नई दिल्ली।
भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास में साल 2025 स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने तमाम उतार–चढ़ाव, आलोचनाओं और दबावों को पीछे छोड़ते हुए अपना पहला आईसीसी महिला विश्व कप खिताब जीतकर क्रिकेट जगत को चौंका दिया। यह सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं थी, बल्कि भरोसे, जुझारूपन और प्रभुत्व का ऐतिहासिक बयान था।
विश्व कप में भारत की शुरुआत डगमगाई हुई रही। टूर्नामेंट के बीच में दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ लगातार तीन हार ने टीम को लगभग बाहर कर दिया था। कप्तान हरमनप्रीत कौर की अगुआई में टीम को चमत्कार की जरूरत थी। यह मोड़ न्यूजीलैंड के खिलाफ 53 रन की जीत से आया, जिसने टीम की किस्मत बदल दी।
इसके बाद से भारत ने इतिहास रच दिया। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 339 रन का रिकॉर्ड चेज़—जो पुरुष और महिला, दोनों विश्व कप नॉकआउट मुकाबलों में सबसे बड़ा था—ने दुनिया को भारतीय महिला क्रिकेट की ताकत दिखा दी। फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराकर भारत ने पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।
इस ऐतिहासिक साल की धुरी रहीं स्मृति मंधाना। 2025 में उन्होंने 23 वनडे में 1362 रन बनाए, औसत 61.90 और स्ट्राइक रेट 109.92 रहा। पांच शतक और पांच अर्धशतक के साथ वह साल की सबसे सफल बल्लेबाज़ बनीं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 50 गेंदों में शतक जड़कर उन्होंने सबसे तेज़ भारतीय वनडे शतक का रिकॉर्ड भी बनाया। विश्व कप में उनके 434 रन भारत की सफलता की नींव बने।
वहीं, दीप्ति शर्मा के लिए यह टूर्नामेंट ‘रिडेम्पशन’ की मिसाल बना। 2017 और 2022 की निराशाओं के बाद 2025 में उन्होंने इतिहास रच दिया। 215 रन और 22 विकेट के साथ वह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनीं और विश्व कप में 200+ रन व 20+ विकेट करने वाली पहली क्रिकेटर (पुरुष या महिला) बनीं। फाइनल में उनका 58 रन और 5/39 का प्रदर्शन भारत के वर्चस्व की मुहर था।
शेफाली वर्मा की वापसी ने कहानी को और खूबसूरत बनाया। टीम से बाहर होने के बाद फाइनल में 87 रन की पारी और 2 विकेट लेकर वह प्लेयर ऑफ द मैच रहीं।
कोच अमोल मजूमदार और कप्तान हरमनप्रीत कौर के लिए यह जीत वर्षों के इंतज़ार का फल थी।साल 2025 सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि यह संदेश था कि भारतीय महिला क्रिकेट अब इतिहास की सीमाएँ तोड़ चुका है—यह ताजपोशी एक नई शुरुआत है।






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