्यम है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से मदरसों के छात्रों को बेहतर अवसर मिलेंगे और वे भी प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ सकेंगे.
कार्यक्रम के दौरान “English for Beginners” नामक वर्कबुक का भी विमोचन किया गया, जिसे प्रो. मोहम्मद अब्दुल सामी सिद्दीकी और सुश्री इस्मत फ़ातिमा ने तैयार किया है. यह पुस्तक छात्रों को अंग्रेज़ी सीखने की बुनियादी जानकारी और व्यावहारिक अभ्यास उपलब्ध कराएगी.
आयोजन और संचालन
यह कार्यक्रम सीपीडीयूएमटी सभागार में आयोजित हुआ. विश्वविद्यालय के कई संकाय सदस्यों, छात्रों और शिक्षाविदों ने इसमें भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शेख़ वसीम ने किया.
‘मदरसा कनेक्ट प्रोग्राम’ एक ऐसी पहल है जो केवल मदरसों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक नए अध्याय की शुरुआत है. यह पहल बताती है कि यदि पारंपरिक शिक्षा को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ा जाए तो उसमें पढ़ने वाले छात्र भी वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं.
आज जब शिक्षा का दायरा ऑनलाइन और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैल चुका है, तब यह कदम मदरसों के छात्रों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा. यह कार्यक्रम न केवल उन्हें भाषाई दक्षता देगा बल्कि आत्मविश्वास, व्यक्तित्व और करियर निर्माण के रास्ते भी प्रशस्त करेगा.