मुंबई के बशीर चाचा: पेंशन से गुज़ारा, मगर आवारा जानवरों के लिए खुला दिल

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  [email protected] | Date 08-09-2025
Bashir Chacha from Mumbai: Survives on pension, but has an open heart for stray animals
Bashir Chacha from Mumbai: Survives on pension, but has an open heart for stray animals

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

एक ओर जहां सोशल मीडिया पर लोग आवारा जानवरों के लिए आवाज़ उठा रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे आवारा कुत्तों को पकड़कर, शेल्टर बंद रखें और कभी भी उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर वापस न छोड़ा जाए. वहीं दूसरी ओर मुंबई के गोवंडी इलाके में रहने वाले बशीर चाचा सालों से बिना किसी प्रचार-प्रसार के चुपचाप जानवरों की सेवा में लगे हैं. बशीर चाचा, जो पहले बॉम्बे बंदरगाह पर जहाज़ों की ड्यूटी करते थे, अब रिटायर हो चुके हैं और ₹18,000की पेंशन में अपना गुज़ारा करते हैं. लेकिन इसके बावजूद वे हर दिन आवारा कुत्तों, बिल्लियों और पक्षियों को खाना खिलाते हैं और घायल जानवरों का इलाज भी कराते हैं.

सेवा की मिसाल, दिखावे से दूर

बशीर चाचा का कहना है कि जानवरों की सेवा इंसानियत की सबसे बड़ी सेवा है. वे रोज़ सुबह से लेकर रात तक, यहां तक कि आधी रात को भी अगर कोई जानवर ज़रूरतमंद दिखे, तो उसकी मदद के लिए तैयार रहते हैं.

स्थानीय लोगों का भी मिलता है साथ

बशीर चाचा गोवंडी के शिवाजी नगर स्थित लोटस कॉलोनी की फ्लैट नंबर 9में रहते हैं. इलाके के दुकानदारों का कहना है कि बशीर चाचा को जानवरों को खाना खिलाते हुए कई सालों से देख रहे हैं. कई बार वे खुद भी उनकी मदद करते हैं – कभी खाने के पैकेट देकर तो कभी दवाइयों में सहयोग कर. इलाके के कुछ डॉक्टर भी उनका साथ देते हैं.

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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दो बेटे और एक बेटी के पिता हैं बशीर चाचा, लेकिन उनका दिल उन बेजुबानों के लिए भी उतना ही धड़कता है जो न तो अपनी भूख बता सकते हैं, न ही दर्द.

भले ही बीएमसी ने मुंबई के 51 कबूतरखानों को बंद करने का आदेश दिया हो, लेकिन बशीर चाचा आज भी पक्षियों को दाना डालना नहीं भूलते. उनका मानना है कि यह शहर सिर्फ इंसानों का नहीं, जानवरों और पक्षियों का भी है.

जब दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर आदेश जारी किए, कि वे आवारा कुत्तों को पकड़कर, शेल्टर बंद रखें और कभी भी उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर वापस न छोड़ा जाए. तब भी मुंबई के इस कोने में बशीर चाचा पहले से ही वो सब कर रहे हैं – अपने दम पर, अपने दिल से.

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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बशीर चाचा जैसे लोग इस समाज की असली पूंजी हैं, जिनकी सेवा, करुणा और निस्वार्थ भाव से हम सब को प्रेरणा लेनी चाहिए.

यह सराहनीय है कि मुंबई में बशीर चाचा जैसे कई लोग आवारा जानवरों को खाना खिलाने के लिए अपना समय समर्पित करते हैं, हम आशा करते हैं कि बशीर चाचा के  इन प्रयासों में सहयोग और भागीदारी करने के लिए आप भी आगे आएंगें. चाहे वह भोजन दान करके हो, अस्थायी आश्रय प्रदान करके हो, या बस आवारा जानवरों की ज़रूरतों का ध्यान रखकर हो.