पिता बनने के बाद भी जीत की भूख बरकरार, युवा खिलाड़ियों से चुनौती का स्वागत: मैग्नस कार्लसन

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 26-12-2025
Even after becoming a father, the hunger for victory remains, and I welcome the challenge from young players: Magnus Carlsen
Even after becoming a father, the hunger for victory remains, and I welcome the challenge from young players: Magnus Carlsen

 

दोहा।

शतरंज की दुनिया के दिग्गज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन ने साफ शब्दों में कहा है कि पिता बनने के बावजूद उनके भीतर जीतने की भूख में कोई कमी नहीं आई है। कतर की राजधानी दोहा में शुक्रवार से शुरू हो रही फिडे विश्व रैपिड और ब्लिट्ज चैंपियनशिप से पहले कार्लसन ने दो टूक कहा कि वह इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में खिताब जीतने के इरादे से ही उतरे हैं।

नॉर्वे के इस स्टार खिलाड़ी के लिए 2025 एक और शानदार साल साबित हुआ है। वह इस सत्र की आखिरी बड़ी प्रतियोगिता में भी प्रबल दावेदार के रूप में शुरुआत कर रहे हैं। कार्लसन अब तक पांच बार रैपिड और आठ बार ब्लिट्ज विश्व खिताब जीत चुके हैं, जो उनकी निरंतरता और दबदबे को दर्शाता है। शतरंज जगत में उन्हें आज भी “निर्विवाद बादशाह” माना जाता है।

कार्लसन ने क्लासिकल प्रारूप के मौजूदा विश्व चैंपियन भारतीय खिलाड़ी डी गुकेश के साथ मंच साझा करते हुए निजी जीवन और पेशेवर खेल पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, “पति और पिता बनना एक शानदार अहसास है। यह साल मेरे लिए निजी तौर पर बेहद खास रहा। लेकिन जहां तक शतरंज की बात है, तो न मेरा बेटा और न ही मेरी पत्नी मेरी चालें बनाने में मदद कर पाते हैं। इसलिए पिता बनने के बाद मेरे खेल या मेरी महत्वाकांक्षा में कोई बदलाव नहीं आया है। मैं पहले की तरह ही जीतने आया हूं।”

इस साल नॉर्वे शतरंज टूर्नामेंट में गुकेश द्वारा कार्लसन को हराए जाने के बाद भारतीय खिलाड़ी को उनके संभावित भावी प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है। जब कार्लसन से पूछा गया कि क्या वह अब भी गुकेश को “युवा खिलाड़ी” मानते हैं, तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “जब उनका जन्म हुआ था, तब मैं पहले से ही दुनिया के शीर्ष 50 खिलाड़ियों में शामिल था। इसलिए मेरा जवाब अब भी ‘हां’ है।”

युवा खिलाड़ियों के उभार पर बात करते हुए कार्लसन ने कहा कि उनके खिलाफ खेलना हमेशा दिलचस्प होता है। उन्होंने कहा, “स्थापित शीर्ष खिलाड़ियों के साथ मुकाबला रोमांचक जरूर होता है, लेकिन उसमें एक जाना-पहचाना पैटर्न भी होता है। युवा खिलाड़ियों के साथ खेलते समय आपको अंदाजा नहीं होता कि वे किस स्तर की चुनौती पेश करेंगे। यही बात मुकाबले को और रोचक बना देती है।”

स्पष्ट है कि उम्र, पारिवारिक जिम्मेदारियां या नई पीढ़ी का उभार—इनमें से कोई भी चीज मैग्नस कार्लसन की प्रतिस्पर्धी मानसिकता को कमजोर नहीं कर पाई है। दोहा में होने वाली यह चैंपियनशिप एक बार फिर यह साबित करने का मंच बनेगी कि कार्लसन अब भी शतरंज की बिसात पर जीत के सबसे बड़े दावेदार हैं।