भारत-पाक तनाव पर बोले जमाअत अध्यक्ष: युद्ध नहीं, शांति ही विकल्प है

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 10-05-2025
Jamaat president spoke on India-Pakistan tension: Peace is the only option, not war
Jamaat president spoke on India-Pakistan tension: Peace is the only option, not war

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर जारी तनाव, ड्रोन हमले और गोलीबारी के बीच, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने एक गहन और संतुलित बयान जारी करते हुए दोनों देशों से संयम बरतने और स्थायी शांति की दिशा में ठोस पहल करने की अपील की है.

उन्होंने कहा कि "युद्ध और संघर्ष किसी के हित में नहीं हैं, और इनका सबसे बड़ा खामियाज़ा दोनों देशों की आम जनता, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों के गरीब और सामान्य नागरिकों को भुगतना पड़ता है."

संघर्ष नहीं, शांति हो प्राथमिकता

हुसैनी ने अपने बयान में भारत सरकार द्वारा संघर्ष को बढ़ावा न देने की मंशा को सार्थक और स्वागतयोग्य करार दिया. उन्होंने कहा कि,"हम भारतीय अधिकारियों की इस बात के लिए सराहना करते हैं कि उन्होंने स्पष्ट किया है कि युद्ध या संघर्ष को और आगे ले जाने का कोई इरादा नहीं है. हमें उम्मीद है कि यह रुख सिर्फ बयान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जल्द ही दोनों देशों के बीच स्थायी शांति की दिशा में ठोस और परिणामकारी कदम उठाए जाएंगे."

"दोनों देश गरीबी से लड़ें, एक-दूसरे से नहीं"

हुसैनी ने ज़ोर देकर कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश गरीबी, बेरोज़गारी और सामाजिक असमानता से जूझ रहे हैं, और ऐसी स्थिति में युद्ध की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। उन्होंने चेताया कि,"दोनों देश परमाणु ताकतें हैं और दोनों ही अपने संसाधनों का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए कर सकते हैं. युद्ध या सैन्य तनाव से केवल नुकसान होगा, और सबसे ज्यादा असर आम नागरिकों की ज़िंदगी पर पड़ेगा, जो पहले ही जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से जूझ रहे हैं."

निर्दोष नागरिकों की मौत पर जताई गहरी चिंता

सीमावर्ती क्षेत्रों में हो रही नागरिक मौतों और संपत्ति के नुकसान को लेकर हुसैनी ने गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि,"हर रोज़ सीमा से निर्दोष भारतीय नागरिकों की मौत की खबरें आ रही हैं. महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों की जानें जा रही हैं। यह स्थिति अस्वीकार्य है। सरकार को चाहिए कि वह ऐसे सभी परिवारों को त्वरित सहायता और सुरक्षा प्रदान करे."

उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि सीमा पार भी नागरिक हताहत हुए हैं, तो यह भी उतना ही दुखद है और मानवता के खिलाफ है."चाहे किसी की राष्ट्रीयता, धर्म या जाति कुछ भी हो — निर्दोष लोगों की हत्या मानवता पर हमला है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि युद्ध की आग में आम लोग ही सबसे पहले और सबसे बुरी तरह झुलसते हैं."

आतंकवाद के स्थायी समाधान पर बल

सैयद हुसैनी ने यह भी स्वीकार किया कि आतंकवाद इस क्षेत्र के लिए एक दीर्घकालिक संकट बना हुआ है और इसके चलते भारत व पाकिस्तान दोनों ही पीड़ित रहे हैं। उन्होंने कहा कि,"हमारे देश में आतंकवाद ने अनगिनत निर्दोष जिंदगियों को निगल लिया है. पाकिस्तान में भी लोग इसकी चपेट में आए हैं। अब समय आ गया है कि हम संकीर्ण रणनीतिक हितों से ऊपर उठें और इस मूल समस्या का कोई स्थायी, न्यायसंगत और समावेशी समाधान तलाशें."

मानवता को बचाने की सामूहिक ज़िम्मेदारी

हुसैनी ने अपने बयान का समापन इस अपील के साथ किया कि दोनों देशों के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व को यह समझना होगा कि युद्ध और हिंसा का कोई अंत नहीं होता.

उन्होंने जोर देते हुए कहा,"शांति सिर्फ हथियारों के साए में नहीं टिक सकती, उसके लिए आपसी संवाद, विश्वास और इंसानी ज़िंदगियों की कीमत को समझने की ज़रूरत है. यह हम सभी की सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि निर्दोष नागरिकों की जान बचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दें."

सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और दोनों ओर से सैन्य कार्रवाई हो रही है. उनके विचार इस बात की गवाही देते हैं कि भारत के भीतर शांति की पक्षधर आवाजें अभी भी ज़िंदा हैं और वह संघर्ष की नहीं, संवाद की वकालत कर रही हैं.