जावेद अशरफ: भारत की रणनीतिक कूटनीति के 'साइलेंट आर्किटेक्ट

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 28-09-2025
Javed Ashraf: Biography of a prominent Indian Foreign Service diplomat
Javed Ashraf: Biography of a prominent Indian Foreign Service diplomat

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली  

जावेद अशरफ भारतीय विदेश सेवा (IFS) के एक अत्यंत प्रतिष्ठित अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत, उत्कृष्टता और समर्पण के साथ भारत के अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक संबंधों में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने भारत के विभिन्न महत्वपूर्ण मिशनों में सेवा की और कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. जावेद अशरफ का करियर न केवल भारत के राजनयिक क्षेत्र में बल्कि वैश्विक कूटनीति में भी प्रशंसा के योग्य रहा है.

राजनयिक का विवाह ग़ज़ाला शहाबुद्दीन से हुआ है, जो बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के सैयद शहाबुद्दीन की बेटी हैं, जिसने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर विवादित ढांचे की रक्षा के लिए एक जन अभियान और कानूनी लड़ाई का नेतृत्व किया था. वे स्वयं एक आईएएस अधिकारी थे और 1970 के दशक के अंत में राजनीति में शामिल होने के लिए उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी.

Who Is Jawed Ashraf, Rumoured To Be The Next Deputy National Security  Advisor?

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:

जावेद अशरफ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में की. इसके बाद, उन्होंने भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद (IIM Ahmedabad) से प्रबंधन में मास्टर डिग्री प्राप्त की, जो उनकी विश्लेषणात्मक सोच और रणनीतिक दृष्टिकोण को परिष्कृत करने में सहायक साबित हुई.

कैरियर और कार्य:

  1. भारतीय विदेश सेवा में प्रवेश: जावेद अशरफ ने 1991 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल होकर अपने करियर की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने भारत के विभिन्न महत्वपूर्ण मिशनों में सेवा दी, जिससे उन्हें वैश्विक कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का गहरा अनुभव हुआ.

  2. विभिन्न मिशनों में सेवा: उन्होंने फ्रैंकफर्ट, बर्लिन, काठमांडू और वाशिंगटन डीसी में भारत के मिशनों में कार्य किया. इन स्थानों पर उन्होंने भारतीय विदेश नीति के महत्वपूर्ण पहलुओं को बढ़ावा दिया और भारतीय हितों को वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत किया.

  3. भारतीय उच्चायुक्त के रूप में कार्यकाल (2016-2020): जावेद अशरफ ने सिंगापुर में भारतीय उच्चायुक्त के रूप में 2016 से 2020 तक कार्य किया. उनके कार्यकाल में भारत और सिंगापुर के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत किया गया. उन्होंने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और वाणिज्यिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया और भारतीय समुदाय के कल्याण हेतु कई महत्वपूर्ण कदम उठाए.

  4. भारत के राजदूत के रूप में कार्यकाल (2020-2024): 2020 से दिसंबर 2024 तक, जावेद अशरफ ने फ्रांस और मोनाको में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया। उनके नेतृत्व में, भारत और फ्रांस के बीच रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. फ्रांस के साथ भारतीय साझेदारी को और प्रगाढ़ किया गया, विशेषकर न्युक्लियर ऊर्जा और रक्षा के क्षेत्रों में.

  5. नई दिल्ली में सेवा: नई दिल्ली में, जावेद अशरफ ने अमेरिकाज डिवीजन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें से एक था डिवीजन के प्रमुख का पद. इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में भी सेवा की। इस भूमिका में उन्होंने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर विदेश नीति, रक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं पर काम किया.

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सिंगापुर के उच्चायुक्त रह चुके हैं अशरफ 
 
जावेद अशरफ को 2016 नवंबर को सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त के तौर पर नियुक्त किया गया था. 1991 में वह भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए थे. वह 1993 से लेकर 1999 तक फ्रैंकफर्ट और बर्लिन में स्थित भारतीय दूतावास में भी तैनात रहे. इसके बाद 1999 से लेकर 2004 तक उन्होंने नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के अमेरिका डिवीजन में काम किया. फिर 2004 में उन्हें नेपाल का उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था. यहां उन्होंने 2007 तक काम किया और अपनी सेवाएं दी थीं.
 
