आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज़ में जीत के बावजूद वेस्टइंडीज़ क्रिकेट का समग्र प्रदर्शन लगातार गिरावट पर है। एक के बाद एक खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम छोड़कर फ्रेंचाइज़ी लीग्स की ओर रुख कर रहे हैं। हाल ही में घरेलू मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच में मात्र 27 रनों पर ऑलआउट होने के बाद वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड ने इस संकट से निपटने के लिए अपने पूर्व महान खिलाड़ियों से मदद मांगी।
इस बैठक में ब्रायन लारा, क्लाइव लॉयड, विव रिचर्ड्स, डेसमंड हेन्स, शिवनारायण चंद्रपॉल और मौजूदा कोच डैरेन सैमी मौजूद थे। चर्चा के दौरान लारा ने साफ़ कहा कि मौजूदा टीम बाकी देशों के स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं है, जबकि लॉयड ने आईसीसी से वेस्टइंडीज़ के अतीत की सफलता को देखते हुए अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मांग की।
1980 से 2000 के बीच वेस्टइंडीज़ क्रिकेट दुनिया की सबसे ताकतवर टीमों में से एक थी, लेकिन आज की टीम उसकी छाया भर है। कमजोर प्रशासन, आर्थिक संकट और खिलाड़ियों को उचित भुगतान न मिलना—ये सब कारण हैं कि युवा क्रिकेटर देश के लिए खेलने की बजाय टी-20 लीग्स को प्राथमिकता दे रहे हैं।
लारा ने बैठक में कहा,"पहले टीम का चयन पूरी तरह कौशल के आधार पर होता था और हम दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम थे। लेकिन समय के साथ खेल बदल गया है। हमें नई प्रतिभाओं को लाने के लिए नए तरीके अपनाने होंगे। हमारे पास अब भी टैलेंट है, लेकिन उसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा।"
वहीं क्लाइव लॉयड ने कहा,"आर्थिक तंगी वेस्टइंडीज़ क्रिकेट के पतन का बड़ा कारण है। आईसीसी को हमारे गौरवशाली इतिहास को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त मदद देनी चाहिए। अगर टेस्ट क्रिकेट में दो-स्तरीय प्रणाली लागू हो गई, तो वेस्टइंडीज़ को उससे बाहर निकलने में कम से कम 100 साल लगेंगे।"