वर्तमान सैयदना कौन हैं ?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 04-11-2023
Syedna Mufaddal Saifuddin
Syedna Mufaddal Saifuddin

 

राकेश चौरासिया

भारत में 5 लाख बोहरा मुसलमान हैं. बोहरा मुस्लिम समुदाय गुजरात राज्य के सूरत को अपना घर मानता है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी इस समुदाय के सदस्य काफी संख्या में हैं. बोहरा मुस्लिम समुदाय के धार्मिक नेता को सैयदना कहा जाता है. वर्तमान सैयदना ‘सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन’ हैं. परमपावन सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन 53वें अल-दाई अल-मुतलक और दुनिया भर के दाऊदी बोहरा समुदाय के वर्तमान नेता हैं. उन्होंने अपना जीवन समुदाय की सेवा और बड़े पैमाने पर समाज की बेहतरी के लिए समर्पित कर दिया है, जिसमें शिक्षा, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और सामाजिक.आर्थिक विकास पर विशेष जोर दिया गया है.

सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन कौन हैं ?

सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन दुनिया भर में अपने अनुयायियों का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें उनकी आस्थाए संस्कृति और विरासत के करीब लाते हैं. वह उन्हें शांति और देशभक्ति के इस्लामी मूल्यों की शिक्षा देते हैं. वे बोहरा समुदाय के प्रत्येक सदस्य को उत्पादक नागरिक बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हैं, जो अपने.अपने देशों के सामाजिक ताने.बाने में सकारात्मक योगदान दे सकें.

सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने कई सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक पहलों का नेतृत्व किया है. मिस्र की राजधानी काहिरा शहर में, उन्होंने अहलेबैत (पैगम्बर मुहम्मद के परिवार) से जुड़े धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण किया. यमन में, उन्होंने हराज क्षेत्र के निवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार, स्थायी कृषि प्रणालियों की शुरुआत, स्थानीय बुनियादी ढांचे में सुधार और बच्चों के लिए शिक्षा की समान पहुंच प्रदान करने के लिए कई अभियानों का नेतृत्व किया है.वर्तमान सैयदना लंबे समय तक एएमयू के चांसलर रहे हैं. वर्तमान में जामिया मिल्लिया के चांसलर हैं.

 
  • सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन, दाऊदी बोहरा समुदाय के 53 वें दाई अल-मुतलक हैं.
  • वे 52वें दाई अल-मुतलक मोहम्मद बुरहानुद्दीन के दूसरे पुत्र हैं, जिन्हें अपने पिता के स्थान पर 2014 में बोहरा समुदाय का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया था.
  • सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन दुनिया भर में सामुदायिक कार्यक्रमों की देखरेख करते हैं, जैसे मुंबई के भिंडी बाजार में सैफी बुरहानी उत्थान परियोजना, प्रोजेक्ट राइज (एक दाऊदी बोहरा वैश्विक परोपकारी पहल) और एफएमबी (सामुदायिक रसोई), जो सामाजिक-आर्थिक विकास, खाद्य सुरक्षा और खाद्य अपशिष्ट को कम करना एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करती हैं.

सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन का जन्म 20 अगस्त 1946 (माहे रमजान की 23वी तारीख,  हिजरी साल 1365) को गुजरात के सूरत में हुआ था. उनके दादा ताहिर सैफुद्दीन ने उनका नाम ‘आली कद्र मुफद्दल’ रखा था. उनकी कुनयत यानी पैतृक नाम अबू-जाफरूसादिक है, जो उनके सबसे बड़े बेटे जाफूरुस्सदिक इमादुद्दीन से जुड़ा हुआ है और उनका उपनाम सैफुद्दीन है .

अपने दादा ताहिर सैफुद्दीन के युग के दौरान, उन्होंने कोलंबो (श्रीलंका) के सैफी विला में कुरान का पाठ शुरू किया था. उन्होंने अपने पिता मोहम्मद बुरहानुद्दीन, और उनके ससुर युसुफ नजमुद्दीन, जामेआ सैफियाह के दिवंगत रेक्टर से अपनी आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की थी. उन्होंने भारत और मिस्र में अपनी स्नातक शिक्षा पूरी की,

मिस्र के काहिरा शहर में उनका एक कस्टम-अनुरूप अध्ययन कार्यक्रम बनाया गया था, जिसमें प्राचीन और ऐतिहासिक अल-अजहर विश्वविद्यालय और काहिरा विश्वविद्यालय सहित काहिरा के प्रमुख विश्वविद्यालयों के विद्वान शामिल थे. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने 1969 में सूरत के जामेआ सैफियाह से अल-फक़ीह अल-जय्यद की डिग्री (प्रतिष्ठित न्यायविद) के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की . 1971 में उन्हें अल-अलीम अल-बारें (उत्कृष्ट विद्वान) की उपाधि से सम्मानित किया गया था. उन्होंने 1 जनवरी 1970 को युसूफ नजमुद्दीन की बेटी जौहरतुस-शराफ नजमुद्दीन से शादी की थी.