वॉशिंगटन डीसी में राजनीतिक मामलों के मंत्री पर किया काम

2007 से लेकर वर्ष 2010 तक जावेद अशरफ ने वाशिंगटन डीसी में राजनीतिक मामलों के लिए काउंसलर और मंत्री के रुप में काम किया. फिर 2010 से 2012 तक नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय में अमेरिका डिवीजन का नेतृत्व किया. जावेद अशरफ ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में वर्ष 2016 तक प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में संयुक्त सचिव के तौर पर भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय में उनके पोर्टफोलियो में विदेश मंत्रालय, परमाणु उर्जा अंतरिक्ष और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद शामिल थे.
 
मुख्य उपलब्धियाँ और योगदान:
 
  1. सिंगापुर में व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों का सुधार: जावेद अशरफ के नेतृत्व में, भारत और सिंगापुर के बीच व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई. इसके साथ ही, उन्होंने दोनों देशों के सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को भी मज़बूत किया.

  2. भारत-फ्रांस रक्षा और परमाणु सहयोग: फ्रांस में भारत के राजदूत के रूप में जावेद अशरफ ने रक्षा और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाया, जिससे दोनों देशों के बीच सामरिक संबंध और अधिक मजबूत हुए.

  3. प्रधानमंत्री कार्यालय में योगदान: प्रधानमंत्री कार्यालय में अपनी भूमिका के दौरान, जावेद अशरफ ने विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में कई महत्वपूर्ण निर्णयों में योगदान दिया. उनके निर्णयों ने भारतीय कूटनीति और रक्षा नीति को नई दिशा दी.

Jawed Ashraf to be India's new envoy to France - The Economic Times
 
जावेद अशरफ़ कौन हैं? 
 
1991 बैच के IFS अधिकारी, राजदूत अशरफ़, पहले सिंगापुर में भारत के राजदूत थे और 2020 में उन्हें भारत के एक प्रमुख रणनीतिक सहयोगी, फ्रांस में राजदूत नियुक्त किया गया था.
 
उन्होंने 1993 से 1999 तक फ्रैंकफर्ट और बर्लिन में सेवा की. उसके बाद उन्होंने 1999 से 2004 तक विदेश मंत्रालय के अमेरिका प्रभाग में काम किया.
 
उन्होंने 2007 में काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास में काउंसलर के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा किया. 2007 से 2010 तक, उन्होंने वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास में सेवा की, जिसके बाद उन्होंने 2010 से 2012 तक अमेरिका प्रभाग का नेतृत्व किया.
 
एक अमेरिकी विशेषज्ञ, अशरफ़ DRDO-सफ्रान 110 KN लड़ाकू जेट इंजन कार्यक्रम के प्रमुख वार्ताकार हैं. वह उस कोर ग्रुप का भी हिस्सा थे जिसने चीन की कड़ी आपत्ति के बावजूद भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में प्रवेश दिलाने के लिए प्रयास किया था.
 
अशरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में भी कार्यरत रहे हैं, जहाँ माना जाता है कि उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए कई महत्वपूर्ण भाषण लिखे थे.
 
Jawed Ashraf to be India's new envoy to France
 

हाल ही में जावेद अशरफ ने India Today Mumbai Conclave 2024 में भाग लिया, जहां उन्होंने अपनी गहरी कूटनीतिक समझ और वैश्विक मामलों पर अपने विचार साझा किए. यह एक महत्वपूर्ण मंच था, जो भारतीय राजनीति, वैश्विक कूटनीति, सुरक्षा, और आर्थिक विषयों पर गहन चर्चा का अवसर प्रदान करता है. जावेद अशरफ की उपस्थिति इस आयोजन के लिए एक प्रमुख आकर्षण रही, क्योंकि वह एक अनुभवी राजनयिक और वैश्विक मंचों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने वाले विशेषज्ञ हैं.

