आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
कर्नाटक के मैसुरु शहर में 11 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध दशहरा उत्सव का बृहस्पतिवार को विजयादशमी के भव्य शोभायात्रा के साथ समापन हो गया.
‘नाडा हब्बा’ (राज्य उत्सव) के रूप में मनाया जाने वाला मैसुरु दशहरा या ‘शरणा नवरात्रि’ उत्सव इस साल कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को शाही धूमधाम और गौरव के साथ प्रदर्शित करने का मंच बना.
हजारों लोग ‘जंबू सवारी’ देखने के लिए जुटे। ‘अभिमन्यु’ नाम के हाथी के नेतृत्व में एक दर्जन सजे-धजे हाथियों की शोभायात्रा निकली। अभिमन्यु की पीठ पर मैसुरु और यहां के राजपरिवार की अधिष्ठात्री देवी चामुंडेश्वरी का विग्रह 750 किलोग्राम के स्वर्णिम हौदा या ‘अंबरी’ में स्थापित किया गया.
भव्य शोभायात्रा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया द्वारा अपराह्न एक बजे से 1.18 बजे के बीच शुभ ‘धनुर लग्न’ के दौरान राजसी अम्बा विलास पैलेस के बलराम द्वार पर नंदी ध्वज की पूजा के साथ शुरू हुई।
नंदी ध्वज की पूजा करने के बाद सिद्धरमैया ने राज्य के लोगों को विजयादशमी की शुभकामनाएं दीं।
कर्नाटक की विरासत को दर्शाने वाले विभिन्न जिलों के सांस्कृतिक समूहों और झांकियों से युक्त यह शोभायात्रा लगभग पांच किलोमीटर की दूरी तय कर बन्नीमंतपा पहुंची।
सरकारी विभागों की योजनाओं, कार्यक्रमों और सामाजिक संदेशों को दर्शाती झांकियां भी इसमें शामिल थी। शोभायात्रा शुरू होने से कई घंटे पहले ही रास्ते में भारी भीड़ देखी गई।इस दौरान हल्की बारिश हुई।