बेथलेहम
क्रिसमस की पूर्व संध्या पर बेथलेहम के ऐतिहासिक मैन्जर स्क्वायर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। दो वर्षों तक संघर्ष और अनिश्चितता के साये में फीका पड़ा उत्सव इस बार फिर रोशनी और उम्मीद के साथ लौटा। बुधवार को विशाल क्रिसमस ट्री की स्थापना की गई, जबकि प्रभु यीशु के बाल रूप को मलबे और कंटीले तारों के बीच दर्शाकर युद्धग्रस्त क्षेत्र की पीड़ा और शांति की कामना को प्रतीकात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया।
वेटिकन में पोप लियो 14वें ने सेंट पीटर्स बैसिलिका में अपनी पहली ‘मध्यरात्रि प्रार्थना सभा’ का नेतृत्व किया। अपने संबोधन में उन्होंने क्रिसमस की कथा के गहरे अर्थ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ईश्वर पीड़ा से जूझ रहे लोगों को सहारा देने के लिए असहाय रूप में आते हैं, ताकि मानवता को फिर से खड़े होने की शक्ति मिले। फूलों से सजी बैसिलिका में लगभग 6,000 श्रद्धालुओं ने प्रार्थना में भाग लिया।
यरुशलम से बेथलेहम तक की पारंपरिक यात्रा में शीर्ष कैथोलिक नेता कार्डिनल पियरबाटिस्ता पिजाबल्ला शामिल हुए। उन्होंने “रोशनी से जगमग क्रिसमस” का आह्वान करते हुए गाजा के छोटे ईसाई समुदाय की ओर से शुभकामनाएं पहुंचाईं और कहा कि तबाही के बीच भी पुनर्निर्माण की इच्छा जीवित है।
फ्रांस से आई पर्यटक मोना रीवर ने कहा, “अंधकार भरे हालात में क्रिसमस उम्मीद की किरण लेकर आता है।” हालांकि अक्टूबर में शुरू हुए गाजा संघर्षविराम के बाद भी वेस्ट बैंक में तनाव बना हुआ है। 1967 के युद्ध के बाद इजरायल के नियंत्रण वाले इस क्षेत्र में फलस्तीनी प्राधिकरण को सीमित स्वायत्तता प्राप्त है।
बेथलेहम के मेयर के अनुसार, बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी के कारण लगभग 4,000 लोग रोजगार की तलाश में शहर छोड़ चुके हैं। यह ईसाई समुदाय के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि वेस्ट बैंक की करीब 30 लाख आबादी में ईसाइयों की हिस्सेदारी दो प्रतिशत से भी कम रह गई है।
उधर, उत्तरी इजराइल के नाजरेथ में पारंपरिक परेड की वापसी के साथ सांता क्लॉज़ हर ओर नजर आए। ईसाई मान्यता के अनुसार यही वह स्थान है जहां महादूत गैब्रियल ने मरियम को यीशु के जन्म का संदेश दिया था। क्रिसमस के ये दृश्य दुनिया भर में शांति, करुणा और एकजुटता का संदेश दे रहे हैं।