अर्लसा खान/नई दिल्ली
भारत की प्राचीन योग परंपरा न केवल देश में बल्कि दुनिया भर में अपनी गहरी छाप छोड़ रही है. इस वैश्विक योग आंदोलन में अब इस्लामिक देशों से जुड़े नाम भी सामने आ रहे हैं, जिन्हें सरकार ने सम्मानित किया है. विशेष रूप से दो मुस्लिम महिलाओं को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से नवाज़ा है, जिन्होंने योग को अपने समाजों में बढ़ावा देने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है.
सऊदी अरब की नौफ मरवाई को मिला 2018 में पद्मश्री
सऊदी अरब की पहली प्रमाणित योग प्रशिक्षक नौफ मरवाई को भारत सरकार ने वर्ष 2018 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था. उन्होंने सऊदी अरब जैसे रूढ़िवादी देश में योग के वैधकरण की दिशा में एक बड़ी पहल की. नूफ ने न केवल योग को एक आधिकारिक खेल के रूप में मान्यता दिलवाई, बल्कि वहां की महिलाओं को स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन के लिए प्रेरित भी किया.
उनकी इस ऐतिहासिक पहल के बाद सऊदी अरब में योग को एक वैकल्पिक स्वास्थ्य पद्धति के रूप में अपनाया गया। आज वहां योग स्टूडियो, प्रतियोगिताएं और स्कूल स्तर पर प्रशिक्षण सामान्य हो चुका है. नूफ की इस पहल को भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय योग प्रसार की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान माना.
कुवैत की शेखा अल-सबाह : योग स्टूडियो ‘दार आत्मा’
इस साल, 2025 में भारत सरकार ने कुवैत की शेइखा अल-सबाह को पद्मश्री से नवाजा है. उन्होंने कुवैत में Daratma for Yoga Education नामक योग शिक्षण संस्थान की स्थापना की और खाड़ी देशों में योग के प्रति सकारात्मक माहौल बनाने का कार्य किया.
शेइखा अल-सबाह ने विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं को योग के माध्यम से आत्म-बल, मानसिक शांति और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने की दिशा में प्रेरित किया. उनके योगदान से कुवैत जैसे देश में योग को एक वैकल्पिक उपचार और फिटनेस टूल के रूप में स्वीकार किया जाने लगा है.
धर्म और स्वास्थ्य के बीच सेतु बना योग
इन दोनों महिलाओं के प्रयास इस बात के प्रमाण हैं कि योग को केवल धार्मिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता. यह एक शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जो हर संस्कृति और धर्म की सीमाओं को पार कर चुका है. योग अब एक वैश्विक स्वास्थ्य आंदोलन बन चुका है, और भारत सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय से जुड़ी महिलाओं को पद्मश्री पुरस्कार देना इस बात की पुष्टि करता है कि योग सबका है – सर्वसमावेशी है.
भारत की ओर से यह सम्मान न केवल योग को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने वालों के प्रति आभार है, बल्कि यह एक संदेश भी है कि योग को किसी धर्म या जाति के दायरे में सीमित नहीं किया जा सकता. सऊदी अरब की नौफ मरवाई और कुवैत की शेइखा अली जाबेर अल-सबाह आज उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो धर्म, संस्कृति और परंपरा से ऊपर उठकर स्वास्थ्य और शांति की तलाश में योग की ओर अग्रसर हो रहे हैं.