मध्य असम के नगांव जिले के एक दूरदराज के गांव में जन्मी नाज़नीन यास्मीन बचपन से ही आकाश में हवाई जहाज और टेलीविजन पर रॉकेट लॉन्च देखने के बाद वैज्ञानिक बनने का सपना देखती थीं. 2021 में जब असम और बाकी दुनिया कोविड-19 महामारी की चपेट में थी, तब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा नाज़नीन को कनिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में चयनित और नियुक्त किया गया. जिसके बाद उनका गांव खुशी से झूम उठा.
इसरो के अंतर्गत आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र की वैज्ञानिक नाज़नीन यास्मीन चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण और सफल लैंडिंग से भी जुड़ी थीं. चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण से छह महीने पहले नाज़नीन ने एक बच्चे को जन्म दिया और उसे छुट्टी पर असम के बोंगाईगांव जिले के अभयपुरी में अपने पति के घर आना पड़ा. लेकिन उन्हें अपनी छुट्टी रद्द करनी पड़ी और अपने कार्यस्थल इसरो में उस टीम में शामिल होने के लिए जाना पड़ा जो चंद्रयान-3 लॉन्च करने में लगी हुई थी.
नाज़नीन अपनी प्राथमिक शिक्षा शुरू करने के लिए किसी संभ्रांत स्कूल में नहीं गईं. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा नागांव जिले के जुरिया में नूरुद्दीन फुरकानिया जेबी स्कूल में की.
2007 में उन्होंने कदमानी टाउन हाई स्कूल से कई विषयों में स्टार अंकों के साथ प्रथम श्रेणी हासिल करके अपनी मैट्रिक या दसवीं कक्षा की अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण की. उन्होंने कई विषयों में प्रथम श्रेणी में प्रथम श्रेणी हासिल करके नागांव के अल्फ़ाबिटा साइंस जूनियर कॉलेज से विज्ञान स्ट्रीम में उच्च माध्यमिक या बारहवीं कक्षा की अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण करके फिर से चमक बिखेरी.
इसके बाद उन्होंने 2013 में निट्ज़ मिर्जा कॉलेज, गुवाहाटी से इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बी.टेक और 2016 में तेजपुर विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन और टेक्नोलॉजी में प्रथम श्रेणी हासिल करके एम.टेक की उपाधि प्राप्त की.
विभिन्न निजी वैज्ञानिक संस्थानों में काम करने के साथ-साथ, नाज़नीन ने 2018 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तहत राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की और भारत सरकार की जूनियर रिसर्च फ़ेलोशिप के लिए भी अर्हता प्राप्त की.
नाज़नीन इसरो में अनुसंधान और भर्ती के लिए असम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की लिखित परीक्षा में बैठीं. उन्होंने यह परीक्षा डिस्टिंक्शन के साथ पास की. वह शिलांग में नॉर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में आयोजित साक्षात्कार और मौखिक परीक्षा में बैठीं. उसने यह परीक्षा विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण की.
नाज़नीन यास्मीन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में नियुक्त होने वाली उत्तर पूर्व की एकमात्र वैज्ञानिक हैं.
शिक्षक दंपत्ति अबुल कलाम आज़ाद और मंज़िला बेगम की बेटी नाज़नीन ने आवाज द वॉयस को बताया, "यदि आपके पास धैर्य और एकाग्रता है, तो आप सभी क्षेत्रों में सफलता के उच्चतम शिखर पर चढ़ सकते हैं. कोई भी चुनौती सफलता प्राप्त करने में बाधा नहीं बन सकती है."
बचपन से वैज्ञानिक बनने का सपना देखने वाली नाजनीन भारत के मिसाइल मैन और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के जीवन से प्रेरित थीं.
नाज़नीन अपने करियर के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में असम को बढ़ावा देने के लिए कुछ करने में रुचि रखती हैं. वह भविष्य में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के लिए काम करने की योजना बना रही हैं.