फ्रांस में भारत के पूर्व राजदूत जावेद अशरफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ और बयानों के बीच भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का पुरजोर समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि भारत कोई कमजोर देश नहीं है, जिसे किसी अंतरराष्ट्रीय गुट की बैसाखी चाहिए. यह बयान अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक के उस दावे के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने भारत को अमेरिका या रूस-चीन के बीच किसी एक का पक्ष चुनने को कहा था. अशरफ ने ट्रंप के बयानों में नरमी के संकेतों पर भी ध्यान दिलाया.

ट्रंप ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'महान नेता' और 'दोस्त' बताते हुए भारत-अमेरिका संबंधों को विशेष करार दिया. अशरफ ने कहा, पिछले कुछ दिनों में तनाव में कमी आई है. हमें इंतजार करना होगा, लेकिन द्विपक्षीय वार्ता में प्रगति के संकेत हैं. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि भारत ने हमेशा तीसरे पक्ष की मध्यस्थता, खासकर पाकिस्तान के साथ मुद्दों पर, को खारिज किया है.

उनकी स्पीच और विचार:
 
  1. भारत की वैश्विक कूटनीति पर ध्यान केंद्रित: जावेद अशरफ ने अपनी स्पीच में भारत की बढ़ती वैश्विक स्थिति पर जोर दिया और यह स्पष्ट किया कि किस प्रकार भारत अब एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय शक्ति के रूप में उभर रहा है. उन्होंने भारत के विदेशी संबंधों में हो रहे बदलावों और कूटनीतिक रणनीतियों के बारे में विस्तार से चर्चा की. विशेष रूप से, उन्होंने भारत-प्रशांत क्षेत्र, यूएस-भारत संबंधों, और भारत-चीन रिश्तों पर अपने दृष्टिकोण साझा किए.

  2. वैश्विक व्यापार और कूटनीति में भारत की भूमिका: उन्होंने भारत के व्यापारिक कूटनीति और विकासशील देशों के साथ सहयोग को प्रमुखता दी. उन्होंने बताया कि भारत को एक ऐसा आर्थिक माहौल बनाना चाहिए जहां व्यापारिक साझेदारी और निवेश को बढ़ावा दिया जा सके, विशेष रूप से सिंगापुर और फ्रांस जैसे देशों के साथ. जावेद अशरफ ने यह भी बताया कि कैसे भारत और इन देशों के बीच मजबूत कूटनीतिक सहयोग व्यापार और सुरक्षा के मोर्चे पर लाभकारी साबित हो सकते हैं.

  3. राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा पर चर्चा: जावेद अशरफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत की रक्षा नीति पर भी बात की, विशेष रूप से सैन्य सहयोग और सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में। उन्होंने बताया कि भारत अब वैश्विक सुरक्षा मामलों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, और उसे अपनी सुरक्षा नीति को भविष्य के वैश्विक परिप्रेक्ष्य के अनुरूप और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है.

  4. आत्मनिर्भर भारत और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: जावेद अशरफ ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की और बताया कि कैसे भारत प्रौद्योगिकी, विज्ञान, और अनुसंधान के क्षेत्र में नए अवसरों को तलाश रहा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वैश्विक कूटनीति में भारत की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि वह किस तरह से अपनी राष्ट्रीय शक्ति, संसाधनों और सामरिक सहयोग का अधिकतम उपयोग करता है.

  5. भारत की सांस्कृतिक कूटनीति: जावेद अशरफ ने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता को दुनिया में पहचान दिलाने के लिए सांस्कृतिक कूटनीति का कितना महत्वपूर्ण स्थान है. उन्होंने भारत की संस्कृतिक कूटनीति के योगदान को समझाया और यह बताया कि कैसे भारत अपनी सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है.

जावेद अशरफ भारतीय विदेश सेवा के एक अत्यंत समर्पित और प्रभावशाली अधिकारी रहे हैं. उन्होंने अपने करियर के विभिन्न पड़ावों पर भारत के कूटनीतिक संबंधों को सुदृढ़ किया और भारतीय विदेश नीति को वैश्विक मंचों पर प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया. उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय कूटनीति को नई ऊँचाइयाँ प्राप्त हुईं.