उनके पिता बुरहानुद्दीन ने उन्हें 1970 में अमीरुल-हज नियुक्त किया था. हज के बाद उन्होंने ईराक, सीरिया, मिस्र और यमन की धार्मिक स्थलों की यात्रा की. यमन में, उन्होंने तीसरे दाई अल-मुतलक हातिम बिन इब्राहिम के मकबरे की नींव रखी. उस यात्रा के बाद, बुरहानुद्दीन ने उन्हें 1971 में अकीक-उल-यमन (यमन का नगीना) की सम्मानित उपाधि प्रदान की.

बोहरा मुसलमान क्या है?

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Dawoodi Bohra community


फातिमी इस्माइली तैयबी विचारधारा का पालन करने वाले मुसलमानों के एक समूह को दाऊदी बोहरा मुसलमान के रूप में जाना जाता है. कहा जाता है कि यमन जाने से पहले यह समूह पहली बार मिस्र में दिखता था. ग्यारहवीं शताब्दी में दाऊदी बोहरा के नाम से जाने जाने वाले मुसलमान भारत में बस गये. तब इस संप्रदाय का मुख्यालय वर्ष 1539 में यमन से भारत के सिद्धपुर (गुजरात के पाटन जिला) में स्थानांतरित कर दिया गया था. दुनिया के 100 से अधिक देशों में इनकी आबादी 20 लाख से 50 लाख आबादी होने का अनुमान है. भारत के आलावा इनकी आबादी पाकिस्तान के कराची, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, मध्य पूर्व और पूर्वी अफ्रीका में भी बड़ी संख्या में है.

बोहरा समुदाय और मुस्लिम समुदाय में क्या अंतर है?

दाऊदी बोहरा एक प्रसिद्ध एकजुट समाज है, जो इस्लाम के सभी पांचों स्तंभों का पालन करता है, जिसमें कुरान पढ़ना, हज और उमरा तीर्थयात्राओं में भाग लेना, पांच दैनिक प्रार्थनाएं करना, रमजान के दौरान उपवास करना और जकात देना शामिल है. यद्यपि पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखना समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है.

वे जीवन पर अपने व्यापारिकता और आधुनिकतावादी दृष्टिकोण के लिए भी प्रसिद्ध हैं. दाऊदी बोहरा इस्लाम के शिया संप्रदाय के अनुयायी हैं. उनके सामुदायिक केंद्र अलग होते हैं. उनके धार्मिक नेता भी अन्य मुसलमानों से भिन्न होते हैं. वे अपनी खास पोशाक के कारण अलग से पहचाने जाते हैं.

यमन मूल के ज्यादातर दाऊदी बोहरा गुजरात में बस गए हैं और ये सभी गुजराती बोलते हैं. यह भी एक कारण है कि दाऊदी बोहराओं के पास दुनिया में एक ही समुदाय में व्यवसायियों, उद्यमियों और व्यापारियों की सबसे बड़ी संख्या है. आज भी उनमें से कई या अधिकांश का अपना व्यवसाय है.

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Syedna Mufaddal Saifuddin with PM Narednra Modi 


दाऊदी बोहरा कब चर्चा में आए ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दाऊदी बोहरा समुदाय का खास रिश्ता है, क्यों पीएम मोदी और बोहरा समुदाय दोनों की कर्मस्थली गुजरात हैं. पीएम मोदी ने बोहरा समुदाय के कार्यक्रमों में शिराकत की है. पीएम मोदी की इस समुदाय से अंतरंगता के कारण ही यह समुदाय भारत में चर्चा का विषय बन गया है. हाल ही में जब पीएम मोदी मिस्र की यात्रा पर गए थे, तो काहिरा में, ऐतिहासिक इमाम अल-हकीम बी अम्र अल्लाह मस्जिद भी गए थे. इस मस्जिद का भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय द्वारा पुर्नरोद्धार किया गया है. भारतीय बोहरा समुदाय 1970 के बाद से ही इस मस्जिद का रखरखाव कर रहे हैं.