गुलाम कादिर
सऊदी अरब के शाही दरबार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए शेख डॉ. सालेह बिन हुमैद को देश का नया ग्रैंड मुफ्ती और वरिष्ठ विद्वानों की परिषद (Council of Senior Scholars) का प्रमुख नियुक्त किया है. यह निर्णय उस समय आया जब 23 सितंबर 2025 को, सऊदी अरब के पूर्व ग्रैंड मुफ्ती शेख अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्ला अल-शेख का 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया. शेख अल-शेख के निधन को राज्य ने एक महान धार्मिक नेता की क्षति के रूप में देखा और ऐसे समय में डॉ. हुमैद की नियुक्ति न केवल धार्मिक नेतृत्व की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए की गई, बल्कि यह इस्लामी दुनिया को स्थिर मार्गदर्शन देने की दिशा में भी एक अहम कदम माना जा रहा है.
शेख डॉ. सालेह बिन हुमैद एक ऐसे विद्वान हैं जिनकी पहचान सिर्फ एक धार्मिक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक शैक्षणिक, राजनीतिक और वैश्विक इस्लामी विचारक के रूप में भी है. उनका जन्म 1949 में अल-बुकैरिया, बुरैदाह में हुआ था. उन्होंने मक्का स्थित उम्म अल-क़ुरा विश्वविद्यालय से शरिया और फ़िक़्ह (इस्लामी न्यायशास्त्र) में स्नातक, स्नातकोत्तर और फिर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की.
इस गहन शैक्षणिक पृष्ठभूमि ने उन्हें इस्लामी न्यायशास्त्र के सिद्धांतों और उनके व्यावहारिक पहलुओं को गहराई से समझने की क्षमता दी है. इसके अलावा, उनके दस संतानों का होना उनके पारिवारिक जीवन में इस्लामी मूल्यों के पालन को दर्शाता है.
डॉ. हुमैद 1984 से मक्का की ग्रैंड मस्जिद (मस्जिद अल-हरम) के इमामों में से एक रहे हैं. इस भूमिका में उन्होंने हज़ारों की संख्या में उपस्थित नमाज़ियों के साथ-साथ दुनिया भर में लाखों मुसलमानों को नमाज़ में नेतृत्व प्रदान किया है.
उनकी एक और विशेष जिम्मेदारी हर साल हज के दौरान अराफात की मस्जिद नमीरा में खुत्बा (धार्मिक उपदेश) देना रही है, जिसे इस्लामी कैलेंडर की सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक घटनाओं में से एक माना जाता है. इस उपदेश को विश्वभर में मुस्लिम समुदाय द्वारा अत्यंत आदर और गंभीरता से सुना जाता है.
उनका अनुभव सिर्फ इबादत और शिक्षा तक सीमित नहीं है. डॉ. हुमैद 1993 से मजलिस अल-शूरा (सऊदी अरब की सलाहकार परिषद) के सदस्य हैं और 2002 से 2009 तक इसके अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर चुके हैं. इसके अलावा, उन्होंने कुछ समय के लिए दो पवित्र मस्जिदों के धार्मिक मामलों के प्रमुख का पद भी संभाला था.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, जहां उन्होंने जेद्दा स्थित अंतरराष्ट्रीय इस्लामी फ़िक़्ह अकादमी (IIFA) के अध्यक्ष के रूप में सेवा दी, जो कि मुस्लिम देशों के बीच न्यायशास्त्रीय समन्वय का एक प्रमुख संस्थान है.
शेख डॉ. सालेह बिन हुमैद की यह नियुक्ति न केवल उनके गहन ज्ञान और दशकों की धार्मिक सेवा का सम्मान है, बल्कि यह भी संकेत है कि सऊदी अरब धार्मिक मार्गदर्शन और वैश्विक इस्लामी विमर्श में नेतृत्व की एक सशक्त और विद्वान आवाज को आगे बढ़ाना चाहता है.
उनकी नई भूमिका उन्हें न केवल राज्य के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय इस्लामी समुदाय में भी एक प्रभावशाली और निर्णायक भूमिका निभाने का अवसर देगी. उनकी विद्वत्ता, प्रशासनिक अनुभव और धार्मिक दृष्टिकोण, सऊदी अरब को धार्मिक स्थिरता और इस्लामी जगत को समकालीन चुनौतियों का समाधान देने में निश्चित रूप से मदद करेंगे.