जावेद अख्तर / कोलकाता
जब पूरा देश ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी जैसे बहादुर भारतीय मुस्लिम अफसरों की देशभक्ति पर गर्व कर रहा था, उसी वक्त पश्चिम बंगाल से साजिद हुसैन नाम के एक होनहार छात्र ने गरीबी, संघर्ष और अभाव को पीछे छोड़ते हुए पश्चिम बंगाल उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में पूरे राज्य में सातवां स्थान हासिल कर यह साबित कर दिया कि हौसले और मेहनत के सामने कोई मुश्किल टिक नहीं सकती.
हावड़ा जिले के शिबपुर स्थित पीएम बस्ती में रहने वाले साजिद एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं.. उनके पिता फुटपाथ पर कपड़े बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. मां गृहिणी हैं. परिवार में तीन बेटे और तीन बेटियां हैं. कभी घर में नमक तक खरीदने के पैसे नहीं थे, लेकिन ऐसे कठिन हालात में भी साजिद ने पढ़ाई नहीं छोड़ी.
उनके स्कूल, हावड़ा हाई स्कूल (एचएस) के शिक्षकों ने उन्हें निरंतर प्रेरणा दी. प्रधानाध्यापक आफताब आलम के अनुसार, “साजिद ने पांचवीं कक्षा में प्रवेश के बाद से हर साल अव्वल स्थान प्राप्त किया.. माध्यमिक परीक्षा में भी 656 अंक हासिल किए.”
आर्थिक तंगी में भी जज्बा नहीं टूटा
साजिद के पास प्राइवेट ट्यूशन का खर्च उठाने की क्षमता नहीं थी. बावजूद इसके, उन्होंने स्कूल की पढ़ाई के साथ आसपास की कोचिंग कक्षाओं में भाग लिया. वे रोजाना 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई करते थे. उनके बहुत अधिक दोस्त भी नहीं थे. उनका अधिकांश समय किताबों और लक्ष्य के साथ बीतता.
शानदार अंक, मजबूत भविष्य
साजिद ने उर्दू में 99, अंग्रेजी में 93, इतिहास में 98, राजनीति विज्ञान और भूगोल में 99, और अर्थशास्त्र में 96 अंक प्राप्त किए. ये आंकड़े केवल अंकों का प्रतिनिधित्व नहीं करते, एक ऐसी कहानी को बयान करते हैं जिसमें संघर्ष है, तप है, और राष्ट्र के प्रति एक मुस्लिम युवा की प्रेरणात्मक प्रतिबद्धता है.
बनना है आईएएस अधिकारी
अपनी सफलता के बाद साजिद ने कहा,“मेरा सपना है कि मैं आईएएस अधिकारी बनूं . देश की सेवा करूं. हालात अनुकूल रहे और पढ़ाई जारी रख सका तो मैं ज़रूर यह लक्ष्य हासिल करूंगा.”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी साजिद को इस उपलब्धि पर बधाई दी है। उन्होंने सभी टॉप टेन छात्रों के नाम संदेश भेजा, जिसमें साजिद का भी उल्लेख था.
हावड़ा के विधायक अरूप रॉय खुद साजिद के घर पहुंचे और उन्हें मिठाई खिलाकर बधाई दी. उन्होंने कहा,“साजिद जैसी प्रतिभाएं ही राष्ट्र की असली संपत्ति होती हैं. उनकी पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आएगी. इसके लिए हम हरसंभव मदद करेंगे.”विधायक ने वित्तीय सहायता की भी घोषणा की.
साजिद : एक सोच की कहानी
भारत-पाक तनाव के माहौल में जब मुसलमानों की देशभक्ति को लेकर बहस छिड़ी है, साजिद की सफलता यह स्पष्ट संदेश देती है कि भारत का हर मुसलमान राष्ट्र के साथ है—चाहे वह सीमा पर तैनात अफसर हो या फटेहाल बस्ती में पढ़ने वाला कोई छात्र।.
साजिद हुसैन उन लाखों भारतीय मुसलमानों की तरफ से एक जवाब है, जो बिना शोर किए देश को अपनी मेहनत, निष्ठा और बुद्धिमत्ता से मज़बूत बना रहे हैं.